नवी मुंबई में ATS की बड़ी कार्रवाई, अवैध रूप से रह रहे 3 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

नवी मुंबई नामक शहर में पुलिस ने बांग्लादेश के तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वे बिना अनुमति के शहर में रह रहे थे। पुलिस को एक गुप्त सूचना के माध्यम से उनके बारे में पता चला और वे उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक इमारत में गए जहां वे रह रहे थे। आतंकवाद निरोधी दस्ते नामक कुछ विशेष पुलिस अधिकारियों ने महाराष्ट्र के नवी मुंबई में एक इमारत पर छापा मारा जहां लोग रहते हैं। उन्होंने अवैध रूप से वहां रह रहे बांग्लादेश के 3 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने गुरुवार को इस बारे में सभी को बताया. प्राप्त जानकारी के बाद, एटीएस नामक एक विशेष टीम खारघर के ओवेगांव नामक इलाके में गई। उन्होंने घरों के एक समूह की तलाशी ली और तीन व्यक्तियों को पकड़ा। यह जानकारी खारघर के पुलिस स्टेशन में काम करने वाले एक शख्स ने साझा की है. उन्होंने कहा कि जब उनसे सवाल पूछे गए तो उनमें से किसी के पास भारत जाने और वहां रहने के लिए सही कागजात नहीं थे. तीनों ने कहा कि वे पैसे कमाने और अपना भरण-पोषण करने के लिए पास-पास काम करते थे। पुलिस ने कमाल अहमद खान, अलीम यूनुस शेख और बादल मोइनुद्दीन खान नाम के तीन लोगों को गिरफ्तार किया. उन्हें हिरासत में ले लिया गया क्योंकि उन्होंने कानून के खिलाफ कुछ किया था. पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. इसका मतलब है कि उनकी जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा दी जाएगी. आरोप भारत में प्रवेश करने और विदेशी होने के नियमों से संबंधित हैं। तीन में से दो लोग काफी समय पहले अपने माता-पिता के साथ भारत आए थे और तब से यहीं रह रहे हैं।

Maharashtra में एटीएस ने पंजाब के तीन कुख्यात बदमाशों को गिरफ्तार किया है। बदमाशों को ठाणे से गिरफ्तार किया गया है।

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Maharashtra आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने पड़ोसी जिले ठाणे से पंजाब के गैंगस्टर सोनू खत्री के तीन साथियों को गिरफ्तार किया है। एटीएस और पंजाब पुलिस की एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) ने रविवार शाम तीनों को गिरफ्तार करने के लिए सहयोग किया। Maharashtra के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने पड़ोसी जिले ठाणे से पंजाब के गैंगस्टर सोनू खत्री के तीन साथियों को गिरफ्तार किया है। एटीएस और पंजाब पुलिस की गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) ने तीनों को गिरफ्तार करने के लिए सहयोग किया, जो कथित तौर पर गैंगस्टर-आतंकवादी हरविंदर सिंह उर्फ ​​रिंदा के संपर्क में थे। अधिकारी ने बताया कि एटीएस की टीम अंबिवली की एनआरसी कॉलोनी में जाल बिछाकर आरोपी को पकड़ने में सफल रही. टीम में कालाचौकी और विक्रोली दस्ते के सदस्य शामिल थे, और स्थानीय पुलिस और पंजाब पुलिस की मदद से गिरफ्तारी की गई। इन तीनों लोगों की उम्र करीब 20-25 साल है और इन पर हत्या, हत्या के प्रयास और अवैध हथियार व विस्फोटक रखने जैसे संगीन अपराधों का आरोप है. पंजाब पुलिस उन्हें जल्द ही कोर्ट में पेश करेगी।

Teesta Setalvad ATS की हिरासत में:गुजरात दंगों के मामले में साजिश रचने का आरोप, Supreme Court ने कल जांच की बात कही थी

गुजरात में 2002 में हुए दंगे के मामले में गुजरात ATS ने एक्टिविस्ट Teesta Setalvad और गुजरात के पूर्व DGP आरबी श्रीकुमार को हिरासत में ले लिया है। सीतलवाड़ को उनके मुंबई के घर से हिरासत में लिया गया। उन्हें सांताक्रूज पुलिस स्टेशन लाया गया है। इसके बाद गुजरात ATS उन्हें अहमदाबाद ले जाने की तैयारी कर रही है। गुजरात दंगों के मामले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने Teesta सीतलवाड़, पूर्व IPS संजीव भट्ट और गुजरात के पूर्व DGP आरबी श्रीकुमार के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाकर साजिश रचने का मामला दर्ज किया है। संजीव भट्ट पहले से जेल में हैं, जबकि तीस्ता और श्रीकुमार को अब हिरासत में लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, गुजरात पुलिस ने तीस्ता के खिलाफ शनिवार को ही FIR दर्ज की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- तीस्ता की भूमिका की जांच होसुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को शुक्रवार यानी 24 जून को खारिज कर दिया था। यह याचिका जकिया जाफरी ने दाखिल की थी। जकिया जाफरी के पति एहसान जाफरी की इन दंगों में मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मामले में को-पेटिशनर सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। कोर्ट ने Teesta Setalvad की भूमिका की जांच की बात कही थी। गृहमंत्री शाह बोले- Teesta के NGO ने गलत जानकारी दी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को Teesta सीतलवाड़ के NGO को गुजरात दंगों के बारे में निराधार जानकारी देने के लिए फटकार लगाई। शाह ने उनके NGO की मदद करने के लिए UPA सरकार पर भी हमला बोला था। जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थीदंगों की जांच में NGO की भूमिका पर बोलते हुए गृहमंत्री ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थीं। इस NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर दस्तखत किए और उन्हें पता तक नहीं है। सब जानते हैं कि Teesta सीतलवाड़ का NGO ये सब कर रहा था। उस समय की UPA सरकार ने NGO की बहुत मदद की।’ ईकोसिस्टम इतना मजबूत कि लोग इसे सच मानने लगेगुजरात दंगों को रोकने के लिए पुलिस और अधिकारियों के कथित तौर पर कुछ न कर पाने के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि BJP विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और एक NGO ने मिलकर आरोपों का प्रचार किया। इनका ईकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इसे ही सच मानने लगे। गुजरात में 2002 में हुई थी सांप्रदायिक हिंसा27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग लगने से 59 लोग मारे गए थे। ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गोधरा कांड के अगले दिन, यानी 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे, जो इसी सोसायटी में रहते थे। इन दंगों से राज्य में हालात इतने बिगड़ गए थे कि तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी। जांच आयोग ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थीगोधरा कांड की जांच के लिए 6 मार्च 2002 को गुजरात सरकार ने नानावटी-शाह आयोग का गठन किया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने। आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 को पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई। 2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिस कारण गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और इसका नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया। इसने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी वही बात दोहराई गई, जो रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई थी।