चीनी और पाकिस्तानी ड्रोन होंगे नष्ट, खास तकनीक पर हो रहा काम, भारतीय सेना ने रूस-यूक्रेन युद्ध से ली सीख

भारतीय सेना ड्रोन को रोकने के लिए एक खास तकनीक पर काम कर रही है, जो कि उड़ने वाली मशीनें हैं। उन्होंने अभी इस तकनीक के बारे में सीखना शुरू किया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। भारतीय सेना के सभी अंग इस एंटी-ड्रोन तकनीक को तेज़ी से और अपने-अपने तरीके से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। रूस के सारातोव में एक बड़ी और डरावनी घटना हुई, जहाँ एक ड्रोन बहुत तेज़ी से उड़ा और एक ऊँची इमारत से जा टकराया। लोगों ने इसे एक वीडियो में देखा जो इंटरनेट पर तेज़ी से फैल गया। यह ड्रोन यूक्रेन से आया था। यह आश्चर्यजनक है क्योंकि रूस के पास आमतौर पर ड्रोन को रोकने के लिए बहुत अच्छी तकनीक होती है, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ ड्रोन अभी भी घुस रहे हैं और समस्याएँ पैदा कर रहे हैं। ड्रोन को पूरी तरह से रोकना वाकई मुश्किल है, जैसे कि आप हर उड़ने वाले कीड़े को नहीं पकड़ सकते। इस समस्या से निपटने के लिए, भारतीय सेना एक खास माइक्रोवेव सिस्टम खरीदना चाहती है जो ड्रोन से लड़ सके। उन्होंने भारत में स्थानीय कंपनियों से इस बारे में जानकारी माँगना शुरू कर दिया है। वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विचार का समर्थन करने के लिए इन स्थानीय कंपनियों से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं, जिसका मतलब है भारत में आत्मनिर्भर होना। भारतीय सेना एक ऐसा सिस्टम चाहती है जो दोनों काम कर सके: ड्रोन को अस्थायी रूप से भ्रमित करना और ज़रूरत पड़ने पर उसे हमेशा के लिए रोकना। भारतीय सेना के पास ड्रोन को मार गिराने के लिए हथियार हैं, लेकिन उन्हें नई तरह की गोलियों की ज़रूरत है। वे हल्के वज़न के रडार खरीदना चाहते हैं जो दूर से, लगभग 10 किलोमीटर दूर से ड्रोन को ढूँढ़ सकें और ट्रैक कर सकें। ये रडार 5 किलोमीटर के भीतर ड्रोन को पूरी तरह से मार गिराने में सक्षम होने चाहिए। साथ ही, वे चाहते हैं कि सिस्टम एक साथ 100 ड्रोन ढूँढ़ सके और उनमें से 20 पर गोली चला सके। वे इस नए सिस्टम को भारत में बनाना चाहते हैं। दुश्मन के ड्रोन को इधर-उधर उड़ने से रोकने के कई तरीके हैं। एक तरीका है लेज़र हथियार का इस्तेमाल करना जो ड्रोन को नष्ट करने के लिए तेज़ रोशनी फेंकता है। दूसरा तरीका है एक ख़ास माइक्रोवेव जो उन्हें ऊर्जा से झकझोर सकता है। ड्रोन को मार गिराने के लिए सिर्फ़ बंदूकें भी बनाई गई हैं और ख़ास ड्रोन जिन्हें दूसरे ड्रोन से लड़ने के लिए भेजा जा सकता है। कुछ सिस्टम ऐसे वाहनों पर बनाए गए हैं जो एक साथ कई ड्रोन को मार गिराने के लिए रॉकेट दाग सकते हैं। इस सिस्टम को कार, ट्रेन, प्लेन और नावों द्वारा आसानी से ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे वाहनों से जोड़ा जा सकता है और यह अन्य वायु रक्षा प्रणालियों के साथ अच्छी तरह से काम करता है। यह रेगिस्तान में 55 डिग्री जैसे बहुत गर्म मौसम को संभाल सकता है और यह पहाड़ों में माइनस 40 डिग्री जैसी बहुत ठंडी जगहों पर भी काम कर सकता है। जब यह एक मजबूत माइक्रोवेव से एक विशेष तरंग का उपयोग करता है, तो यह ड्रोन के अंदर के इलेक्ट्रॉनिक्स को खराब कर देता है। यह तरंग ड्रोन के लिए संचार करना कठिन बना देती है और इसके इलेक्ट्रॉनिक भागों को तोड़ सकती है। एक विशेष प्रणाली है जो विस्फोट किए बिना आस-पास के किसी भी ड्रोन को मार गिरा सकती है, लेकिन इसमें बहुत पैसा खर्च होता है। समस्या यह है कि अगर इसका इस्तेमाल किया जाता है, तो यह गलती से अन्य उपकरणों को भी नुकसान पहुंचा सकता है जो इसी तरह से काम करते हैं। इस वजह से, सेना को एक अलग तरह की प्रणाली की आवश्यकता है जो अन्य उपकरणों को प्रभावित किए बिना दुश्मन के ड्रोन को विशेष रूप से लक्षित और नष्ट कर सके। अभी, पाकिस्तान को चीन, तुर्की और ईरान जैसे देशों से बहुत सारे ड्रोन मिल रहे हैं। वे कई सशस्त्र ड्रोन और विस्फोटक ले जाने वाली छोटी उड़ने वाली मशीनें खरीद रहे हैं। अपने आसमान को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय सेना ने इन ड्रोन से लड़ने के लिए एक सिस्टम हासिल करने का फैसला किया है। दो मुख्य प्रकार के ड्रोन के बारे में सोचना चाहिए: बड़े सैन्य ड्रोन जिन्हें दूर से नियंत्रित किया जा सकता है और जो अपने लक्ष्यों को बहुत सटीक रूप से मार सकते हैं। ड्रोन नामक बड़ी मशीनों को मजबूत रडार का उपयोग करके ट्रैक किया जा सकता है जो देख सकता है कि वे कितने बड़े और तेज़ हैं। कुछ ड्रोन वास्तव में छोटे होते हैं और ज़मीन से बहुत नीचे उड़ते हैं, जिससे उन्हें रडार पर देखना मुश्किल हो जाता है। इन छोटे ड्रोन को पकड़ना मुश्किल है, और इनमें विशेष उड़ने वाले हथियार और ड्रोन के समूह जैसी चीजें शामिल हैं जो एक साथ काम करते हैं। भारतीय सेना इन चालाक ड्रोन से निपटने के लिए एक शक्तिशाली माइक्रोवेव सिस्टम खरीदने की योजना बना रही है। जम्मू में एक वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद, वायु सेना ने भी ड्रोन को रोकने के लिए विशेष सिस्टम प्राप्त करने का फैसला किया। इस बारे में बहुत चर्चा है कि क्या भारत इन छोटे, कम उड़ान वाले ड्रोन को पकड़ने के लिए अपने स्वयं के समाधान बना सकता है। नौसेना इजरायल से स्मैश 2000 नामक एक एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीद रही है, और सेना भी इसी तरह की प्रणाली खरीदने की तैयारी कर रही है। भारतीय वायु सेना ने 26-27 जून, 2021 को वायु सेना स्टेशन पर हमले के ठीक बाद ड्रोन रोधी प्रणाली खरीदने की अपनी योजनाओं को गति देना शुरू कर दिया था। इसलिए, वायुसेना दुश्मन के ड्रोन से बचाव के लिए इन दोनों तरीकों का इस्तेमाल करना चाहती है। पिछले पाँच सालों में, देशों के बीच बहुत सारे झगड़े हुए हैं, जिन्हें युद्ध कहा जाता है। इनमें से कुछ युद्ध अभी भी हो रहे हैं, जैसे रूस और यूक्रेन के बीच, और दूसरा इज़राइल और हमास के बीच, और अब इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच एक नया युद्ध चल रहा है। कुछ युद्ध

यह नामुमकिन है, चीनसे रिश्ते, युद्ध और व्यापार पर एक साथ क्यों बोले जयशंकर…

चीन और भारत में पिछले कुछ समय से उनकी सेनाओं के बीच लड़ाई चल रही है। वे चट्टानों, लाठियों और नुकीले तारों वाले डंडों का उपयोग करते हैं। इससे दोनों पक्षों को उस सीमा पर अधिक सैनिक लाने पड़े जहां वे असहमत थे। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन को सीमा समस्या के कारण हमारे देशों के बीच चीजें सामान्य होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही हम बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समाधान निकलने में थोड़ा वक्त लग सकता है. उन्होंने सुन रहे लोगों के सवालों के जवाब भी दिये. उन्होंने कहा कि भारत और चीन इस बात पर सहमत नहीं हैं कि उनकी सीमाएँ कहाँ हैं, और उन्होंने बहुत सारे सैनिक इकट्ठा नहीं करने और एक-दूसरे को यह बताने का वादा किया है कि वे क्या कर रहे हैं। लेकिन 2020 में चीन ने यह वादा तोड़ दिया और बहुत सारे सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ले आया, जो वह क्षेत्र है जहां वे दोनों सोचते हैं कि सीमा है। इससे एक समस्या उत्पन्न हुई जिसे गलवान घटना कहा गया। अन्य देशों से बात करने के प्रभारी व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने चीन से बात करने के प्रभारी व्यक्ति से कहा कि जब तक वे सीमा पर अपनी समस्याओं को हल करने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ लेते, तब तक उन्हें बाकी सब कुछ सामान्य होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ही समय में एक-दूसरे से लड़ना और व्यापार करना संभव नहीं है. लेकिन वे अभी भी एक-दूसरे से बात कर रहे हैं और समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, भले ही इसमें कुछ समय लग सकता है। विदेश मंत्री ने उस वक्त अहम बात कही जब भारतीय सेना के प्रमुख ने कहा कि सीमा पर हालात स्थिर हैं लेकिन संवेदनशील भी हैं. उन्होंने सीधे तौर पर चीन का जिक्र नहीं किया, लेकिन वह पूर्वी लद्दाख की समस्या के बारे में बात कर रहे थे. सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सैनिकों के साथ तैयार है और वे उतनी ही संख्या में सैनिक वहां रखेंगे। पूर्वी लद्दाख नामक जगह पर हमारी सेना के प्रमुख ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम लड़ने के लिए तैयार हैं. सेना और सरकार के लोग सीमा के पास दूसरे देश के साथ हमारी समस्याओं को हल करने की कोशिश करने के लिए बात कर रहे हैं। पिछले साल मई से ही सीमा के पास चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़पें हो रही हैं. उन्होंने लड़ने के लिए चट्टानों, लाठियों और तार वाले डंडों जैसी चीज़ों का इस्तेमाल किया है। इस वजह से, अब सीमा के दोनों ओर बहुत सारे सैनिक हैं, जो इंतज़ार कर रहे हैं और नहीं जा रहे हैं।

चीन में फिर फैली रहस्यमयी बीमारी, भारत ने तुरंत जांच पर दिया जोर, कोविड पैनल प्रमुख ने दी चेतावनी- दुनिया को देर नहीं करनी चाहिए

केंद्र में कोविड पैनल के प्रभारी डॉ. एनके अरोड़ा कह रहे हैं कि चीन को जल्दी से यह पता लगाने की जरूरत है कि लोग एक अजीब बीमारी से बीमार क्यों हो रहे हैं और इसके बारे में सभी को बताएं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमने कोविड-19 के प्रकोप से बहुत सी महत्वपूर्ण बातें सीखीं। यदि चीन के लिए स्वयं चीजों की जाँच करना कठिन है, तो उन्हें अन्य देशों के साथ मिलकर जाँच करनी चाहिए। अभी, चीन में बहुत से लोग अस्पताल जा रहे हैं क्योंकि उन्हें निमोनिया जैसी बीमारी है लेकिन हम नहीं जानते कि उन्हें यह बीमारी क्यों हो रही है। डॉ. एनके अरोड़ा, जो कोविड-19 से निपटने वाले समूह के प्रभारी हैं, ने कहा कि चीन के लिए यह पता लगाना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि किसी भी अज्ञात बीमारी का कारण क्या है। उन्हें तुरंत जांच करनी चाहिए और जो भी पता चला वह सभी को बताना चाहिए। यदि चीन के लिए स्वयं जाँच करना कठिन है, तो उन्हें अन्य देशों के साथ मिलकर जाँच करनी चाहिए। यह समूह भारत में कोविड-19 टीकों के बारे में भी महत्वपूर्ण विकल्प चुनता है। हाल ही में, चीन में बहुत से लोग निमोनिया जैसी बीमारी से सचमुच बीमार हो रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों को नहीं पता कि यह क्या है। इनमें से कई लोगों को अस्पताल जाना पड़ा है. ProMED नामक एक समूह ने इंटरनेट पर देखा कि उत्तरी चीन में बहुत सारे बच्चे इस रहस्यमय बीमारी से बीमार पड़ रहे हैं। प्रोमेड ने यह भी देखा कि 2019 के अंत में वुहान नामक शहर में भी ऐसी ही एक अज्ञात बीमारी फैल रही थी, जिसे अब हम कोविड-19 के नाम से जानते हैं। दुनिया भर के लोग देख रहे हैं कि चीन में क्या हो रहा है क्योंकि ऐसा लगता है कि यह रहस्यमय बीमारी कोविड-19 जैसी एक और बड़ी महामारी की शुरुआत हो सकती है। डॉ. अरोड़ा ने न्यूज18 को बताया कि दुनिया भर के लोग चाहते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस समस्या को लेकर कुछ करे. विश्व स्वास्थ्य संगठन यह पता लगाने के लिए देशों को एक साथ काम करने की कोशिश करेगा कि इस प्रकोप का कारण क्या है। अरोड़ा ने कहा कि संगठन को इस बारे में अधिक खुला होना चाहिए कि वे प्रकोप से कैसे निपट रहे हैं और उन्हें क्या पता चला है। उन्होंने यह भी कहा कि अब जब हमने कोविड का अनुभव कर लिया है, तो हम जानते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बीमारी कहां से शुरू होती है, यह तेजी से फैल सकती है। इसलिए, यदि जीवन बचाने के लिए महामारी का खतरा हो तो तुरंत कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि हमें जल्दी करने और तीन महत्वपूर्ण चीजों की जांच करने की जरूरत है – वायरस लोगों को कैसे प्रभावित करता है, यह कैसे फैलता है, और माइक्रोस्कोप के नीचे यह कैसा दिखता है। वर्तमान महामारी से सीखने और भविष्य के प्रकोप के लिए तैयार रहने के लिए यह महत्वपूर्ण है। भले ही चीन में हालात बेहतर हो जाएं, फिर भी हमें वायरस पर नज़र रखनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी भी नए प्रकोप का तुरंत पता लगा सकें।

नेपाल के नागरिकता कानून में एक संशोधन किया गया है, जिससे चीन नाराज हो सकता है और तिब्बत से जुड़ा हुआ है।

चीन के चेतावनी भरे बयान के खिलाफ नेपाल ने अपने नागरिकता कानून में बदलाव किया है. यह परिवर्तन संभावित रूप से तिब्बतियों के लिए नेपाली नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने नेपाल के नागरिकता कानून में एक अत्यधिक विवादास्पद संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसने एक गरमागरम बहस छेड़ दी है। इस स्वीकृति का समय प्रधान मंत्री पुष्पमल दहल ‘प्रचंड के भारत के पहले विदेशी दौरे के साथ मेल खाता है, जिससे स्थिति में और जटिलता आ गई है। यह ध्यान देने योग्य है कि पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद के दूसरे प्रयास के बावजूद इस संशोधन को खारिज कर दिया था। इस निर्णय के राजनीतिक निहितार्थों को देखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि चीन की प्रतिक्रिया नकारात्मक हो सकती है। नेपाली राजनेताओं के अनुसार, नेपाली नागरिकों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को अब नेपाल में तत्काल नागरिकता और राजनीतिक अधिकार दिए जाएंगे। हालाँकि, इस संशोधन को चीन की अस्वीकृति के साथ पूरा किया गया है, जिसने इसके संभावित प्रभावों के बारे में चेतावनी जारी की है। चीन को डर है कि कानून में इस बदलाव के परिणामस्वरूप तिब्बती शरणार्थियों को नेपाली नागरिकता और संपत्ति के अधिकार दिए जा सकते हैं, जिससे वे प्रभावी रूप से नेपाल के नागरिक बन सकते हैं। यह विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि नेपाल को अक्सर भारत के बाद तिब्बती लोगों के लिए दूसरा घर माना जाता है। 1955 से, चीन और नेपाल के बीच राजनयिक संबंध रहे हैं, और 1956 में, उन्होंने एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसमें नेपाल ने तिब्बत को चीन के एक घटक के रूप में स्वीकार किया। हालाँकि, चीन के प्रभाव के कारण, इस संधि के कार्यान्वयन में बार-बार देरी हुई। इसके बावजूद, कई तिब्बतियों ने काठमांडू की राजधानी और पोखरा सहित नेपाल में शरण ली है, जहां कई राहत संगठन हैं। चीन ने इन शरणार्थियों पर नकेल कसने की इच्छा व्यक्त की है और तिब्बती समुदाय को नियंत्रित करना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता मानता है।

China के अस्पताल में आग लगने के बाद कुछ लोग मदद की इंतज़ार कर रहे थे तोह कुछ लोग खिड़की से खुद गए

China के अस्पताल में आग लगने के बाद China: बीजिंग के एक अस्पताल में आग लग गई। आग से बचने के लिए कुछ लोग खिड़कियों से कूद गए। कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए एयर कंडीशनिंग यूनिट के ऊपर भी खड़े हो गए। हादसे में 29 लोगों की मौत हो गई, लेकिन पुलिस का कहना है कि कूदने से किसी की मौत नहीं हुई है। कई लोग घायल हो गए। घटना के वीडियो सामने आए हैं। दमकल विभाग ने बताया कि मंगलवार दोपहर एक अस्पताल में आग लग गई। दमकल विभाग ने बताया कि मंगलवार दोपहर एक अस्पताल में आग लग गई। बचाव अभियान तुरंत शुरू किया गया और दो घंटे की मशक्कत के बाद 71 लोगों को बचा लिया गया। कुछ लोग घायल हो गए और कई लोगों को गंभीर हालत में नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक महिला बिल्डिंग की सातवीं मंजिल पर खिड़की से लटकी हुई है। वह दूसरी इमारत की छत पर चढ़ने के लिए एक चादर का उपयोग करती है। जब वह नीचे आती है, तो वह उस इमारत की छत पर गिरती है जिससे वह लटकी हुई थी। उनके साथ और भी कई लोग देखे जा सकते हैं. दूसरे वीडियो में देखा जा सकता है कि कई लोग अस्पताल में एक एसी यूनिट के आसपास खड़े हैं. वह मदद के लिए चिल्ला रहा है। कुछ लोग बिना किसी मदद या सहारे के वहां से कूद भी जाते हैं। हमें नहीं पता कि आग कैसे लगी, लेकिन पुलिस को लगता है कि यह शॉर्ट सर्किट हो सकता है। हम पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। आग पर तुरंत काबू पा लिया गया और हम यह पता लगाने के लिए तलाशी अभियान चला रहे हैं कि इसकी वजह क्या थी।

अगले ३० साल में गिरने लगेगी India की पॉपुलेशन।

India दुनिया सब से ज़ादा पॉपुलेशन वाली बन चुकी है.और चीन को पीछे छोड़ चूका है पॉपुलेशन के मामले में.UN की रिसर्च के मुताबिक इंडिया की पॉपुलेशन 142.86 करोड़ है.चीन की जनसंख्या 142.57 करोड़ है और यह दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. जब से भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यूएन की क्या भविष्यवाणी है कि अगले 30 सालों तक भारत की आबादी और बढ़ेगी और उसके बाद यह सिलसिला शुरू होगा. जनसंख्या के मामले में भारत चीन को पछाड़ सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ है। चीन की जनसंख्या 142.57 करोड़ है और यह दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। संयुक्त राष्ट्र विश्व जनसंख्या पूर्वानुमान-2022 के अनुसार 2050 तक India की जनसंख्या 166.8 करोड़ हो सकती है, जबकि चीन की जनसंख्या घटकर 131.7 करोड़ रह सकती है। विभिन्न राज्यों में, भारत की जनसांख्यिकी भिन्न हो सकती है – उदाहरण के लिए, केरल और पंजाब में बुजुर्ग आबादी अधिक है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में युवा आबादी अधिक है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के भारत के प्रतिनिधि और भूटान निदेशक एंड्रिया वोजनार ने कहा, “भारत की 1.4 अरब आबादी को 1.4 अरब अवसरों के रूप में देखा जाना चाहिए।” युवा (15 से 24 वर्ष आयु वर्ग) है… यह नवाचार, नई सोच और स्थायी समाधान का स्रोत हो सकता है।

सालों की दुश्मनी भूल सऊदी अरब और Iran फिर आए करीब, चीन ने कराई ‘दोस्ती’

Iran और सऊदी अरब कुछ तनाव के बाद अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। सऊदी अरब ईरान में दूतावास खोलने पर सहमत हो गया है और दोनों देश राजनयिक संबंध शुरू करने पर भी सहमत हो गए हैं। Iran और सऊदी अरब अपने पिछले मतभेदों को पीछे छोड़कर कुछ महीनों के समय में एक दूसरे के देशों में एक दूतावास खोलकर नए सिरे से शुरुआत करने पर सहमत हुए हैं। इस खबर को दोनों देशों के मीडिया ने रिपोर्ट किया था, जिनका कहना है कि समझौते के बाद बीजिंग में जो बातचीत हुई, वह काफी फलदायी रही। ईरान और सऊदी अरब राजनयिक संबंध शुरू करने पर सहमत हो गए हैं और दोनों देश दूतावास खोलने पर भी सहमत हो गए हैं। आपसी सहयोग के समझौतों को भी क्रियान्वित करेंगे। ईरान और सऊदी निकट भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करेंगे। ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने सऊदी अरब और चीन के सरकारी अधिकारियों के बीच बातचीत की तस्वीरें और वीडियो जारी किए। कई तस्वीरों में सचिव अली शामखानी को दोनों देशों के अधिकारियों के साथ देखा जा सकता है। वार्ता सफल होती दिख रही है और आशा की जाती है कि दोनों देशों के बीच शांति स्थापित होगी। इन दोनों देशों के बीच असहमति का संबंध उनकी धार्मिक मान्यताओं से है। ईरान एक शिया मुस्लिम देश है, जबकि सऊदी अरब एक सुन्नी मुस्लिम देश है। ये धार्मिक मतभेद लंबे समय से दोनों देशों के बीच समस्याएं पैदा कर रहे हैं। हाल ही में, हालात और भी बदतर हो गए हैं क्योंकि सऊदी अरब ईरान के कुछ क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 2016 से, सऊदी अरब और ईरान के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2016 में तेहरान में सऊदी दूतावास पर हमला हुआ था, जिसकी चिंगारी सऊदी सरकार द्वारा एक शिया धर्मगुरु को मौत की सजा देने के फैसले से भड़की थी। वार्ता के बाद, ईरान और सऊदी अरब बहुत जल्द एक दूसरे के देशों में अपने दूतावासों और मिशनों को फिर से खोलने पर सहमत हुए। शामखानी ने हाल ही में बीजिंग में एक बैठक की थी। सऊदी प्रेस एजेंसी ने कहा कि वार्ता अच्छी रही और वे कुछ समस्याओं को हल करने में सक्षम रहे। ईरान और सऊदी अरब पड़ोसी देश हैं और वे चीजों को सुचारू करने के लिए बातचीत करते रहे हैं।

समंदर में नहीं चलेगी चीन की दादागिरी! INS विक्रांत से भारत और ऑस्ट्रेलिया ने कड़ा संदेश दिया

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INS विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के बाद से भारत मजबूत हो रहा है, इसलिए पाकिस्तान और चीन के दुश्मनों को हमारी चिंता करनी पड़ी है। जब ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीस आईएनएस विक्रांत पर पहुंचे और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, तो इससे चीन की बेचैनी जरूर बढ़ गई होगी। स्वदेशी विमान वाहक एक विशेष प्रकार के जहाज होते हैं जो दुनिया भर के कुछ ही देशों में पाए जाते हैं। INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, और यह भारत को दुनिया की एक शक्तिशाली ताकत बनाता है। इससे चीन की बेचैनी बढ़ गई, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी दूसरे देश के राष्ट्रीय अध्यक्ष को आईएनएस विक्रांत पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री भारत का दौरा कर रहे थे, और यह एक बहुत ही खास अवसर बन गया। भारत आर्थिक रूप से बहुत अच्छा कर रहा है और अधिक आत्मनिर्भर हो रहा है, जो एक संदेश है कि क्वाड गठबंधन में चार देश – ऑस्ट्रेलिया, भारत, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका – चीन को भेज रहे हैं। फिलहाल, ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के पास एक विमानवाहक पोत नहीं है, लेकिन भविष्य में इसमें बदलाव की संभावना है। अगर ऑस्ट्रेलिया एक विमानवाहक पोत बनाने का फैसला करता है, तो एक स्वदेशी आईएनएस विक्रांत सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। क्वाड समूह उन देशों का समूह है जो चीन द्वारा पैदा की जा रही समस्याओं से निपटने के लिए मिलकर काम करते हैं। 2020 में, ऑस्ट्रेलिया द्वारा मालाबार नामक एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने के बाद, क्वाड समूह ने अपनी सैन्य गतिविधियों को और अधिक बारीकी से समन्वयित करना शुरू कर दिया। इस साल मालाबार नौसैनिक अभ्यास जापान के तट पर आयोजित किया जाएगा, जो पहली बार किया गया है। पिछले साल, भारतीय नौसेना ने ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिकी सेना के साथ एक सैन्य अभ्यास में भाग लिया था। इस साल भारत जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ सैन्य अभ्यास में भी हिस्सा ले रहा है। वाणिज्य सचिव पेनी प्रित्जकर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर होली समारोह में भाग लिया और दिल्ली में जी-20 बैठक में शामिल चार देशों के विदेश मंत्रियों ने भी इतर मुलाकात की। इससे पता चलता है कि ये देश कितनी बारीकी से एक साथ काम कर रहे हैं और यह चीनियों के लिए चिंता का विषय है।

Dalai Lama की जासूसी करने के संदेह में एक चीनी महिला को भारत के बोधगया में गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।

बिहार के बोधगया में आध्यात्मिक नेता Dalai Lama को एक चीनी महिला ने कथित तौर पर धमकी दी थी। विदेश मंत्रालय ने इस घटना को ‘सुरक्षा मुद्दा’ करार दिया है और टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के साथ बोधगया में देखे जाने के बाद सुरक्षा अलर्ट का विषय बनी चीनी महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस उससे बोधगया थाने में पूछताछ कर रही है। मगध में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) एमआर नायक ने पुष्टि की है कि वह पुलिस हिरासत में है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा गया पुलिस को स्थानीय निवासियों के लिए संभावित खतरे की सूचना देने के बाद, पुलिस विभाग ने तुरंत महिला की तलाश शुरू कर दी। एसएसपी हरप्रीत कौर ने कहा कि वह चीनी महिला की उम्र और स्थिति की गंभीरता को जानने के बाद जल्द ही उसे हिरासत में ले लेंगी। हालांकि, महिला की पहचान की जांच उससे पूछताछ के बाद ही पूरी होगी। पुलिस ने एक चीनी महिला सोंग शियाओलन का एक स्केच जारी किया और मीडिया के साथ उसका पासपोर्ट और वीजा विवरण भी साझा किया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस सोंग शियाओलन की तलाश क्यों कर रही थी। अधिकारी के मुताबिक, महाबोधि मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हम इस समय बोधगया में सुरक्षा अलर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। विदेश मंत्रालय (MEA) प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि उन्हें सुरक्षा मुद्दे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और उन्हें नहीं लगता कि इस बारे में बात करने के लिए यह सही मंच है। इससे पता चलता है कि मामला संवेदनशील है और इसे गोपनीय रखा जाना चाहिए।

तवांग में bharat के इस कदम से दबाव में चीन! सरकार से जुड़े सूत्रों ने हमें पूरी कहानी बताई है।

bharat -चीन झड़पें: भारतीय अधिकारियों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यांग्त्ज़ी नदी में चौकियों पर कब्जा करने की कोशिश की हो सकती है। से कम। हालांकि, उनका दांव उल्टा पड़ गया और उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ भारत पर्यटन को बढ़ावा देने और यांग्त्से नदी के आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए काम कर रहा है। भारत सरकार के अधिकारियों ने Hindustani Reporter को बताया कि इस मुद्दे को लेकर चीन दबाव में है और 9 दिसंबर को हुई झड़प की यह एक वजह हो सकती है. bharatiye सेना ने सोमवार को हमें जानकारी दी कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में एलएसी के पास भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए थे. आमने-सामने की इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आई हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि इस झड़प में न तो किसी भारतीय सैनिक की मौत हुई और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है. उन्होंने कहा कि भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण पीएलए के सैनिक अपनी पोजीशन पर पीछे हट गए हैं। हिंदुस्तानी रिपोर्टर को सूत्र बताते हैं कि इस झड़प में कम से कम नौ bharatiye सैनिक घायल हुए हैं, जबकि चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक है. जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों पड़ोसी देशों के बीच हुई घातक झड़प के बाद यह इस तरह की पहली घटना है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यांग्त्ज़ी नदी पोस्ट को जब्त करने की कोशिश की हो सकती है, उम्मीद है कि साल के इस समय यहां भारतीय सैन्य उपस्थिति कम होगी, जब पूरा क्षेत्र बर्फ में ढका हुआ है। एक सरकारी अधिकारी ने न्यूज18 को बताया, “2015 तक भारतीय सेना सिर्फ इलाके में पेट्रोलिंग के लिए जाती थी, लेकिन हाल के वर्षों में हमने कड़ाके की ठंड में भी चौकियों पर डेरा डालना शुरू कर दिया. चीनियों को शायद उम्मीद नहीं थी कि इतने भारतीय सैनिक आएंगे.” बाहर।” सैनिक। यांग्त्ज़ी क्षेत्र 2008 से भारत और चीन के बीच विवाद का स्रोत रहा है, जब चीनियों ने कथित तौर पर वहां एक बुद्ध प्रतिमा को तोड़ दिया था। यांग्त्ज़ी स्थानीय लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है और 108 झरनों वाले चुमी ग्यात्से जलप्रपात को स्थानीय लोग ‘पवित्र जलप्रपात’ के रूप में जानते हैं। इसके अलावा गुरु पद्मसंभव, ‘दूसरा बुद्ध’ से जुड़ा एक स्थल है, जिसे अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत दोनों में मोनपास (तिब्बती बौद्ध) द्वारा भी पवित्र माना जाता है। इंटेलिजेंस ने कहा है कि बीजिंग ने जलप्रपात के चारों ओर निगरानी कैमरे, प्रोजेक्टर और बड़ी स्क्रीन लगाई हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान, अरुणाचल प्रदेश सरकार और भारतीय सेना ने विवादित एलएसी के आसपास पर्यटक बुनियादी ढांचे और सड़क संपर्क में सुधार के लिए मिलकर काम किया है। जुलाई 2020 को, मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने विवादित क्षेत्र के पास एक गोम्पा का उद्घाटन किया, जो एलएसी से लगभग 250 मीटर की दूरी पर है। 9 अक्टूबर, 2022 को खांडू ने क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसने पर्यटकों को घूमने के लिए प्रेरित किया।