Eknath Shinde: औरंगाबाद और उस्मानाबाद का फिलहाल नहीं बदलेगा नाम, एकनाथ शिंदे ने उद्धव के फैसले पर लगाई रोक
Eknath Shinde: औरंगाबाद और उस्मानाबाद का फिलहाल नहीं बदलेगा नाम Sharad Pawar: एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘मुझे नाम बदलने के फैसले के बारे में कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही पता चला। चूंकि यह तीन-पक्षीय सरकार है, इसलिए अंतिम निर्णय लेने से पहले प्रस्ताव को एमवीए के सामने लाया जाना चाहिए था। लेकिन शिवसेना ने ऐसा नहीं किया।’ मुंबई: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने इस्तीफा देने से कुछ घंटों पहले औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिले का नाम बदला था। शिवसेना सरकार का अंतिम क्षणों पर लिए गए इस फैसले की खूब चर्चा हुई। उद्धव ने औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखा। नवी मुंबई हवाई अड्डे का नाम अनुभवी पीडब्ल्यूपी नेता डीबी पाटिल के नाम पर रखने के फैसला लिया था। अब एमवीए सरकार के इन फैसलों की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री Eknath Shinde ने फिलहाल जिलों के नाम बदलने वाले फैसलों पर रोक लगा दी है। डेप्युटी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि 29 जून को उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी। इस बैठक में उन्होंने औरंगाबाद, उस्मानाबाद जिलों का नाम बदला था। वहीं नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम डीबी पाटिल के नाम पर रखा गया। इन फैसलों के अगले दिन 30 जून को Eknath Shinde और फडणवीस ने शपथ ली थी। देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलना जल्दबाजी में लिया गया फैसला था नाम बदलने का प्रस्ताव बहुमत परीक्षण के सुझाव के बाद पारित किया गया था। फडणवीस ने उठाया सवालघोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक पूर्व मंत्री ने कहा कि फडणवीस श्रेय लेने के इच्छुक हैं क्योंकि सीएम के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह निर्णय नहीं ले सके। उन्होंने कहा, ‘नई सरकार फैसले की समीक्षा करेगी और उसकी पुष्टि करेगी ताकि वह राजनीतिक लाभ ले सकें।’ उद्धव ठाकरे ने बना लिया था प्रतिष्ठा का मुद्दायह कदम ठाकरे के लिए एक और झटका है, जिन्होंने औरंगाबाद का नाम बदलने को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया था। आपको बता दें कि एमवीए के घटक कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने नाम बदलने की कड़ी आलोचना की है। जब सरकार को एक सूत्र में बांधकर फैसला लिया गया तो पार्टियां चुप थीं। एक हफ्ते पहले, शरद पवार ने इसे ठाकरे की ओर से लिया गया एकतरफा फैसला बताया क्योंकि शहरों का नाम बदलना एमवीए सरकार के अजेंडे में नहीं था। क्या बोले थे शरद पवारएनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘मुझे नाम बदलने के फैसले के बारे में कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही पता चला। चूंकि यह तीन-पक्षीय सरकार है, इसलिए अंतिम निर्णय लेने से पहले प्रस्ताव को एमवीए के सामने लाया जाना चाहिए था। लेकिन शिवसेना ने ऐसा नहीं किया। यह उद्धव ठाकरे का एकतरफा फैसला था।’ कांग्रेस विधायक थे राजस्व मंत्रीकांग्रेस ने आवाज थोड़ी पहले उठाई, लेकिन कैबिनेट बैठक के काफी बाद में। पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट को स्पष्ट रूप से प्रस्ताव का विरोध करने या कैबिनेट बैठक का बहिष्कार करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था। यह ज्ञात नहीं है कि थोराट, जो एमवीए सरकार में राजस्व मंत्री थे, ने ऐसा कुछ किया या नहीं।
Mohammed Zubair को दिल्ली वाले केस में बेल, यूपी में दर्ज मुकदमों के चलते अभी जेल में ही रहेंगे
Mohammed Zubair Latest News: दिल्ली की एक अदालत ने ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को जमानत दे दी है। उन्हें 50,000 रुपये के मुचलके और देश छोड़कर न जाने की शर्त पर जमानत मिली है। नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को जमानत दे दी है। 2018 के एक ट्वीट से जुड़े केस में जुबैर को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिली। ऐडिशनल सेशंस जज देवेंद्र कुमार जांगला ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। एक दिन पहले अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट से जुबैर को जमानत इस शर्त पर मिली है कि वह बिना उसकी इजाजत देश छोड़कर नहीं जा सकेंगे। इससे पहले, चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने 2 जुलाई को Mohammed Zubair की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया था। उनपर IPC की धारा 153A, 295, 295A, 201, 120B और FCRA की धारा 35 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। Zubair पर यूपी पुलिस ने भी 6 FIRs दर्ज कर रखी हैं। एक मामले (सीतापुर) में जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। भले ही दिल्ली वाली FIR में जुबैर को जमानत मिली गई हो मगर वह रिहा नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनकी रिमांड पहले से ही यूपी पुलिस के पास है। Zubair ने SC में एक और याचिका डाली है यूपी पुलिस वाली सभी छह FIRs रद्द की जाएं। Zubair को जमानत देते हुए कोर्ट ने क्या कहा? फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ‘असहमति की आवाज स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है। इसलिए किसी राजनीतिक दल की आलोचना पर ही धारा 153A और 295A लगाना सही नहीं है।’ कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म सबसे पुराने धर्मों में से एक है और सबसे सहिष्णु है। हिंदू धर्म को मानने वाले भी सहिष्णु हैं। हिंदू धर्म इतना सहिष्णु है कि उसे मानने वाले संस्थाओं/संगठनों/प्रतिष्ठानों के नाम अपने देवी-देवताओं के नाम पर रखते हैं। बड़ी संख्या में हिंदू अपने बच्चों का नाम देवी-देवताओं पर रखते हैं। भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट बताती है कि हिंदू देवी देवताओं के नाम पर कितनी कंपनियां हैं। ऐसे में किसी जगह का नाम हिंदू देवता के नाम पर रखना 153A और 295A का उल्लंघन नहीं है अगर वह दुर्भावनापूर्ण न हो। जुबैर के खिलाफ 6 शहरों में 7 मुकदमेदिल्ली में FIR के अलावा मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी के सीतापुर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, लखीमपुर खीरी और हाथरस जिलों में मुकदमे दर्ज हुए हैं। यूपी सरकार ने जुबैर के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच के लिए SIT गठित कर दी है। यूपी में दर्ज सभी केस रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जुबैरधार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोपी मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट से यूपी में दर्ज सभी छह एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई है। इससे पहले, उन्होंने सीतापुर में दर्ज केस को रद्द करने की गुहार लगाई गई थी और प्रोटेक्शन की मांग की थी। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक सीतापुर केस में प्रोटेक्शन दिया था। जुबैर की अंतरिम जमानत सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक बढ़ा दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा था कि इस मामले में वह जवाब दाखिल करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते का वक्त दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सीतापुर में दर्ज केस से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान अगले आदेश तक अंतरिम जमानत देते हुए सुनवाई 7 सितंबर के लिए टाल दी थी।
Ajmer दरगाह के सामने भड़काऊ भाषण देने वाला गौहर चिश्ती 22 दिन के पुलिस रिमांड पर
Ajmer दरगाह के सामने भड़काऊ भाषण देने वाला गौहर चिश्ती 22 दिन के पुलिस रिमांड पर Ajmer दरगाह के बाहर भीड़ के सामने भड़काऊ भाषण और नारेबाजी के मामले में आरोपी गौहर चिश्ती को गिरफ्तार कर पुलिस गुरुवार देर रात करीब दो बजे Ajmer लेकर आई। शुक्रवार सुबह एसपी चूनाराम जाट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि गौहर चिश्ती एक जुलाई को जयपुर से फ्लाइट लेकर हैदराबाद भाग गया था। इससे पहले और उसके बाद वह कहां-कहां गया, इसकी पूछताछ की जा रही है। हैदराबाद में उसे शरण देने वाले अहसानुल्लाह को भी पकड़ा गया है। उससे भी पूछताछ की जा रही है। गौहर चिश्ती अहसानुल्लाह के फोन से ही राजस्थान में अपने नेटवर्क के लोगों से संपर्क में था। एसपी ने बताया कि पुलिस ने भेष बदलकर गौहर चिश्ती की रेकी की। कार्रवाई से पहले उसने भागने का प्रयास किया, लेकिन हैदराबाद पुलिस के सहयोग से उसे दबोच लिया गया। उसके फाइनेंशियल अकाउंट और कॉन्टैक्ट के बारे में पड़ताल की जाएगी। हर एंगल से पुलिस जांच करेगी और कोर्ट में पेश कर उसका रिमांड भी लिया जाएगा। उदयपुर कन्हैयालाल हत्याकांड में कनेक्शन पर भी उससे पूछताछ होगी। सरवर चिश्ती के बारे में पूछे जाने पर एसपी ने कहा, ‘सरवर को पाबंद करने की कार्रवाई की जा रही है। वहीं, इस मामले से एनआईए ने कोई संपर्क नहीं किया। अजमेर मामले की जांच एनआईए नहीं कर रही है। धार्मिक स्थल से हत्या के लिए उकसायाकॉन्स्टेबल जयनारायण जाट ने दी रिपोर्ट में बताया कि 17 जून को दोपहर 3 बजे उसकी ड्यूटी निजाम गेट पर थी। इसी दौरान कुछ खादिमों द्वारा गेट पर पूर्व से निर्धारित मौन जुलूस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए वहां भाषण दिया। इसके लिए रिक्शे पर लाउड स्पीकर लगाया। कॉन्स्टेबल ने रिपोर्ट में बताया कि इस दौरान 2500-3000 व्यक्तियों की भीड़ Ajmer दरगाह के सामने थी, जबकि गौहर चिश्ती को पूर्व में समझाइश दी गई थी। इसी दौरान भड़काऊ भाषण के साथ नारेबाजी की गई। ऐसे में उस पर धार्मिक स्थल से हिंसा के लिए भीड़ को उकसाने और हत्या की अपील करने पर मामला दर्ज किया गया था।उदयपुर हत्याकांड का अजमेर कनेक्शनउदयपुर में हुए कन्हैयालाल के हत्याकांड के तार भी Ajmer से जुड़े हैं। सूत्रों की मानें तो दरगाह के निजाम गेट की सीढ़ियों पर भड़काऊ नारे लगाने वाले गौहर चिश्ती की जान पहचान कन्हैया के हत्यारों रियाज और गौस से थी। तीनों के बीच बातचीत होती रहती थी। मुलाकात के 10 दिन बाद ही उदयपुर में कन्हैयालाल की निर्मम हत्या कर दी गई। सूत्रों के मुताबिक दोनों हत्यारे कन्हैयालाल की हत्या के बाद राजसमंद के रास्ते अजमेर आने वाले थे। यहां दोनों की मुलाकात गौहर चिश्ती से होनी थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही दबोच लिया। पिछले लंबे समय से कन्हैयालाल के हत्यारों की बातचीत गौहर से हो रही थी। हत्यारों के अजमेर कनेक्शन को लेकर अजमेर पुलिस के साथ ही सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। चार आरोपी किए गिरफ्तारपुलिस ने वीडियो के आधार पर पहले अजमेर के रहने वाले चार आरोपियों ताजिम सिद्धिकी(31) पुत्र नईम खान, फखर जमाली(42) पुत्र सैयद मोहम्मद जुबेर जमाली, रियाज हसन दल(47) पुत्र हसन और मोईन खान(48) पुत्र स्व. शमशूदीन खान को गिरफ्तार किया था। चारों आरोपी फिलहाल हाई सिक्योरिटी जेल में बंद हैं।