परिवहन मंत्री बृजेन्द्र सिंह ओला के काफिले में मोटर वाहन कैंपर कार की तरह ही घूमती हुई 5 किलोमीटर लंबी सड़क पर चलती हुई चलती है। हालाँकि पुरावशेष सभी बच्चे हो गए। बाकी लोगों ने उन पर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन जिस तरह के बच्चों को ओपन कैंपर कार में ले जाया जा रहा था, ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल हो गए।
यह है कि यह काफिला सड़क सुरक्षा एवं परिवहन मंत्री बृजेन्द्र सिंह ओला का बताया जा रहा है। हादसा रविवार सुबह 11 बजे झुंझुनू के विरासत गांव हेरीज़पुरा से देर रात तक स्मारक और सम्मान समारोह में गया।
साथ में परिवहन विभाग के अधिकारी भी थे। अधिकारियों की 3 जीप और सिलिकॉन सबसे आगे चल रही थी। इसके बावजूद उद्योगपति बने। युवाओं और बच्चों को खुले कैंप में सवार कर बिना सुरक्षा के काफिले में शामिल किया गया।

बच्चा बाल-बाल बच्चा
गनीमत यह रही कि किसी भी बच्चे को ज्यादा चोट नहीं आई। लेकिन पीछे से अगर तेज गति से कोई वाहन निकले तो बच्चों के साथ बड़ा हादसा हो सकता है। कपूर से बेहाल दो बच्चों को चोट लगी है। इस घटना का वीडियो सामने आया है.
वीडियो में देखा जा रहा है कि मोटरसाइकल हुई कैंपर कच्चे रास्ते से पक्की सड़क पर तेजी से चढ़ी हुई है। कई वाहन खरीद से आ रहे थे। सबसे अधिक कैंपर के पीछे (लोडिंग क्षेत्र) चाइल्ड किनारे पर बैठे थे। वे एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर बैठे थे। कुछ बच्चों ने हाथ में झंडे और झंडे ले रखे थे।
कैंपर टर्न पर तेजी से घूमी तो बच्चा धड़ाधड़ साइकिल चला गया। कैंपर के ड्राइवर को तब पता चला जब पीछे से लोग चिल्लाते हुए रुके की बात देखने लगे। बड़ी बात ये है कि सामने के तीन पत्थरों में पुलिस थी। इसके बाद कैंपर में बच्चों को रखा गया था। सड़क पर उतरने से बच्चों को ज्यादा चोट लगी। एक बच्चे का मोबाइल छिटककर दूर गिर गया।
मंत्री-अधिकारी सबने की अनदेखी
वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्चा कैंपर गाड़ी में ठुमंस-ठूंस कर रहा था। सवाल ये है कि परिवहन मंत्री के परिवार में अनभिज्ञता की अनदेखी क्यों की गई। काफ़िले में सबसे आगे ट्रांसपोर्ट ऑफिसर्स की दुकानें थीं, ऐसे में उनकी भी जिम्मेदारी थी कि वे बच्चों की जान जोखिम में डालकर लोगों को अलग कर दें।
इस मामले में सदर थाने के इरादों से बात की गई तो उन्होंने घटना की जानकारी होने से इंकार कर दिया।