सियासी फिल्म के 11वें दिन की शाम… अटकलों और अनुमानों पर पूर्ण विराम। एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके साथ देवेंद्र Fadnavis ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों को बधाई भी दी।
ये तो हुआ फिल्म का क्लाइमैक्स… लेकिन अब इससे पहले के सीन पर भी नजर डाल लीजिए… जगह मुंबई। काले माइक के सामने Fadnavis बोलते हुए और उनकी दायीं ओर सिर पर लाल टीका लगाए हाथ बांधे मौन बैठे शिंदे। कुछ पुरानी बातें और फिर सीधे हीरो के नाम का ऐलान- ‘एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री।
आज ही शाम साढ़े सात बजे शपथ लेंगे, वो भी अकेले। भाजपा उनका समर्थन करेगी। सरकार में शामिल भी होगी, लेकिन मैं सरकार से बाहर रहूंगा।’ ये ऐसी घोषणा थी जिसने सभी न्यूजरूम की बनी-बनाई खबर बिगाड़ दी। सबने फडणवीस को मुख्यमंत्री लिख रखा था। हमने भी, लेकिन खबर में चौंकाने वाला एंगल आना फिर बाकी था।
Fadnavis ने जैसे ही सरकार से बाहर रहने की बात कही, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय हो गया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि फडणवीस ने बड़ा दिल दिखाया है। अब उन्हें डिप्टी CM का पद स्वीकार करना चाहिए। इसके बाद अमित शाह ने कहा कि फडणवीस सरकार में शामिल होने के लिए मान गए हैं। इसके बाद फौरन राजभवन में दो की जगह तीन कुर्सी लगाई गई।
मोदी बोले- Fadnavis भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नई सरकार को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- देवेंद्र फडणवीस जी को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने पर बधाई। वह हर भाजपा कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा हैं। उनका अनुभव और विशेषज्ञता सरकार के लिए एक संपत्ति होगी। मुझे विश्वास है कि वह महाराष्ट्र के विकास पथ को और मजबूत करेंगे।
शाह और नड्डा ने Fadnavis के सरकार में शामिल होने की पुष्टि की
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री की घोषणा और फडणवीस के सरकार में शामिल नहीं होने के ऐलान के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मीडिया के सामने आए और फडणवीस को बड़े दिल वाला नेता बताया। उन्होंने फडणवीस से गुजारिश की कि वे नई सरकार में शामिल हों और डिप्टी सीएम की कुर्सी संभालें। नड्डा ने इसके बाद कहा कि केंद्रीय नेतृत्व का भी ये निर्देश है कि देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम पद की शपथ लें।
इधर, नड्डा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी Fadnavis के सरकार में शामिल होने की पुष्टि की है। इसके बाद फडणवीस ने भी ट्वीट कर लिखा- एक कार्यकर्ता के नाते पार्टी के आदेश का मैं पालन करता हूं। जिस पार्टी ने मुझे सर्वोच्च पद तक पहुंचाया, उसका आदेश मेरे लिए सर्वोपरि है।
शिंदे बोले- भाजपा ने बड़ा दिल दिखाया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकनाथ शिंदे ने कहा- बाला साहेब के हिंदुत्व और राज्य के विकास के एजेंडे के साथ हम साथ आए हैं। हम पिछली सरकार में रहते हुए भी कुछ कर नहीं पा रहे थे। इसमें किसी का कोई स्वार्थ नहीं है। बड़ी पार्टी होते हुए भी बीजेपी ने मुझे मौका दिया। देवेंद्र जी ने बड़ा दिल दिखाया। इसके लिए देवेंद्र जी का शुक्रगुजार हूं। मैं पीएम नरेंद्र मोदी जी, गृहमंत्री अमित शाहजी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का शुक्रगुजार हूं।
विधायकों को खरोंच भी नहीं आने दूंगा
देवेंद्र जी कैबिनेट में नहीं होंगे, लेकिन हमें मार्गदर्शन देते रहेंगे। एक तरफ बड़े-बड़े नेता हैं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे जैसे कार्यकर्ता को मौका दिया जा रहा है। एक मजबूत सरकार हम लोगों को देखने को मिलेगी। यह सरकार देश में एक मिसाल होगी। सहयोगियों को भी धन्यवाद देता हूं। मैं छोटा कार्यकर्ता हूं, लेकिन 50 विधायकों ने मुझमें जो भरोसा दिखाया है। उस भरोसे को मैं एक खरोंच भी नही आने दूंगा। केंद्र सरकार महाराष्ट्र को मदद करेगी। इससे राज्य का विकास होगा।
Fadnavis बोले- सत्ता के लिए पाला बदला
राजभवन में फडणवीस ने मीडिया से कहा कि जनता ने महाविकास अघाड़ी को बहुमत नहीं दिया था। चुनाव के बाद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी। शिवसेना ने हमारे साथ चुनाव लड़ा था, लेकिन शिवसेना ने कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर सरकार बना ली। सत्ता के लिए बाला साहेब ठाकरे के विचारों को भी ताक पर रख दिया।
दाउद से जुड़े मंत्री को पद से नहीं हटाया
फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सरकार के दो-दो मंत्री जेल में हैं। बालासाहेब ने हमेशा दाउद का विरोध किया, लेकिन उद्धव सरकार का एक मंत्री दाउद से जुड़ा हुआ है। जेल में जाने के बाद भी उसे मंत्री पद से हटाया नहीं गया। यह बाला साहेब का अपमान है।
बुधवार देर रात उद्धव खुद कार ड्राइव कर इस्तीफा देने पहुंच�
उद्धव ठाकरे बुधवार रात करीब सवा 11 बजे इस्तीफा देने खुद ही ड्राइव कर राजभवन के लिए निकले थे। उनके साथ कार में दोनों बेटे आदित्य और तेजस ठाकरे भी थे। उद्धव जब राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने पहुंचे तो राज्यपाल ने उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था बनने तक अपने पद पर बने रहने को कहा। राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य के साथ एक मंदिर में पूजा की। इसके बाद वे अपने आवास मातोश्री पहुंचे थे।