धरमिंदर सिंह ने सविंदर पाल सिंह और गगनप्रीत सिंह को नकली नाविक की किताब देकर धोखा दिया और उनसे 10 लाख रुपये ले लिए। जब वे मेक्सिको पहुंचे, तो वे सभी धरमिंदर सिंह को 30 लाख रुपये देने पर सहमत हुए।
आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने सविंदर पाल सिंह और गगनप्रीत सिंह नाम के दो लोगों को पकड़ा, जिनके पास नकली सीमैन बुक थी, जब वे इस्तांबुल से दिल्ली वापस आए। इमिग्रेशन ब्यूरो ने उन्हें पूछताछ के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस को दे दिया। उन्होंने पुलिस को बताया कि धरमिंदर सिंह नाम के शख्स ने उन्हें नकली किताब दी थी.
एयरपोर्ट पर कार्यरत डीसीपी उषा रंगनानी ने दो ऐसे लोगों से बात की जो बेहतर जिंदगी के लिए अमेरिका जाना चाहते थे. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनकी मुलाकात धरमिंदर सिंह नाम के एक अन्य व्यक्ति से हुई. धरमिंदर ने वादा किया कि अगर वे उसे 40 लाख रुपये देंगे तो वह उनमें से एक को विदेश जाने में मदद करेगा। उन्होंने उसे पहले ही 10 लाख रुपये दे दिए थे और 6 लाख रुपये बैंक खाते में डाल दिए थे जबकि बाकी 4 लाख रुपये धरमिंदर को नकद दे दिए थे।
सविंदर पाल सिंह और गगनप्रीत सिंह ने कुछ गलत करने की बात स्वीकार की, इसलिए पुलिस इसमें शामिल धरमिंदर सिंह नाम के एक अन्य व्यक्ति को ढूंढना चाहती थी। उन्होंने धरमिंदर सिंह को पकड़ने के लिए यशपाल सिंह नाम के एक पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम बनाई। टीम में सरोज नाम की एक महिला पुलिसकर्मी और ओमप्रकाश नाम का एक अन्य अधिकारी भी था. पुलिस को सूचना मिली कि धरमिंदर सिंह मुंबई एयरपोर्ट से दूसरे देश भागने की फिराक में है.
डीसीपी उषा रंगनानी को कुछ जानकारी मिली और उन्होंने तुरंत एक टीम मुंबई एयरपोर्ट पर भेजी. उन्होंने धरमिंदर सिंह नाम के एक शख्स को पकड़ा, जो मूल रूप से पंजाब के फतेहगढ़ साहिब का रहने वाला है. वह दुबई में ठेकेदार के रूप में काम करता है। पुलिस को पता चला कि वह पंजाब में विदेश जाने के इच्छुक युवाओं को बरगलाने के लिए लोगों के साथ काम कर रहा है।
जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सविंदर पाल सिंह और गगनप्रीत सिंह को एक निश्चित रकम पर मैक्सिको भेजने का समझौता किया था. वे कुल मिलाकर 40 लाख रुपये देने पर सहमत हुए, लेकिन शुरुआत में उन्होंने केवल 10 लाख रुपये का भुगतान किया। उन्होंने 6 लाख रुपये बैंक खाते में डाले और 4 लाख रुपये नकद दिए। उन्होंने शेष 30 लाख रुपये मेक्सिको पहुंचने पर देने की योजना बनाई।