
कट्टर हिन्दुत्ववादी नेता यति नरसिम्हानंद का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की अपील कर रहे हैं और हिन्दुओं से हथियार उठाने की वकालत कर रहे हैं.
पिछले हफ़्ते हरिद्वार में इन लोगों ने तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया था और इसीमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की बात खुलेआम की गई थी.
सोशल मीडिया पर यह वीडियो भारत के साथ-साथ विदेशी सोशल मीडिया यूज़र्स भी शेयर कर रहे हैं. गुरुवार को इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिज़वी उर्फ़ जितेंद्र नारायण त्यागी समेत अन्य लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है.
वसीम रिज़वी उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन थे. रिज़वी ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि उन्होंने इस्लाम छोड़ हिन्दू धर्म अपना लिया है. हरिद्वार की धर्म संसद में रिज़वी की क्या भूमिका थी, ये स्पष्ट नहीं है. इसी साल नरसिम्हानंद ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान पैग़ंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी.
WHY IS THIS NOT BEING STOPPED? With our Jawans facing enemies on 2 fronts, do we want a communal blood-bath, domestic turmoil and international disgrace? Is it difficult to understand that anything which damages national cohesion & unity endangers India’s national security? https://t.co/ZwBpEbHVyB
— Arun Prakash (@arunp2810) December 23, 2021
1971 के युद्ध के हीरो और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (रिटायर्ड) अरुण प्रकाश ने ट्विटर पर उस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है- क्या हम सांप्रदायिक ख़ून-ख़राबा चाहते हैं? अरुण प्रकाश के इस ट्ववीट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भारत के सेना प्रमुख रहे जनरल वेद प्रकाश मलिक ने भी सहमति जताई है.
Agreed. Such speeches disturb public harmony and affect national security. Action required by Civil Admin.
— Ved Malik (@Vedmalik1) December 23, 2021
सोशल मीडिया यूज़र्स हिन्दू युवा वाहिनी के एक कार्यक्रम का वीडियो भी शेयर कर रहे हैं और उसमें भी मुसलमानों के प्रति हिंसा के लिए उकसाने वाला भाषण है. इस वीडियो में हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिंसा, मौत और हत्या के लिए संकल्प लिया जा रहा है.
17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिल्ली बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय भी शामिल हुए थे. इसी धर्म संसद के वीडियो में दिख रहा है कि हिन्दुत्ववादी नेता और साधु मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिन्दुओं से हथियार उठाने की अपील कर रहे हैं.
Utterly disgusting. If the govt doesnt curb this hate mongering, it is playing with the security of the country.
— sushant sareen (@sushantsareen) December 23, 2021
दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक टेलिग्राफ़ से कहा है कि वह धर्म संसद में केवल 19 दिसंबर को 30 मिनट के लिए थे और उनके सामने नफ़रत भरा कोई भाषण नहीं दिया गया था. इसी साल अगस्त महीने में उपाध्याय को दिल्ली के जंतर मंतर पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा फैलाने वाले नारे लगाने के मामले में कुछ समय के लिए गिरफ़्तार किया गया था.
हरिद्वार की धर्म संसद के वीडियो क्लिप को ट्वीट करते हुए एडमिरल (रिटायर्ड) अरुण प्रकाश ने लिखा है, ”इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है? हमारे सैनिक दो मोर्चों पर दुश्मनों का सामना कर रहे हैं और हम सांप्रदायिक ख़ून-ख़राबा ,देश के भीतर उपद्रव और अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी झेलना चाहते हैं? क्या यह समझना इतना मुश्किल है कि राष्ट्रीय समरसता और एकता ख़तरे में पड़ेगी तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी आँच आएगी?”
एडमिरल अरुण प्रकाश के इस ट्वीट के जवाब में जनरल वेद मलिक ने लिखा है, ”सहमत. इस तरह के भाषणों से सामाजिक सद्भावना बिगड़ेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा होगा. प्रशासन इस पर कार्रवाई करे.”

‘सामाजिक समरसता के लिए ख़तरा’
टेलिग्राफ़ से एक पूर्व लेफ़्टिनेंट जनरल ने कहा, ”ये नफ़रत के सौदागर धर्मांध हैं और देश की सामाजिक समरसता के लिए ख़तरा हैं. इन्हें सरकार क्यों नहीं गिरफ़्तार कर रही है, यूएपीए क्यों नहीं लगा रही है और राजद्रोह का क़ानून क्या इनके लिए नहीं है?”
सामरिक विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने ट्वीट कर कहा है, ”यह बहुत ही घिनौना है. अगर सरकार इन्हें नहीं रोकती है तो यह देश की रक्षा से खिलवाड़ है.”
टेलिग्राफ़ ने दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अधिकारी से पूछा कि वाहिनी के कार्यक्रम को लेकर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई तो उन्होंने कहा, ”हमने दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम का वीडियो देखा है, जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ लोगों को भड़काया जा रहा है. हम ऊपर के अधिकारियों के निर्देश की प्रतीक्षा कर रहे हैं.”
I’ve instructed AIMIM #Uttarakhand Pres @DrNayyerkazmi1 to file a police complaint against #HaridwarHateAssembly. It’s a clear case of incitement to genocide. Our team has attempted to file it today but officers in Roorkee were unavailable due to other engagements 1/n pic.twitter.com/Pwp2JhjJY3
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 23, 2021
वहीं मेजर जनरल (रिटायर्ड) यश मोर ने पंजाब में लिंचिंग को लेकर ट्वीट में लिखा है, ”यह परेशान करने वाला है कि दो लोगों की पंजाब में मज़हब के नाम पर हत्या कर दी गई. हम दूसरा पाकिस्तान बन गए हैं. यह नफ़रत बंद होनी चाहिए नहीं तो हम तबाह हो जाएंगे.”
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पूरे मामले पर कई ट्वीट किए हैं. ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”उस कार्यक्रम में भाषण देने वाले ज़्यादातर लोग हमेशा नफ़रत और हिंसा फैलाने के लिए लोगों को उकसाते हैं और सत्ता से इनका क़रीबी संबंध है. केंद्र और उत्तराखंड की बीजेपी सरकार नरसंहार के लिए इस अपील में साथ है. अब तक कोई गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई? सरकार की तरफ़ से कोई निंदा क्यों नहीं हुई?”
ओवैसी ने लिखा है, ”नरसंहार के लिए उकसाना जेनुसाइड कन्वेंशन 1948 के तहत अपराध है. भारत इस कन्वेंशन के साथ था लेकिन अपराधियों को सज़ा देने में नाकाम रहा है.”