चीन का नया वायरस HMPV कितना खतरनाक है, कैसे फैलता है? भारत की क्या है तैयारी, जानिए हर अपडेट

HMPV

संक्षेप में, जबकि चीन में HMPV सहित श्वसन वायरस के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, चीनी और भारतीय स्वास्थ्य अधिकारी सक्रिय रूप से स्थिति का प्रबंधन कर रहे हैं और जनता को आश्वासन दे रहे हैं। HMPV कैसे फैलता है, और इससे कैसे बचा जा सकता है? चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोनिया वायरस (HMPV) के तेजी से फैलने के कारण लोगों में व्यापक दहशत फैल गई है। अस्पतालों में कथित तौर पर रोगियों की संख्या बहुत अधिक है, जिनमें से कई लोग इस वायरस के प्रभाव से मर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों ने चीन में वर्तमान स्थिति और पाँच साल पहले हुए कोरोनावायरस के विनाशकारी प्रकोप के बीच समानताएँ खींची हैं, जिसके बारे में माना जाता था कि इसकी उत्पत्ति वुहान की एक प्रयोगशाला से हुई थी और बाद में यह दुनिया भर में फैल गया। इससे कई लोगों में इस बात की चिंता बढ़ गई है कि HMPV चीन से भारत सहित अन्य देशों में भी फैल सकता है। इन आशंकाओं के जवाब में, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनता को आश्वस्त किया है कि चीन की स्थिति को लेकर चिंता का कोई तत्काल कारण नहीं है। सरकार वायरस के प्रसार और भारत पर इसके संभावित प्रभाव की सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है। VIDEO | Dr Bobby Bhalotra, Senior Consultant and Vice Chairman, Department of Chest Medicine, Sir Ganga Ram Hospital, speaks on the seriousness of the HMPV outbreak in China: "This virus has been observed in India multiple times, especially during winters. So far, the cases we… pic.twitter.com/GMlNWfurFK — Press Trust of India (@PTI_News) January 4, 2025 चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोनिया वायरस (HMPV) से संबंधित मामलों की बढ़ती रिपोर्टों के मद्देनजर, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सरकार घटनाक्रम पर बारीकी से नज़र रख रही है। Government says that there is no cause for alarm in the country over the reports of the spread of #HMPV (human metapneumovirus) in China. Director General Health Services, @MoHFW_INDIA, Atul Goel says, it is like any other respiratory virus that causes flu-like symptoms mostly… pic.twitter.com/c8M7F766sS — All India Radio News (@airnewsalerts) January 3, 2025 वर्तमान में, भारत में संक्रमण दर में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी गई है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि मेटान्यूमोवायरस अन्य सामान्य वायरस के समान है, जो आमतौर पर सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है, हालाँकि यह कमज़ोर आबादी जैसे बुज़ुर्गों और बहुत छोटे बच्चों में अधिक गंभीर फ़्लू जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। यदि मामलों में वृद्धि होती है, तो देश स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सर्दियों के दौरान, आमतौर पर श्वसन वायरस के संक्रमण में वृद्धि होती है, और अस्पताल आमतौर पर ऐसे प्रकोपों ​​से निपटने के लिए आवश्यक आपूर्ति और बिस्तर क्षमता से सुसज्जित होते हैं। चीन ने कहा है कि वर्तमान में उसके नागरिकों या आगंतुकों के स्वास्थ्य के लिए कोई महत्वपूर्ण खतरा नहीं है। अधिकारियों ने नोट किया है कि सर्दियों के महीनों के दौरान, खांसी और जुकाम के मामलों में वृद्धि होना आम बात है। फिर भी, ऐसी रिपोर्टें सामने आ रही हैं जो ह्यूमन मेटान्यूमोनिया वायरस (HMPV) और कई अन्य गंभीर वायरस के कारण होने वाले संक्रमणों में चिंताजनक वृद्धि का संकेत देती हैं। बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने वाले रोगजनकों में इन्फ्लूएंजा ए और माइकोप्लाज्मा जैसे उल्लेखनीय वायरस शामिल हैं। क्या भारत के लिए चिंतित होने का कोई कारण है? HMPV मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है। यह शारीरिक संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है, जैसे कि किसी संक्रमित व्यक्ति को छूने या उससे हाथ मिलाने से। लक्षण आमतौर पर संक्रमण के लगभग पाँच दिन बाद दिखाई देते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि जबकि वायरस हमेशा पर्यावरण में मौजूद रहता है, यह ठंड के महीनों में अधिक सक्रिय हो जाता है, जिससे संक्रमण की दर बढ़ जाती है और लोगों की चिंता बढ़ जाती है। हालाँकि, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। HMPV के बारे में चीन की आधिकारिक स्थिति क्या है?

पुनीत खुराना अपने आखिरी वीडियो में बहुत दुखी हैं, जो 1 मिनट 51 सेकंड लंबा है। उनका कहना है कि वे और पैसे खर्च नहीं कर सकते।

पुनीत खुराना ने मरने से पहले एक वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवार के साथ कुछ समस्याओं के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा कि तलाक की शर्तों पर सहमत होने के बाद, उनकी पत्नी के परिवार ने अतिरिक्त 10 लाख रुपये मांगे, जिससे वह बहुत परेशान हो गए। पुनीत ने बताया कि वह उन्हें और पैसे नहीं दे सकते थे और अपने परिवार से भी मदद नहीं मांग सकते थे, क्योंकि उन्होंने पहले ही उनका बहुत साथ दिया था। पुनीत और उनके ससुर के बीच बातचीत की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है, जिसे उनके परिवार ने पुलिस के साथ साझा किया है। उनका दावा है कि पिछले एक साल से पुनीत अपने ससुर के व्यवहार से मानसिक रूप से परेशान था, क्योंकि वह अक्सर वादे करता था और फिर उन्हें भूल जाता था, जिससे पुनीत परेशान था। After Atul Subhash, Puneet Khurana from Delhi has also committed suicide due to harassment by his wife. Before ending his life, Puneet recorded a 1-hour video explaining how his wife and her family harassed him. Listen to his wife’s language in the video, and you’ll understand… pic.twitter.com/ILNIWod3jX — Greater Noida West (@GreaterNoidaW) January 1, 2025 पुनीत के परिवार ने पुलिस को कई वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग दी हैं, जो यह दिखाती हैं कि उसके और उसके ससुराल वालों के बीच चीजें ठीक नहीं थीं। रिकॉर्डिंग में से एक पुनीत और उसकी पत्नी मनिका के बीच की बातचीत है, जिसमें उसने उसे कुछ आहत करने वाली बातें कही थीं। Strangely, @DelhiPolice is withholding the suicide video recorded by Puneet Khurana, denying even his family the right to view it. Under Section 91 of CrPC, the family is entitled to access evidence. Is this about protecting the image of the police, legal authorities, or the… pic.twitter.com/M1XjW4Hw2E — Akassh Ashok Gupta (@peepoye_) January 2, 2025 उस कॉल के बाद पुनीत ने अपने फोन पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें उसने बताया कि क्या चल रहा था। उसके परिवार का मानना ​​है कि उस बातचीत के बाद वह इतना निराश हो गया कि उसने एक बहुत ही दुखद फैसला ले लिया। 12 अक्टूबर के एक अन्य वीडियो में पुनीत अपने ससुर से बात करता हुआ दिखाई दे रहा था, जिन्होंने शुरू में उनके घर के लिए 2 करोड़ रुपये देने की बात कही थी। हालांकि, बाद में उसके ससुर ने अपनी बात बदल दी। पुनीत के परिवार का मानना ​​है कि वह इन परिस्थितियों से बहुत दबाव महसूस कर रहा था और उसके ससुर अक्सर उसे धमकाते थे।

आरजी कर मामले में 3 नए ऑडियो आए सामने, डॉक्टर ने बेटी के माता-पिता को किया गुमराह, अस्पताल क्या छिपा रहा था?

आरजी कर अस्पताल के एक डॉक्टर की बेटी को बहुत बुरी तरह से घायल किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। चूंकि यह बहुत गंभीर मामला था, इसलिए सीबीआई नामक एक विशेष समूह को घटना की जांच करने में मदद करने के लिए कहा गया। पूरे देश में कई लोग बहुत दुखी थे और उसके लिए न्याय मांगने के लिए बाहर निकल पड़े। हाल ही में, उसके पिता के साथ बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग इंटरनेट पर बहुत शेयर की गई हैं। इन रिकॉर्डिंग में, उसके माता-पिता ने बताया कि कैसे अस्पताल ने उन्हें उनकी बेटी की मौत के बाद उसके साथ हुई घटना के बारे में सच्चाई नहीं बताई। ये कॉल परिवार को उस दुखद घटना के बारे में जो कुछ भी जानना था, उसे साझा करने के लिए थे। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने सुबह 10:53 बजे लड़की के पिता को फोन किया। कॉल करने वाला: आपकी बेटी बहुत बीमार है। आपको तुरंत अस्पताल आने की जरूरत है। पिता: क्या आप कृपया मुझे बता सकते हैं कि उसे क्या हुआ? कॉल करने वाला: हमें अस्पताल जाना चाहिए ताकि डॉक्टर पता लगा सकें कि क्या गड़बड़ है। पिता: आप कौन हैं? कॉल करने वाला: मैं सहायक अधीक्षक हूं, जिसका मतलब है कि मैं स्कूल चलाने में मदद करता हूं। लेकिन मैं डॉक्टर नहीं हूं। पिताजी: क्या आस-पास कोई डॉक्टर नहीं है? फ़ोन पर मौजूद व्यक्ति स्कूल में प्रभारी सहायक है। वे आपको बता रहे हैं कि आपकी बेटी अस्पताल में है क्योंकि उसे चोट लगी है। वे चाहते हैं कि आप आकर उनसे बात करें कि क्या हुआ। माँ: उसे क्या हुआ? मुझे लगा कि वह काम कर रही होगी! फ़ोन करने वाला: क्या आप आज थोड़ा पहले आ सकते हैं? दूसरा फ़ोन कॉल आर.जी. कर अस्पताल चलाने वाले लोगों से था। फ़ोन करने वाला: मैं आर.जी. कर अस्पताल से फ़ोन कर रहा हूँ, जहाँ लोग बीमार होने या चोट लगने पर मदद लेने जाते हैं। माँ: ज़रूर, आगे बढ़ो और मुझे बताओ! फ़ोन पर मौजूद व्यक्ति पूछ रहा है कि क्या तुम अस्पताल जा रहे हो। माँ: हाँ, हम आ रहे हैं। उसकी हालत कैसी है? फ़ोन करने वाला: कृपया आकर हमसे बात करो। आर.जी. कर अस्पताल में चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रभारी व्यक्ति के पास जाओ। माँ: ठीक है! तीसरे फ़ोन कॉल में, माता-पिता को बताया गया कि उनकी बेटी की मृत्यु हो गई है। पिताजी: नमस्ते! कॉल करने वाला: मैं आपसे बात कर रहा हूँ, सहायक अधीक्षक। पिता: हाँ, आगे बढ़िए और बात कीजिए। कोई व्यक्ति यह कहने के लिए कॉल कर रहा है कि आपकी बेटी बहुत घायल है और उसने खुद को चोट पहुँचाई होगी। पुलिस मदद के लिए वहाँ है, और वे चाहते हैं कि आप जल्दी आएँ। पिता: हम जल्द ही वहाँ पहुँच जाएँगे। (पृष्ठभूमि में माँ को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उसकी बेटी चली गई है।) माता-पिता को धोखा दिया गया या गलत जानकारी दी गई। अस्पताल के डॉक्टर ने एक लड़की के माता-पिता से एक गंभीर समस्या के बारे में बात की। इस स्थिति को दो महत्वपूर्ण न्यायालयों, कलकत्ता उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जा रहा था। माता-पिता ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा, और उन्हें लगता है कि यह इंतजार जानबूझकर किया गया था। कोलकाता में पुलिस ने असहमति जताई और कहा कि माता-पिता दोपहर 1 बजे अस्पताल पहुँचे और उन्हें सिर्फ़ 10 मिनट बाद एक कमरे में ले जाया गया, जहाँ उन्हें लड़की का शव मिला। अदालत ने आश्चर्य जताया कि डॉ. संदीप घोष के नेतृत्व वाले अस्पताल ने पुलिस को तुरंत क्यों नहीं बताया। इस वजह से, पुलिस को लड़की की मौत के बारे में मामला शुरू करने के लिए इंतजार करना पड़ा, और उन्होंने यह काम लड़की के पिता द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद ही देर रात को शुरू किया।

दुबई से खाली हाथ एयरपोर्ट पहुंचा तो अफसर को हुआ शक, पूछताछ में खुला ऐसा राज कि सब रह गए हैरान

शाम के करीब 6:15 बजे थे और एयरपोर्ट पर मौजूद सभी सुरक्षाकर्मी यात्रियों को जाते हुए देख रहे थे। तभी उनकी नज़र एक विदेशी यात्री पर पड़ी जिसके पास ज़्यादा सामान नहीं था। कस्टम अधिकारी को यह अजीब लगा, क्योंकि आमतौर पर दूसरे देशों से यात्रा करने वाले लोगों के पास ज़्यादा बैग होते हैं। इससे अधिकारी को संदेह हुआ और वह जानने के लिए उत्सुक हो गया कि क्या हो रहा है। एक कस्टम अधिकारी ने विदेशी यात्री में कुछ अजीब देखा और उससे उसके बैग के बारे में पूछा। यात्री का चेहरा बदल गया, जिससे अधिकारी को संदेह हुआ। जब उन्होंने उससे और सवाल पूछे, तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाया, जिससे अधिकारी और भी चिंतित हो गए। यात्री ने बस इतना कहा कि सब कुछ हवाई जहाज़ में है। इससे कस्टम अधिकारी चिंतित हो गए, इसलिए उन्होंने जल्दी से एयरलाइन से जाँच की और पता चला कि विमान अहमदाबाद के लिए रवाना होने वाला था। यात्री ने जो बताया उसके आधार पर वे विमान की तलाशी लेने के लिए दौड़े। तलाशी के दौरान उन्हें एक सीट के नीचे छिपा हुआ एक काला थैला मिला। जब उन्होंने इसे खोला, तो पाया कि इसके अंदर सोने का रासायनिक पेस्ट था। अधिकारियों को यह जानकर राहत मिली कि यह क्या था। उन्हें एहसास हुआ कि यात्री इस सोने के पेस्ट की तस्करी करने की कोशिश कर रहा था। सोना मिलने के बाद विमान को उड़ान भरने की अनुमति दे दी गई, लेकिन इसमें करीब आधे घंटे की देरी हुई। कस्टम अधिकारियों ने यात्री को गिरफ्तार कर लिया, जो मूल रूप से केन्या का रहने वाला था और दुबई से आया था। उन्हें कुल 1242 ग्राम सोने का पेस्ट मिला, जिसकी कीमत करीब 83.23 लाख रुपये है। जांच अभी भी जारी है।

हमारे 5 साल के मुन्ना को किसने मारा? मदरसे में मासूम बच्चे की मौत पर मां का सवाल, शरीर पर बड़े-बड़े छाले हैं

एक माँ ने अपने 5 साल के बेटे को एक महीने पहले मदरसा नामक स्कूल में भेजा था, लेकिन दुख की बात है कि उसे पता चला कि उसकी वहाँ मौत हो गई है। वह अपने छोटे बेटे की मौत से बहुत दुखी और परेशान थी। वह उसके शव को वापस मदरसे ले गई और पूछा कि उसके साथ क्या हुआ। जब लोगों ने उसे रोते हुए देखा, तो कई लोग यह देखने के लिए इकट्ठा हो गए कि क्या हो रहा है। वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दयालपुर नामक मदरसे में पुलिस अधिकारियों को देखकर डर गए। छोटे लड़के की मौत इस तरह से हुई थी कि किसी को समझ में नहीं आया। उसका परिवार वास्तव में क्रोधित और परेशान था क्योंकि जब उन्होंने उसे वापस पाया, तो वह बहुत बीमार था और उसकी गर्दन, पेट और कमर पर घाव थे। वे बस एक बात जानना चाहते थे: उनके मासूम 5 साल के बेटे की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? दिल्ली में पुलिस ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को रात करीब 9:52 बजे ब्रजपुरी मदरसा नामक स्कूल में एक लड़के की मौत के बारे में कॉल आया। उस दिन शाम करीब 6:30 बजे स्कूल मदरसा तालीम उल कुरान ने लड़के की मां को बताया कि उसके बेटे की तबियत ठीक नहीं है। वह उसे पास के एक निजी अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि उसकी पहले ही मौत हो चुकी है। पुलिस ने यह भी बताया कि लड़के की मां ने बताया कि उसने उसे करीब पांच महीने पहले मदरसे में भेजा था। मां बहुत दुखी और परेशान थी क्योंकि उसका छोटा बच्चा मर गया था। वह अपने बच्चे के शव को वापस स्कूल ले आई और लोगों से मदद मांगी कि वे पता लगाएं कि उसके बेटे के साथ क्या हुआ। जब लोगों ने उसे रोते देखा, तो कई लोग उसका साथ देने के लिए उसके आसपास जमा हो गए। अभी, पुलिस बच्चे के शव को अस्पताल ले गई है ताकि पता लगाया जा सके कि उसकी मौत कैसे हुई और वे रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं जो बताएगी कि स्कूल में क्या हुआ था। पुलिस का कहना है कि मदरसा नामक इस स्कूल में करीब 250 लड़के पढ़ते हैं। इनमें से करीब 150 लड़के दूर-दूर से आते हैं, जिनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश नामक जगह से आते हैं। कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों को मदरसे से घर ले जाने का फैसला किया। वहां पढ़ने वाले एक लड़के ने बताया कि तीन अन्य लड़कों ने एक छोटे लड़के को बाथरूम में ले जाकर चोट पहुंचाई। उन तीनों लड़कों को पकड़ लिया गया है।

आरजी कर हत्याकांड: पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर कसा शिकंजा, सीबीआई कर सकती है गिरफ्तारी, क्या पकड़े जाएंगी कई बड़ी मछलियां?

गंभीर अपराधों की जांच करने वाली सीबीआई, संदीप घोष पर कड़ी नजर रख रही है, जो कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल हुआ करते थे। वे जल्द ही उन्हें गिरफ्तार भी कर सकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक गंभीर अपराध के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। अभी, संदीप से बहुत पूछताछ की जा रही है, और आज वे पॉलीग्राफ नामक एक विशेष परीक्षण कर रहे हैं, जिससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि कोई सच बोल रहा है या नहीं। सीबीआई ने अभी तक उन्हें किसी भी गलत काम से मुक्त नहीं किया है। इसके अलावा, वे मेडिकल कॉलेज में कुछ पैसे की समस्याओं की जांच करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें धोखाधड़ी शामिल हो सकती है। यदि सीबीआई, जो गंभीर समस्याओं की जांच करने वाली एक विशेष समूह है, संदीप घोष की जांच करने का फैसला करती है, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रमुख हुआ करते थे, तो उनके लिए उनकी नजर से बचना बहुत मुश्किल होगा। उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। जब सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई बुरी चीजों की जांच शुरू करेगी, तो उन्हें कई ऐसे लोग मिल सकते हैं, जो महत्वपूर्ण और कम महत्वपूर्ण दोनों हैं, जिन्होंने गलत काम किए हैं। इससे अस्पताल में लंबे समय से चल रही पैसों की समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलेगी। पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे अक्सर झूठ डिटेक्टर टेस्ट कहा जाता है, यह जांचने का एक तरीका है कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है या नहीं। यह इस बात पर गौर करता है कि सवालों के जवाब देते समय उसका दिल कितनी तेजी से धड़क रहा है और वह कैसे सांस ले रहा है। यह खास टेस्ट संदीप घोष नाम के व्यक्ति के लिए है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रमुख संदीप घोष आज झूठ डिटेक्टर टेस्ट दे रहे हैं, जिससे उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनसे करीब 100 घंटे तक पूछताछ की है, लेकिन उन्हें अभी भी लगता है कि वह कुछ छिपा रहे हैं या दबाव महसूस कर रहे हैं। कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में घायल हुए प्रशिक्षु डॉक्टर के मामले में मुख्य संदिग्ध और छह अन्य लोगों के लिए शनिवार को झूठ डिटेक्टर टेस्ट शुरू हुआ। दिल्ली से एक टीम मामले की जांच कर रही है। झूठ डिटेक्टर टेस्ट के दौरान, एक मशीन जांचती है कि सवालों के जवाब देने पर व्यक्ति का शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है, जिससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि वह सच बोल रहा है या झूठ। मुख्य संदिग्ध संजय रॉय का परीक्षण जेल में किया जाएगा, जबकि संदीप घोष और अन्य छह लोगों, जिनमें उस रात काम करने वाले चार डॉक्टर और एक स्वयंसेवक शामिल हैं, का परीक्षण सीबीआई कार्यालय में किया जाएगा। परीक्षण में मदद के लिए दिल्ली की एक विशेष प्रयोगशाला के विशेषज्ञ कोलकाता आए हैं।

बड़ी कहानी: बिहार से झारखंड तक आतंकी कनेक्शन, दरभंगा, फुलवारीशरीफ, सीमांचल मॉड्यूल का खतरनाक नेटवर्क गजवा-ए-हिंद प्लान

अलकायदा और आईएसआईएस जैसे अन्य खतरनाक समूहों से भी इनके संबंध हैं, जिन्होंने भारत में अपना प्रभाव फैलाया है। हाल ही में सुरक्षा अधिकारियों ने डॉक्टर समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया, क्योंकि उनका मानना ​​है कि वे भारत को बदलने की इस खतरनाक योजना का हिस्सा हैं। यह स्थिति गंभीर है और सभी के लिए सुरक्षित रहना महत्वपूर्ण है। बिहार के मिथिला, चंपारण और सीमांचल जैसे इलाकों को इन बुरी गतिविधियों के लिए अच्छे स्थान के रूप में देखा जाता है। 2010 से, जब यासीन भटकल नाम के व्यक्ति ने मिथिला में उत्पात मचाया, तब से दरभंगा के पास का यह इलाका आतंकवादियों के लिए छिपने का ठिकाना बन गया है। उदाहरण के लिए, 2022 में, NIA नामक एक विशेष टीम नूरुद्दीन जंगी नाम के एक व्यक्ति के घर की तलाशी लेने दरभंगा गई और उसके परिवार से सवाल पूछे। उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक एक समूह से जुड़े अन्य लोगों के घरों की भी तलाशी ली, जो प्रतिबंधित है। जुलाई 2022 में फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल नाम का एक समूह खोजा गया था। इस समूह में दरभंगा के कुछ लोग जैसे नूरुद्दीन जंगी, सनाउल्लाह (जिन्हें आकिब भी कहा जाता है) और मुस्तकीम का नाम शामिल है। नूरुद्दीन जंगी ने कुछ लोगों को जेल से बाहर निकलने में मदद की थी जो सिमी नामक समूह में शामिल थे, जिसे अब अनुमति नहीं है। वह PFI नामक एक अन्य समूह का भी सदस्य था और नियमित रूप से उनकी बैठकों और प्रशिक्षण सत्रों में जाता था। यासीन भटकल ने एक ऐसा समूह शुरू किया जो दरभंगा में बुरी गतिविधियों में शामिल था। बहुत समय पहले, यासीन भटकल नाम का एक व्यक्ति, जिसने इंडियन मुजाहिदीन नामक एक समूह शुरू किया था, दरभंगा नामक जगह पर था। उसने वहाँ कुछ युवाओं को बुरी चीजों के बारे में सिखाया, जैसे कि आतंकवादी समूह का हिस्सा बनना। उसने जो किया, उसके कारण उनमें से कुछ युवा, जैसे नूरुद्दीन जंगी, सनाउल्लाह, मुस्तकीम और अरमान मलिक, इसी तरह की बुरी गतिविधियों में शामिल हो गए। यासीन भटकल चालाक था और उन्हें प्रभावित करने के लिए उसने डॉक्टर होने का नाटक भी किया। उसने साइकिल के टायर ठीक करने वाले एक व्यक्ति की बेटी से शादी भी की। उसने साइकिल के टायर ठीक करने वाले मोहम्मद कफील के घर में चालाकी से एक छोटा सा क्लिनिक खोला, ताकि वह अपनी गुप्त योजनाओं को अंजाम दे सके। उसने लोगों को मुफ्त दवाइयाँ दीं, लेकिन जब वह उनकी मदद करता था, तो वह उनके दिलों में गुस्सा और नफरत भी भर देता था। फिर, उसने समुदाय के करीब आने के लिए कफील की बेटी से शादी कर ली। लोगों की मुफ्त में मदद करने और शादी करने के बाद, वह इलाके में काफी लोकप्रिय हो गया। एक बार जब लोगों ने उस पर भरोसा कर लिया, तो उसने लोगों में डर फैलाना शुरू कर दिया। यासीन भटकल को पुलिस ने भारत और नेपाल की सीमा पर पकड़ लिया। फिर, पटना शहर में आतंकवादियों द्वारा एक नई योजना बनाई जा रही थी। इस योजना का पता तब चला जब पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नामक एक समूह पर नज़र डाली। पटना पुलिस को 11 जुलाई, 2022 को इस बारे में पता चला और अगले दिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना दी। उन्होंने अतहर परवेज, मोहम्मद जलालुद्दीन, अरमान मलिक और नूरुद्दीन जंगी नामक एक वकील सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। ठीक दो दिन बाद, 14 जुलाई को, बिहार आतंकवाद निरोधी दस्ते ने फुलवारी शरीफ से मरगूब अहमद दानिश नामक एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो आतंकवादी योजना से जुड़ा था। दरभंगा में एक व्यक्ति केवटी, जाले, सिंहवाड़ा, हायाघाट और समस्तीपुर जैसे विभिन्न क्षेत्रों से युवाओं को इंडियन मुजाहिदीन नामक एक समूह में शामिल करने के लिए इकट्ठा कर रहा था। उसके बाद, देश भर के कई शहरों में बम विस्फोट हुए जो दरभंगा से जुड़े थे। बेंगलुरु, चेन्नई, वाराणसी और दिल्ली जैसी जगहों पर हुए इन धमाकों से जब इंडियन मुजाहिद्दीन का संबंध सामने आया तो पुलिस काफी चिंतित हो गई और दरभंगा से लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। इस इलाके में भारत-नेपाल सीमा के पास यासीन भटकल नाम का एक खतरनाक आतंकी पकड़ा गया। एसएसपी कहे जाने वाले पुलिस नेता ने कुछ मामलों में दूसरे देशों से जुड़े होने की बात कही। एटीएस नामक विशेष टीम की सूचना पर फुलवारी शरीफ थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि उन्हें इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि ये मामले दूसरे देशों से जुड़े हैं। इसलिए उन्होंने इस मामले की आगे जांच के लिए एटीएस जैसे विशेषज्ञों से मदद मांगी। जुलाई 2022 में फुलवारी शरीफ में गलत गतिविधियों में शामिल एक समूह के बारे में पता चलने के बाद एनआईए नामक एक अन्य टीम ने एक ही समय में बिहार के छह अलग-अलग शहरों में तलाशी शुरू कर दी। झारखंड के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को आतंकवाद में शामिल एक बुरे व्यक्ति के रूप में पाया गया। इसके बाद पुलिस को बिहार के अलग-अलग इलाकों जैसे छपरा, अररिया और मुजफ्फरपुर में कुछ लोगों का एक समूह मिला जो कुछ गलत गतिविधियों में शामिल थे। झारखंड के मोहम्मद जलालुद्दीन नामक एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी पर भी एक खतरनाक समूह से जुड़े मामले में जांच चल रही थी। दरभंगा के नूरुद्दीन जंगी नामक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नामक एक समूह से जुड़ा हुआ था। पुलिस को यह भी पता चला कि बिहार के सीमांचल नामक एक अन्य क्षेत्र को PFI द्वारा निशाना बनाया जा रहा था। उन्होंने सीमांचल के युवा मुस्लिम लोगों के दिमाग में अतिवादी विचार भरकर उनके सोचने के तरीके को बदलने की कोशिश की। जांच में पता चला कि PFI नामक एक समूह सीमांचल नामक जगह में बेरोजगार और अशिक्षित युवा मुस्लिम पुरुषों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा था। उनकी योजना इन युवाओं को संगठन में लाने के बाद हथियार चलाना सिखाने की थी। फुलवारी शरीफ नामक जगह से गिरफ्तार किए गए अतहर परवेज नामक व्यक्ति ने पूछताछ के दौरान यह जानकारी साझा की। उसने बताया कि वह खास तौर पर पूर्णिया, अररिया, फोर्ब्सगंज, किशनगंज,

राय: आरजी कर मेडिकल कॉलेज ही नहीं, पूरे देश में हर महिला को चाहिए ‘सुरक्षित आजादी’

महिलाओं को अपराधों से सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए, हमें दो महत्वपूर्ण काम करने होंगे। सबसे पहले, हमें इन अपराधों को होने से पहले ही रोकने के लिए मज़बूत और स्थायी तरीके बनाने चाहिए। दूसरा, अगर कोई अपराध होता है, तो ज़िम्मेदार लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा करने वालों को उचित और गंभीर सज़ा मिले। आइए अपनी भावनाओं को एक तरफ़ रखें और स्पष्ट रूप से सोचें। आइए सुनिश्चित करें कि महिलाएँ हमारे देश में आज़ादी से रह सकें। कुछ लोगों को लगता है कि हमने स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एक बड़ी पार्टी की है, लेकिन हमें उन्हें यह समझने में मदद करनी चाहिए कि हमारे देश में बहुत से लोग अभी भी आहत हैं और आज़ाद महसूस नहीं कर रहे हैं। हर दिन, घर या बाहर जैसी कई अलग-अलग जगहों पर, कुछ लोग बहुत बुरी तरह से आहत हो सकते हैं। कभी-कभी उन्हें बलात्कार जैसी चीज़ का सामना करना पड़ता है, जो तब होता है जब कोई उन्हें बहुत ही डरावने तरीके से चोट पहुँचाता है। दूसरी बार, उन्हें अलग-अलग तरह की चोट का सामना करना पड़ता है जो अच्छी भी नहीं होती। अरे सब लोग, आइए ध्यान दें! क्या आप नहीं देख सकते कि हम सभी सिर्फ़ इंसान हैं, बिल्कुल आपकी तरह? जब सुप्रीम कोर्ट, सरकार और सीबीआई जैसे महत्वपूर्ण लोग कोलकाता में काम के दौरान ब्रेक लेने के दौरान चोटिल हुई एक प्रशिक्षु डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, तो टीएमसी पार्टी के एक नेता ने जो कहा, उसके बारे में भी बात की जा रही है। अरूप चक्रवर्ती ने सुरक्षा की मांग कर रहे डॉक्टरों से कहा कि अगर वे विरोध करते हैं, तो उन्हें घर चले जाना चाहिए या अपने बॉयफ्रेंड के साथ समय बिताना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब लोग उन पर गुस्सा करते हैं, तो वह उनकी मदद नहीं करेंगे। यह बयान वाकई दुखद है और दिखाता है कि हमें यह सुनिश्चित करने पर कितना ध्यान देने की जरूरत है कि डॉक्टर अपने महत्वपूर्ण काम करते समय सुरक्षित रहें। महिला और पुरुष दोनों डॉक्टर विरोध का हिस्सा थे, इसलिए केवल महिला डॉक्टरों के बारे में बात करना सही नहीं है। व्यक्ति द्वारा की गई टिप्पणी से पता चलता है कि वे शायद यह नहीं समझते कि लड़के और लड़कियां दोनों अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इस तरह की सोच ऐसे समाज में रहने से आती है जो अक्सर लड़कियों और लड़कों के साथ अलग-अलग व्यवहार करता है। उदाहरण के लिए, एक नेता ने एक बार कहा था कि लड़के कभी-कभी गड़बड़ कर देते हैं, इसलिए हमें उनके साथ बहुत कठोर नहीं होना चाहिए। महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ और हिंसा जैसी बुरी चीजों को रोकने में मदद करने के दो महत्वपूर्ण तरीके हैं। सबसे पहले, अगर किसी ने कुछ गलत किया है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें बिना किसी अन्याय के उचित सजा मिले। दूसरा, हमें इन बुरी चीजों को होने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में हर जगह उन योजनाओं का पालन किया जाए। इन योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार लोगों को अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। लड़कियों को सुरक्षित रखने के लिए घर पर रखने के बजाय, हमें उन्हें बिना किसी विशेष व्यवहार के स्वतंत्र और समान रूप से जीने देना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब गोमती नगर में एक लड़की को चोट लगी, तो पास में ही एक पुलिस स्टेशन था। हमें वास्तव में यह समझने की जरूरत है कि पुलिस को बेहतर तरीके से मदद कैसे करनी है। लोग अक्सर महिलाओं को बताते हैं कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए, लेकिन वे अपनी गलतियों को देखना भूल जाती हैं और वे क्या बेहतर कर सकती हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना के बाद लोग कह रहे हैं कि डॉक्टरों को रात में काम नहीं करना चाहिए और महिला डॉक्टरों को कम समय तक काम करना चाहिए। हालांकि, अगर महिला डॉक्टर रात में अस्पताल में नहीं होंगी, तो महिला मरीजों के लिए चीजें मुश्किल हो सकती हैं। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि दिन में भी महिलाओं के साथ कुछ बुरा हो सकता है, जैसे अपराध और दूसरे खतरे। भले ही महिलाएं रात में सुरक्षित महसूस करने की कोशिश करती हों, लेकिन हमें उन्हें सिर्फ़ घर पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि वहां भी कुछ बुरा हो सकता है। जबकि सभी को सुरक्षित रखने के लिए तुरंत कार्रवाई करना ज़रूरी है, लेकिन वे कार्रवाई पूरी तरह से सही नहीं है। बेहतर और लंबे समय तक चलने वाले समाधान हैं, लेकिन उन्हें काम करने में समय लगेगा। जब वे काम करेंगे, तो वे सभी के लिए चीजों को ज़्यादा स्थिर और सुरक्षित बना देंगे। अब समय आ गया है कि बच्चों को स्कूलों और कॉलेजों में सेक्स के बारे में पढ़ाया जाए और हमें इसे तुरंत शुरू करना चाहिए। सरकार को एक समूह बनाना चाहिए ताकि बच्चों को यह सिखाया जा सके। लड़कियों को सिर्फ़ चुप रहने और दूसरों के साथ घुलने-मिलने के लिए कहने के बजाय, हमें लड़कों को सभी को समझने और उनका सम्मान करने में मदद करनी चाहिए। यह बदलाव घर और परिवारों से शुरू होना चाहिए। अगर हम आज लड़के और लड़कियों दोनों को समान रूप से बड़ा करेंगे, तो हम भविष्य में अच्छे बदलाव देखेंगे। महिलाओं के लिए सभी तरह की नौकरियों का हिस्सा होना और ऐसी भूमिकाएँ निभाना ज़रूरी है जहाँ उन्हें पहले शामिल नहीं किया गया है, ताकि पुरुषों को उनके वहाँ होने पर अच्छा लगे। भारत में, महिला आरक्षण कानून (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) नामक एक नया नियम 2029 में लागू होगा। यह नियम सुनिश्चित करेगा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हों। यह बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन यह एकमात्र ऐसी चीज़ नहीं है जो सब कुछ बेहतर बना देगी। जनगणना के आंकड़ों के आधार पर कुछ बदलाव किए जाने के बाद इस कानून को लागू किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि बेल्जियम और रवांडा जैसे 64 देशों में भी महिला आरक्षण कानून का इस्तेमाल किया

ममता जी, बलात्कार रोकने का सुझाव तो ठीक है, लेकिन क्या आपको नहीं पता कि पीएम मोदी यूक्रेन-पोलैंड के दौरे पर हैं?

हालांकि, कई लोगों को लगता है कि पिछले 13 दिनों में राज्य पुलिस और सरकार ने अपना काम ठीक से नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट, जो देश की एक बहुत ही महत्वपूर्ण अदालत है, ने इस मामले में हस्तक्षेप किया क्योंकि उन्हें लगा कि पुलिस और अस्पताल ने स्थिति को ठीक से नहीं संभाला। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था कि अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिससे लोगों को लगा कि कुछ और गंभीर हो सकता है। अब, कई लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से नाराज़ हैं और चाहते हैं कि वे बताएं कि क्या हुआ। उन्हें लगता है कि उन्हें ज़िम्मेदार होना चाहिए क्योंकि वे पुलिस और राज्य की प्रभारी हैं। मदद करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, ऐसा लगता है कि वे मामले में शामिल कुछ लोगों को बचाने में ज़्यादा दिलचस्पी ले रही हैं। कुछ लोगों को लगता है कि वे चीज़ों को छिपाने या स्थिति को अपने लिए बेहतर दिखाने की कोशिश कर रही हैं। कुल मिलाकर, ऐसा लगता है कि वे इस बहुत दुखद स्थिति में राजनीति को शामिल कर रही हैं और लोग इससे खुश नहीं हैं। मेरा मानना ​​है कि अगर हम साथ मिलकर काम करें, तो हम अपने देश को सभी के लिए और भी बेहतर जगह बना सकते हैं। सुनने के लिए धन्यवाद! क्या यह समझना आसान है? सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ सख्त बातें कहने और कोलकाता पुलिस से सवाल पूछने के बाद ममता बनर्जी इसे फिर से राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत में बलात्कार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है। लेकिन, ममता दीदी, आपको पता होना चाहिए कि पीएम मोदी इस समय यूक्रेन और पोलैंड की यात्रा पर हैं। आपका अनुरोध महत्वपूर्ण है, लेकिन समय के हिसाब से ऐसा लगता है कि आप इस स्थिति का इस्तेमाल राजनीति के लिए करने की कोशिश कर रही हैं। पिछले 13 दिनों से आपके राज्य में आरजी कर के साथ जो हुआ, उसे लेकर काफी शोर-शराबा हो रहा है। पहले तो आपने विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब चीजें बहुत ज्यादा बढ़ गईं, तो कोलकाता हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और उसके बाद ही आपने कुछ कार्रवाई शुरू की। लोगों का यह सोचना सामान्य है कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं, खासकर तब जब आप पहले समस्या को नजरअंदाज करते दिखे। आपकी पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया और बहाने बनाती रही। आपको लोगों से ज्यादा राजनीति की परवाह थी। अब जब चीजें नियंत्रण से बाहर हो गई हैं और सुप्रीम कोर्ट देख रहा है, तो आप सभी का ध्यान भटकाने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिख रही हैं। यह उचित नहीं है। एक नेता के तौर पर आपको लोगों की मदद करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि किसी दुखद स्थिति का राजनीतिक लाभ उठाने पर। आपकी स्थिति में एक महिला को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए।

अब डॉक्टर्स रहेंगे सुरक्षित, नेशनल टास्क फोर्स ने शुरू किया काम, सदस्य डॉक्टर ने बताया दो महीने में क्या होगा?

इस समूह में शामिल डॉ. सौमित्र रावत ने बताया कि उनका काम दो मुख्य काम करना है। पहला, वे डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों को नुकसान से बचाना चाहते हैं। दूसरा, वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि डॉक्टरों, नर्सों और प्रशिक्षुओं के पास काम करने के लिए सुरक्षित और अच्छी जगह हो। इस तरह, हर कोई बिना डरे अपना काम कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बुरी तरह घायल होने की दुखद घटना के बाद डॉक्टरों को सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स नामक एक विशेष समूह बनाया है। यह समूह डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण लोगों, जैसे स्वास्थ्य सचिव और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष से बना है। मंकीपॉक्स के बारे में चेतावनी दी गई है, इसलिए दिल्ली के कुछ अस्पताल उन लोगों के लिए विशेष कमरे तैयार कर रहे हैं जो बीमार हो सकते हैं। डॉ. रावत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक विशेष टीम इस स्थिति से निपटने के तरीके के बारे में नियम और सुझाव लेकर आएगी। उन्हें तीन सप्ताह में एक छोटी रिपोर्ट और दो महीने में एक पूरी रिपोर्ट लिखनी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह महत्वपूर्ण है, और टीम मरीजों की मदद करते समय डॉक्टरों को सुरक्षित रखने की योजना बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। किसी के लिंग के कारण होने वाली हिंसा को रोकना। यह सुनिश्चित करना कि डॉक्टरों, नर्सों और अन्य चिकित्सा सहायकों के पास काम करने के लिए एक अच्छी और सम्मानजनक जगह हो। हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि अस्पताल के आपातकालीन क्षेत्र में अधिक सुरक्षा उपाय हों। सहायकों को केवल उन लोगों के आसपास घूमना चाहिए जिनकी वे देखभाल कर रहे हैं और इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए। जब बहुत सारे लोग एक साथ हों तो सभी को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने की योजना। हम डॉक्टरों और नर्सों के लिए एक विशेष बाथरूम बनाना चाहते हैं जिसका उपयोग हर कोई कर सके, चाहे वे लड़का हों या लड़की। इस बाथरूम में ऐसी शानदार तकनीक भी होगी जो लोगों के चेहरों को पहचान कर उसे सुरक्षित रख सके। अस्पताल में सभी को सुरक्षित रखने के लिए हर जगह पर्याप्त रोशनी और कैमरे होने चाहिए। डॉक्टरों और नर्सों के लिए रात में 10 बजे से सुबह 6 बजे तक काम पर जाने का एक सुरक्षित तरीका होना चाहिए। जिस कमरे में डॉक्टर आराम करते हैं वह सुरक्षित होना चाहिए और उसमें बाथरूम होना चाहिए। हर तीन महीने में, अस्पताल यह सुनिश्चित करने के लिए जाँच करेगा कि सब कुछ सुरक्षित है और ठीक से काम कर रहा है। डॉ. रावत ने कहा कि एक विशेष टीम न केवल सभी को सुरक्षित रखने की योजना बनाएगी, बल्कि यह भी जांचेगी कि अस्पताल और क्लीनिक सुरक्षा नियमों का कितना पालन कर रहे हैं। वे हर तीन महीने में इन जगहों पर जाकर देखेंगे कि वे सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं। अगर उन्हें लगता है कि नियमों का पालन नहीं हो रहा है, तो वे उसे ठीक करेंगे और सुरक्षा नियमों को और भी मजबूत बनाएंगे। डॉक्टरों की सभी मांगों का ध्यान रखा जाएगा। नई दिल्ली और जोधपुर के एम्स जैसे बड़े अस्पतालों के महत्वपूर्ण लोगों और अन्य शीर्ष अधिकारियों का एक विशेष समूह मिलकर काम करेगा। वे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की जरूरतों को सुनेंगे और फिर सुप्रीम कोर्ट को बताने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। डॉ. सौमित्र ने कहा कि पहले भी सुरक्षा नियम रहे हैं, लेकिन अब नेशनल टास्क फोर्स नए नियम बनाने जा रही है, जो पुराने नियमों में मौजूद समस्याओं को ठीक करेंगे। वे यह भी सुनिश्चित करने की योजना बनाएंगे कि सभी लोग इन नए नियमों का समय पर पालन करें। ये वे लोग हैं जो नेशनल टास्क फोर्स का हिस्सा हैं। ये सभी डॉक्टर लोगों को स्वस्थ रहने और उनके दिमाग और शरीर का ख्याल रखने में मदद करते हैं! इसलिए, यदि कोई व्यक्ति चाहता है कि आप कोई अन्य जानकारी या कहानी देखें, तो वह यह सुझाव देने के लिए कह सकता है कि “इसे भी पढ़ें” कि यह महत्वपूर्ण या दिलचस्प है।