उदयपुर hatyakand के चश्मदीद पहली बार कैमरे पर:बोले- बचाने गए तो हम पर भी hamla किया, चीखे लेकिन मदद के लिए कोई नहीं आया

उदयपुर hatyakand के चश्मदीद पहली बार कैमरे पर

टेलर कन्हैयालाल की हत्या को आज (शनिवार) पांच दिन हो गए। इस तालिबानी hatyakand के बाद से पूरे शहर में कर्फ्यू लगा है। पूरे देश में उबाल है। एहतियातन सरकार ने धारा 144 के साथ नेटबंदी तक का कड़ा निर्णय लिया है। जिस कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, उसी कांड के चश्मदीद पहली बार कैमरे पर आए हैं।

कन्हैयालाल की दुकान पर काम करने वाले कारीगर ईश्वरलाल (45) आज भी MB हॉस्पिटल में हैं। दूसरा कारीगर राजकुमार (50) घर पर है। माहौल को देखते हुए उनके घर की सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है। जब मर्डर हुआ, ये दोनों दुकान में ही थे। hatyakand के बाद दोनों कारीगर पहली बार ऑन कैमरा सामने आए। 28 जून को हुई बर्बरता का आंखों-देखा हाल इन लोगों ने भास्कर के साथ शेयर किया। राजकुमार तो घटना से कुछ देर पहले ही वहां से निकले थे।


हम चिल्ला रहे थे, मेरे सिर और कंधे पर वार किए
ईश्वरलाल करीब 4 साल से कन्हैयालाल के यहां काम करते हैं। 28 जून को भी ईश्वर दुकान पर ही थे। ईश्वरलाल ने बताया-दोपहर करीब ढाई बजे गौस और रियाज कस्टमर बनकर दुकान में आए। मैं काम कर रहा था। कुर्ता-पायजामे का नाप लेने को कहा। सेठ जी (कन्हैयालाल) सारा काम छोड़ नाप लेने लगे। तभी एक आरोपी ने अचानक सेठ जी पर हमला कर दिया। सेठ जी चीखने लगे।

पीछे मुड़कर देखा तो रियाज और गौस दोनों छुरे से हमला कर रहे थे। राजकुमार भी मेरे साथ था। मैं बचाव करने आया तो मेरे सिर और कंधे पर हमला किया। मैं जोर-जोर से चिल्लाया, लेकिन डर के मारे कोई बचाने नहीं आया।

मौत के बाद भी हमला करते रहे
राजकुमार 8 साल से कन्हैयालाल की दुकान पर काम करते हैं। राजकुमार ने बताया-धमकियों से कन्हैयालाल काफी परेशान हो रहे थे। डर के मारे CCTV लगवाए थे। उस दिन अचानक हुए हमले के बाद से मेरा परिवार डरा हुआ है। कन्हैयालाल ने नाजिम द्वारा मुकदमा दर्ज करवाने पर माफी भी मांग ली थी। इसके बाद एक महिला और पुरुष आए तो काफी कुछ सुनाया। कन्हैयालाल ने हाथ जोड़कर कहा था-हमने अनजाने में हुई गलती की माफी मांग ली है। समझौता भी हो गया। आप अपने समाज के सदर शकील भाई से पूछ लीजिएगा। इसके बाद वो महिला-पुरुष चले गए।


राजकुमार और उनकी पत्नी पुष्पा। दोनों ने बताया कि अब तो घर के बाहर एक कदम रखने से भी डर लगता है। जो इंसान माफी मांग चुका था, उसके साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं।
राजकुमार कहते हैं- आस-पास की दुकानें कम ही खुली थीं। दुकान में कन्हैयालाल, ईश्वरलाल और मैं था। अचानक हुए हमले से हम डर गए। मैं पहले बाहर आ गया। कुछ ही देर में खून से सने कन्हैयालाल बाहर आए। उनकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद भी आरोपियों ने उन पर बेरहमी से 5-6 वार किए। यह देख हर कोई डर गया। किसी में आगे आने की हिम्मत नहीं थी।

उदयपुर hatyakand के चश्मदीद पहली बार कैमरे पर

राजकुमार ने बताया कि इस hatyakand के बाद से उसका पूरा परिवार सदमे में है। 6 महीने बाद बेटी की शादी होनी है। घटना से कुछ दिन पहले ही कन्हैयालाल को जब शादी के बारे में बताया तो सहायता की बात की थी। रात में फूड डिलीवरी का काम करता हूं। अब डर लगता है कि मुझे और मेरे परिवार को कुछ हो गया तो क्या होगा?

मुझे कुछ नहीं हुआ, इसलिए किसी ने सहायता तक नहीं की। अब इतने बड़े केस में गवाह बनने से वो खुलकर काम तक नहीं कर सकेंगे। राजकुमार की पत्नी पुष्पा ने बताया कि उनके एक बेटा-एक बेटी है। इस हादसे के बाद पूरा परिवार सहम गया है। अब गली में जाने से भी डर लगता है। कुछ दिन तो निकाल दिए, लेकिन आगे क्या होगा पता नहीं। पुलिस हमें गवाह बना रही है, लेकिन सहायता करने अभी तक कोई नहीं आया।

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