कनाडा की ओछी हरकत…चीन-पाकिस्तान ने भी कभी नहीं किया ऐसा, भारत ने दिया करारा जवाब!

भारत कनाडा तनाव: कनाडा दूतावास में रेलवे भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी का नाम कनाडा की सरकार ने जगाहिर कर दिया है। आम तौर पर यह परंपरा है कि किसी अन्य देश के खुफिया अधिकारी का नाम शामिल नहीं किया जाता है। यहां तक ​​कि किसी कंपनी और दुकान ने भी भारत के किसी रॉ ऑफिसर का नाम शेयर नहीं किया है।

खालिस के समर्थक कनाडा से भारत के रिलेटिव्स के सबसे प्यारे डॉयटर पर पहुंच गए। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की सरजमीं पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निजजर की हत्या का आरोप भारतीय सुरक्षा एजेंसी पर लगाया था। अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए कनाडा ने एक ऐसी हरकत की है, जो कभी और चीन जैसे विरोधी राष्ट्र ने भी आज तक नहीं की थी। कनाडा ने भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी पवन कुमार राय का नाम जान उजागर कर दिया।

भारत ने कई बार पहले भी चीन और दुकानों के गोदामों का निरीक्षण किया था, लेकिन कभी भी उनकी खुफिया एजेंसी के अधिकारी का नाम उजागर नहीं किया गया। यहां तक ​​कि भारत के कट्टर विरोधी देशों की कंपनियों और कंपनियों ने भी इस तरह की खुफिया एजेंसी के अधिकारियों का नाम कभी उजागर नहीं किया। कनाडा की इस ओछी हरकत की हर कोई आलोचना कर रही है।

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खुफिया एजेंसी के अधिकारी को लेकर चल रही है परंपरा?
यह एक पुरानी परंपरा है कि अन्य देशों में मौजूद दूतावासों में खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी की मध्यस्थता की जाती है। इस बात की जानकारी केवल उस देश की सरकार को ही दी जाती है, जहां यह दूतावास होता है। यह परम्परा चल रही है कि कभी भी उक्राट देश के इस अधिकारी का नाम सामने नहीं आता है। यह पहला मौका है जब कनाडा ने भारतीय एजेंसी के अधिकारी पवन कुमार राय का नाम जगजाहिर कर ओझी मान्यता की है। पवन कुमार राय को अपने देश से वापस लिए गए कनाडा ने भारत वापसी का आक्षेप लगाया है।

भारत ने भी दिया करारा जवाब
कनाडा की इस ओछी हरकत का भारत सरकार की तरफ से भी जवाब दिया गया. भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कनाडा के खुफिया अधिकारी ओलिवियर सिल्वे स्टार्स को निर्दोष करार दिया है। शेष पांच दिनों के अंदर भारत आउटलुक का ऑर्डर जारी हो गया है। भारत सरकार ने कनाडा के सभी सहयोगियों को ब्लॉग और बेबुनियाद पर अधिकार दिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कनाडा सरकार के अनुयायियों को वोट दिया गया और बेबुनियाद पर अधिकार दिया गया। साथ ही एकलव्य भारत विरोधी कम्युनिस्ट पार्टी में लिगुप्त खालिस्तानी इंस्टीट्यूट पर एक्शन लेने की सलाह दी गई।

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