कोलकाता डॉक्टर मौत मामला: हर घर में संजय रॉय जैसा बेटा होना चाहिए…कोलकाता डॉक्टर हत्याकांड के आरोपी की मां ने ऐसा क्यों कहा? बेटे की 4 शादियों का सच भी बताया
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक भयानक अपराध पर काफ़ी ध्यान दिया जा रहा है, जहाँ आरजी मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की गई। इस बारे में सुनकर कई लोग बहुत दुखी हुए और अब डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। इस अपराध के आरोपी संजय रॉय ने स्वीकार किया है कि उसने ऐसा किया है। उनकी माँ मालती रॉय अब पहली बार मीडिया से बात करने के लिए आगे आई हैं। उन्होंने अपने बेटे की शादियों और अपने बेटे की सास के आरोपों के बारे में सवालों के जवाब दिए। कोलकाता रेप मर्डर केस: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के आरोपी संजय रॉय की माँ मालती रॉय ने पहली बार मीडिया से बात की है। उन्होंने अपने बेटे पर लगे गंभीर आरोपों के बारे में अपने विचार साझा किए और यह भी बताया कि क्या यह सच है कि संजय की चार बार शादी हुई है। मालती रॉय ने जो कुछ भी कहा, उसे जानने के लिए आप पूरा इंटरव्यू पढ़ सकते हैं। टीवी पर एक बातचीत में संजय की माँ मालती रॉय से पूछा गया कि संजय पर आरजी कार में एक महिला डॉक्टर को चोट पहुँचाने और उसकी हत्या करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि संजय अकेले शामिल नहीं हो सकते हैं और अन्य लोग भी हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संजय ने अपनी पत्नी के निधन के बाद शराब पीना शुरू कर दिया था। संजय की माँ ने बताया कि उसने अपनी पत्नी को ठीक करने के लिए बहुत सारा पैसा खर्च किया क्योंकि उसे कैंसर था। संजय की माँ उसके साथ खड़ी है, भले ही लोग कह रहे हैं कि उसने कुछ बहुत बुरा किया है। वह कहती है कि वह लंबे समय से घर पर नहीं रह रहा है क्योंकि वह बाजार में काम करने के लिए बाहर चला गया था। उसके खिलाफ गंभीर आरोपों के बावजूद, वह मानती है कि संजय एक अच्छा इंसान है और हर घर में उसके जैसा कोई होना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि वह ऐसा कैसे कह सकती हैं, क्योंकि वह भी एक महिला हैं और संजय पर एक महिला डॉक्टर को चोट पहुँचाने और उसकी हत्या करने का आरोप है, तो उन्होंने बताया कि संजय ने उनके परिवार की देखभाल की, खासकर जब उनकी पत्नी को कैंसर था। इस दावे के बारे में कि संजय ने कई बार शादी की है और महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार किया है, उनकी माँ मालती रॉय ने कहा कि यह सच नहीं है। वह कहती हैं कि संजय की सिर्फ़ एक बार शादी हुई है और उनकी सास की बेटी ने उनसे शादी करने का फ़ैसला किया है। मालती ने माना कि संजय ने एक बार एक लड़की को मारा था, जिसके कारण पुलिस में शिकायत दर्ज हुई थी, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उसके बाद से उन्होंने किसी महिला को चोट नहीं पहुँचाई है।
अरशद नदीम को सर्कस बना दिया गया है, कभी आतंकी से मिलते हैं, कभी पैसे के लिए सेल्फी लेते हैं, नकली बन रहा है पाकिस्तान का सोना
अशरफ नदीम ने जीता स्वर्ण पदक: अशरफ नदीम ने 40 साल में पहली बार ओलंपिक में पाकिस्तान के लिए स्वर्ण पदक जीता। पाकिस्तान में लोग बहुत खुश हैं और खूब जश्न मना रहे हैं। पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले अशरफ नदीम को लेकर पाकिस्तान के लोग और सरकार बहुत मूर्खतापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं। नदीम 40 साल में पाकिस्तान के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले व्यक्ति हैं और हर कोई उनका जश्न मना रहा है और उन्हें सम्मानित कर रहा है। लेकिन वे इसे इतने मज़ेदार और अजीब तरीके से कर रहे हैं कि यह हास्यास्पद लगता है। जब अशरफ नदीम पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर अपने गांव वापस आए, तो उनके ससुर मोहम्मद नवाज ने उन्हें एक भैंस तोहफे में दी। यह उनके गांव में एक आम परंपरा है, इसलिए किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। लेकिन फिर, एक वीडियो में दिखाया गया कि कोई व्यक्ति अशरफ नदीम से मिलता है और उन्हें ढेर सारे पैसे देता है। साथ ही, एक व्यवसायी ने नदीम को तोहफे में एक ऑल्टो कार दी। 🚨🚨🚨Big Expose: The sinister connection between Pak sportsman Arshad Nadeem & UN designated terrorist organisations fin sec Harris Dhar (Lashkar-e-Taiba) 📍It's evident from their conversation that this video is very recent after Arshad Nadeem's return from the Paris Olympics… pic.twitter.com/ko8OlJ81ct — OsintTV 📺 (@OsintTV) August 12, 2024 पंजाब (पाकिस्तान) की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने मंगलवार को अशरफ नदीम के घर जाकर उन्हें 10 करोड़ रुपए दिए। उन्होंने उन्हें होंडा सिविक कार भी उपहार में दी। उसी दिन प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने एक समारोह के दौरान अरशद नदीम को 15 करोड़ रुपए (5 लाख 38 हज़ार डॉलर) का चेक देकर सम्मानित किया। हालाँकि, एक तस्वीर सामने आई जिसमें अशरफ़ नदीम को आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य हारिस डार से मिलते हुए दिखाया गया। इस पर कई लोगों ने नदीम की आलोचना की और उनके भारतीय दोस्त नीरज चोपड़ा को भी विवाद में घसीटा। सोशल मीडिया पर लोगों ने नीरज को नदीम से दूर रहने की सलाह दी। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान और अशरफ़ नदीम ओलंपिक गोल्ड जीतने के बाद मिल रही चर्चा से जूझ रहे हैं। हर कोई नदीम को उपहार दे रहा है, और वह उन्हें विनम्रता से स्वीकार कर सकता है, यह महसूस नहीं कर रहा कि इससे संभावित परेशानी हो सकती है। आतंकवादी के साथ उसकी मुलाकात विशेष रूप से चिंताजनक है और उसका करियर खतरे में पड़ सकता है।
कोलकाता डॉक्टर हत्याकांड: कोलकाता रेप केस की जांच CBI करेगी, कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानें उस दिन क्या हुआ था?
कोलकाता में जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर पुलिस रविवार तक अपनी जांच पूरी नहीं कर पाती है तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा। पीड़िता के माता-पिता भी चाहते थे कि सीबीआई जांच करे। सोमवार को जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे मिलने गईं तो उन्होंने भी यही कहा। कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले पर गौर किया और बिना किसी के कहे ही इसे संभालने का फैसला किया। उन्होंने मामले की विस्तृत जानकारी सुनी और फिर पुलिस से कहा कि सीबीआई (विशेष जांच दल) को बुधवार सुबह तक जांच अपने हाथ में लेने दें, चाहे कुछ भी हो जाए। अगली बार वे मामले के बारे में तीन हफ्ते बाद बात करेंगे। हाईकोर्ट पूरी जांच पर नजर रखेगा। इससे पहले हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा था कि वे दोपहर एक बजे तक मामले की पूरी जानकारी उन्हें दें। इससे उन्हें मामले के बारे में कई नई बातें जानने में मदद मिली। लड़की के माता-पिता दोपहर एक बजे पहुंचे, ठीक उसी समय जब फोरेंसिक टीम सबूत इकट्ठा कर रही थी। उन्हें थोड़ी देर इंतज़ार करने के लिए कहा गया, लेकिन 10 मिनट बाद उन्हें उस कमरे में ले जाया गया जहाँ उनकी बेटी का शव था। कुर्सियाँ लगाई गई थीं ताकि वे देख सकें कि फोरेंसिक टीम क्या कर रही थी। इसलिए, माता-पिता का यह दावा कि उन्होंने अपनी बेटी का शव देखने के लिए तीन घंटे इंतज़ार किया, सच नहीं था।
पाकिस्तानी ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अशरफ नदीम मुसलमान के साथ-साथ राजपूत भी कैसे हैं, इतना बड़ा समुदाय
अशरफ नदीम के परिवार को उन पर बहुत गर्व है क्योंकि उन्होंने पेरिस ओलंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता था। भले ही वे मुस्लिम हैं, लेकिन वे खुद को सुखेरा राजपूत भी कहते हैं, जो लोगों का एक विशेष समूह है। पाकिस्तान में कई सुखेरा राजपूत रहते हैं। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में भाला नामक एक लंबी छड़ी को 92 मीटर तक फेंककर स्वर्ण पदक जीता! वह पाकिस्तान में सुखेरा राजपूत समुदाय नामक लोगों के एक समूह का हिस्सा हैं। भले ही अरशद एक मुस्लिम हैं, लेकिन उनका परिवार गर्व से खुद को राजपूत कहता है। हम बाद में पता लगाएंगे कि क्यों। वह पंजाब क्षेत्र में मियां चानू नामक जगह में रहते हैं। उनके समूह, सुखेरा राजपूत कबीले को सुखेरा के नाम से भी जाना जाता है। सुखेरा लोगों का एक समूह है जो पाकिस्तान के पंजाब में रहते हैं, और उनका एक विशेष उपनाम सुखेरा है। वे एक बड़े परिवार की तरह हैं जो तोमर राजपूतों से आते हैं, जो प्रसिद्ध योद्धा थे। सुखेरा पछाड़ा नामक एक बड़े समुदाय के चार छोटे समूहों में से एक है। अन्य समूह साहू, हिंजरा और चोटिया या भनेका हैं। इनमें से प्रत्येक समूह का मानना है कि वे जाने-माने राजपूत परिवारों से आते हैं। बहुत से लोग आज भी हरियाणवी भाषा में बात करते हैं। वे सभी इस्लाम की सुन्नी शाखा का पालन करते हैं। उनकी परंपराएँ और काम करने के तरीके पाकिस्तान में रहने वाले अन्य हरियाणवी मुसलमानों जैसे रंगहर और मेव समूहों से काफ़ी मिलते-जुलते हैं। बहुत समय पहले, भारत में सुखेरा राजपूत नामक लोगों का एक विशेष समूह था। वे राजपूतों के नाम से जाने जाने वाले एक बड़े समूह का हिस्सा हैं। विशेष रूप से, वे डोडिया राजपूत परिवार और पुरावत कबीले से संबंधित हैं। कई साल पहले, इस राजपूत समूह के कुछ लोगों ने इस्लामी धर्म का पालन करने का फैसला किया, लेकिन फिर भी अपनी राजपूत परंपराओं और पहचान को बनाए रखा। आज, पाकिस्तान में इस समूह से आने वाले कई मुसलमान खुद को सुखेरा राजपूत कहते हैं। अरशद उनमें से एक हैं, और उनके परिवार को सुखेरा कहलाने पर बहुत गर्व है। सुखेरा राजपूतों के लिए इस्लामी धर्म में परिवर्तन बहुत समय पहले मध्यकाल के दौरान शुरू हुआ जब मुगल सम्राट भारत के प्रभारी थे। सुखेरा समेत कई राजपूतों ने 12वीं सदी के बाद अलग-अलग कारणों से इस्लाम धर्म अपनाना शुरू कर दिया। सुखेरा राजपूतों का इतिहास रावत प्रताप सिंह डोडिया नामक एक नेता से जुड़ा है, जो उनके समूह के पहले नेता थे। समय के साथ, सुखेरा राजपूतों के नेता विवाह करके और दूसरे शाही परिवारों के साथ दोस्ती करके महत्वपूर्ण बने रहे। ऐसा क्यों हुआ? जब मुसलमानों ने शासन करना शुरू किया, तो देश में चीजें बदलने लगीं। कुछ राजपूत, जो महत्वपूर्ण लोग थे, ने मुसलमान बनने का फैसला किया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उन्हें ज़्यादा ताकत और पैसा मिलेगा। उनमें से कुछ नए शासकों के साथ दोस्ती करना चाहते थे। दूसरों ने अपना धर्म बदल लिया क्योंकि उन्हें हिंदू समाज के सख्त नियम पसंद नहीं थे। लोगों ने अपनी विशेष हिंदू परंपराओं और जीवन शैली को बनाए रखा। बहुत समय पहले, कुछ राजपूत, जो योद्धा थे, ने इस्लाम का पालन करना शुरू कर दिया, लेकिन फिर भी अपनी कई पुरानी हिंदू परंपराओं को बनाए रखा। वे आज भी यही करते हैं, और इससे उन्हें याद रखने और यह दिखाने में मदद मिलती है कि उनका परिवार कौन है। कई राजपूत परिवारों ने इस्लाम का पालन करना शुरू कर दिया। पंजाब और सिंध में कुछ जगहों पर सुखेरा जैसे कई राजपूत परिवार इस्लाम का पालन करने लगे। भले ही उन्होंने अपना धर्म बदल लिया, लेकिन उन्होंने अपनी राजपूत परंपराओं को बनाए रखा और मुस्लिम राजपूत के रूप में जाने गए। वे आज भी अपने पुराने रीति-रिवाजों और पारिवारिक तौर-तरीकों का पालन करते हैं। सुखेरा पंजाबी क्षेत्र के लोगों का एक समूह है। बहुत समय पहले, पंजाब में कई राजपूत परिवारों ने अपना धर्म बदलकर इस्लाम अपना लिया था। सुखेरा ने भी अपने क्षेत्र में होने वाली घटनाओं, मुस्लिम शासकों से उनकी मुलाकातों और उस समय के नियमों और शर्तों के कारण ऐसा ही किया। मुस्लिम सुखेरा राजपूत और हिंदू राजपूत एक जैसे हैं क्योंकि वे दोनों राजपूत कहलाने वाले लोगों के समूह से हैं। भले ही उनके धर्म अलग-अलग हों, लेकिन वे एक ही विरासत और इतिहास साझा करते हैं। यह एक ही बड़े परिवार का हिस्सा होने जैसा है, लेकिन अलग-अलग मान्यताएँ हैं। बहुत समय पहले, मुस्लिम सुखेरा राजपूत और हिंदू राजपूत एक ही बड़े परिवार का हिस्सा थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वे अलग-अलग धर्मों का पालन करने लगे, जिसका मतलब है कि उन्होंने कुछ चीजें अलग-अलग तरीके से करनी शुरू कर दीं। हालाँकि अब उनके कुछ नए रीति-रिवाज हैं, लेकिन वे अभी भी कुछ पुराने रीति-रिवाजों को साझा करते हैं। आइए जानें कि आज वे कैसे अलग हैं। सुखेरा राजपूत मुस्लिम हैं, जिसका मतलब है कि वे इस्लामी आस्था का पालन करते हैं। यह बताता है कि वे कैसे प्रार्थना करते हैं, वे कौन से विशेष समारोह करते हैं और कौन से त्यौहार मनाते हैं। अब वे जो सबसे बड़ी छुट्टियां मनाते हैं, उनमें से एक ईद है। भोजन – कई हिंदू राजपूत केवल सब्जियाँ खाते हैं, लेकिन मुस्लिम सुखेरा राजपूत आमतौर पर मांस खाते हैं। हालाँकि, वे गोमांस या सूअर का मांस नहीं खाते हैं क्योंकि उनके धर्म, इस्लाम में इस बारे में नियम हैं कि वे क्या खा सकते हैं। पर्दा प्रथा एक तरह का पहनावा है जिसमें महिलाएँ खुद को घूंघट से ढकती हैं। मुस्लिम सुखेरा राजपूत नामक एक समूह में, महिलाएँ हमेशा ये घूंघट पहनती हैं क्योंकि यह उनके धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राजपूत नामक दूसरे समूह में, यह उतना सख्त नहीं है, इसलिए महिलाओं को हमेशा घूंघट नहीं पहनना पड़ता है। अलग-अलग समूहों के लोगों के विवाह करने के अपने-अपने खास तरीके होते हैं। उदाहरण के लिए, मुस्लिम सुखेरा राजपूत अपनी इस्लामी विवाह परंपराओं के हिस्से के रूप में निकाह नामक एक विशेष समारोह करते हैं। दूसरी ओर, हिंदू राजपूतों के पास हिंदू विवाह के लिए अपने स्वयं के अनूठे अनुष्ठान
अमेरिका पर मंडरा रही है आर्थिक मंदी, भारत के किन सेक्टरों पर पड़ेगा इस ‘आग’ का असर, पूरी रिपोर्ट
साह्म नियम एक विशेष अलार्म की तरह है जो हमें बताता है कि अमेरिका में अर्थव्यवस्था में कब समस्याएँ आने लगी हैं। अभी, यह अलार्म बज रहा है, और अन्य संकेत भी यही कह रहे हैं। यदि अमेरिका में बड़ी धन संबंधी समस्याएँ हैं (जिसे मंदी कहा जाता है), तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत के कुछ हिस्से, जैसे कि अमेरिका को सामान बेचने वाले व्यवसाय या अमेरिकी पैसे पर निर्भर कंपनियाँ, सबसे ज़्यादा प्रभावित हो सकती हैं। कुल मिलाकर, इससे भारत में लोगों के लिए चीज़ें मुश्किल हो सकती हैं, जैसे कि कम नौकरियाँ या खर्च करने के लिए कम पैसे। लोग चिंतित हो रहे हैं कि अमेरिका में जल्द ही कुछ धन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, और यह चिंता दुनिया भर में फैल रही है। जब हम अलग-अलग संकेतों और बाज़ारों के व्यवहार को देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि अमेरिका मंदी के करीब पहुँच सकता है, जो तब होता है जब अर्थव्यवस्था बहुत धीमी हो जाती है। इस लेख में, हम इस बारे में बात कर रहे हैं कि अमेरिका में इस संभावित मंदी का क्या मतलब है और यह भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकती है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ महत्वपूर्ण संकेत अच्छे नहीं दिख रहे हैं। ज़्यादातर लोग मदद मांग रहे हैं क्योंकि उनके पास नौकरी नहीं है और बिना नौकरी वाले लोगों की संख्या पिछले तीन सालों में सबसे ज़्यादा है। साथ ही, कारखाने पहले की तुलना में कम चीज़ें बना रहे हैं। हालांकि कुछ चीज़ें खराब लग रही हैं, लेकिन अच्छे संकेत भी हैं। लोगों को अब लगता है कि इस तिमाही में अर्थव्यवस्था 2.6% के बजाय 2.9% की दर से बढ़ेगी। मज़दूरी कीमतों से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रही है और घर ज़्यादा महंगे हो रहे हैं। ये सभी चीज़ें दिखाती हैं कि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है। सहम नियम ने यह भी संकेत दिया कि अर्थव्यवस्था में मंदी आ सकती है। शेयर बाज़ार में काफ़ी उतार-चढ़ाव हो रहा है क्योंकि लोगों को चिंता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है। कई लोगों को लगता है कि मदद के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कमी कर सकता है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था शायद उतनी अच्छी नहीं चल रही है। सहम नियम नामक एक विशेष नियम, जो जुलाई के नौकरी के आंकड़ों को देखता है, कह रहा है कि हम मंदी की शुरुआत कर सकते हैं क्योंकि ज़्यादा लोग अपनी नौकरियाँ खो रहे हैं। जब हम इतिहास पर नज़र डालते हैं, तो हम देख सकते हैं कि यह नियम यह बताने का एक अच्छा तरीका रहा है कि अर्थव्यवस्था कब खराब होने वाली है। साथ ही, सरकार पिछले दो सालों से अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद करने के लिए बहुत सारा पैसा खर्च कर रही है, लेकिन अब वे कम खर्च कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। पिछले कुछ समय से, ज़्यादा से ज़्यादा लोग Google पर अमेरिका में मंदी के बारे में खोज कर रहे हैं, और इन खोजों को दिखाने वाला ग्राफ़ ऊपर जा रहा है। पैसे का अध्ययन करने वाले कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थव्यवस्था के साथ कोई बड़ी समस्या अभी नहीं आने वाली है। उन्हें लगता है कि चीज़ें और धीमी गति से बढ़ेंगी, लेकिन उन्हें यकीन नहीं है कि यह कब बड़ी समस्या बन सकती है या यह कितनी बुरी हो सकती है। अगर अमेरिका में पैसे की समस्या है और वहाँ के लोग कम खर्च करते हैं, तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका भारत से बहुत सी चीज़ें खरीदता है, जैसे कपड़े और तकनीक। अगर अमेरिका कम खरीदता है, तो भारत में कुछ लोगों की नौकरी जा सकती है या वे कम पैसे कमा सकते हैं। हालाँकि, भारत को व्यापार करने के लिए नए दोस्त भी मिल सकते हैं या मज़बूत बने रहने के लिए अपने लिए ज़्यादा चीज़ें बना सकते हैं। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में समस्या आती है, तो इसका असर भारत समेत कई देशों पर पड़ेगा। शेयर बाज़ार में, अमेरिका भारत के लिए नेता की तरह है। अगर अमेरिका में चीजें ठीक चल रही हैं, तो आमतौर पर भारत में भी चीजें ठीक चलती हैं। लेकिन अगर अमेरिका में चीजें खराब होने लगती हैं, तो भारत भी इसका असर महसूस करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के साथ बहुत ज़्यादा व्यापार करते हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। जब मंदी आती है, तो लोग कम पैसे खर्च करते हैं। इसका मतलब है कि वे भारत सहित अन्य देशों से कम चीज़ें खरीदते हैं। भारत में आईटी, दवा और कपड़े जैसे महत्वपूर्ण उद्योग अमेरिका को बहुत ज़्यादा सामान बेचते हैं और मंदी के दौरान उन्हें कम ऑर्डर मिलते हैं। साथ ही, दुनिया भर में उत्पादों के आने-जाने का तरीका गड़बड़ा जाता है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किल हो जाती है जो अमेरिका को बेचने पर निर्भर हैं।
हिंडनबर्ग: यात्री अपने सामान के लिए खुद जिम्मेदार हैं…डिस्क्लेमर पढ़कर आप भ्रमित हो जाएंगे
हिंडनबर्ग रिसर्च नामक कंपनी भारत में बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच को निशाना बनाकर विवाद पैदा कर रही है। वे दावा कर रहे हैं कि उनका और उनके पति का एक बड़ी कंपनी के विदेशी फंड से संबंध है। कुछ लोगों का मानना है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट हमेशा सच होती है, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि वे झूठ फैलाकर सिर्फ पैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सेबी प्रमुख और उनके पति इन आरोपों से इनकार करते हैं। रिपोर्ट लोगों में भ्रम पैदा कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च के डिस्क्लेमर में मूल रूप से कहा गया है कि यदि आप उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं, तो आप किसी भी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार होंगे। वे उल्लेख करते हैं कि रिपोर्ट में जिन कंपनियों के बारे में उन्होंने बात की है, उनके खिलाफ उनके पास दांव हो सकते हैं और अगर शेयर की कीमतें गिरती हैं तो वे पैसा कमा सकते हैं। वे यह भी कहते हैं कि वे रिपोर्ट में उल्लिखित अन्य स्रोतों से किसी भी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं दे रहे हैं। सरल शब्दों में, वे आपको कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपना खुद का शोध करने और विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए कह रहे हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च नामक कंपनी भारत में बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच को निशाना बनाकर विवाद पैदा कर रही है। वे दावा कर रहे हैं कि उनका और उनके पति का एक बड़ी कंपनी के विदेशी फंड से संबंध है। कुछ लोगों का मानना है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट हमेशा सच होती है, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि वे झूठ फैलाकर सिर्फ पैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सेबी प्रमुख और उनके पति इन आरोपों से इनकार करते हैं। रिपोर्ट लोगों में भ्रम पैदा कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च के डिस्क्लेमर में मूल रूप से कहा गया है कि यदि आप उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं, तो आप किसी भी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार होंगे। वे उल्लेख करते हैं कि रिपोर्ट में जिन कंपनियों के बारे में उन्होंने बात की है, उनके खिलाफ उनके पास दांव हो सकते हैं और अगर शेयर की कीमतें गिरती हैं तो वे पैसा कमा सकते हैं। वे यह भी कहते हैं कि वे रिपोर्ट में उल्लिखित अन्य स्रोतों से किसी भी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं दे रहे हैं। सरल शब्दों में, वे आपको कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपना खुद का शोध करने और विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए कह रहे हैं।
बांग्लादेश संकट हमें बताता है कि भारत में CAA क्यों जरूरी है? हकीकत जानने के बाद आप सोचेंगे कि खतरा छोटा तो नहीं है?
शेख हसीना के जाने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति बदतर होती जा रही है। उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और उन पर हमला किया जा रहा है, खासकर महिलाओं और लड़कियों पर। कई हिंदू अपनी सुरक्षा के लिए ढाका में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) क्यों महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों को एक सुरक्षित स्थान प्रदान करता है। बांग्लादेश में छात्रों ने आरक्षण समाप्त करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किया। विरोध तब डरावना हो गया जब अन्य समूह इसमें शामिल हो गए और हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया। कुछ हिंदू मारे गए हैं और अब कई लोग घर वापस जाने से डर रहे हैं। ढाका में हिंदू सेना से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में एक समूह है जो सख्त इस्लामी कानूनों का पालन करना चाहता है। उनकी साझेदारी ऐसे लोगों के साथ है जो नहीं चाहते कि बांग्लादेश एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में रहे। उनका इतिहास बांग्लादेश की स्वतंत्रता के खिलाफ जाने और युद्ध के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने का रहा है। वे अपनी वेबसाइट पर खुले तौर पर कहते हैं कि वे इस्लामी नियम लागू करना चाहते हैं। तालिबान के झंडे लहराना… बांग्लादेश विरोध प्रदर्शन में तालिबान के झंडे लहराना दर्शाता है कि जमात-ए-इस्लामी तालिबान के समान विचारों का समर्थन करता है। अगर जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में अधिक शक्ति प्राप्त करता है, तो यह अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। मुहम्मद यूनुस अब अस्थायी रूप से बांग्लादेश का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन जमात-ए-इस्लामी और उनके द्वारा लाए गए तनावों को प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण होगा। बांग्लादेश के भविष्य की रक्षा करना महत्वपूर्ण है। सीएए कहता है कि दूसरों के प्रति दयालु और मददगार होना महत्वपूर्ण है। भारत का नया नागरिकता कानून उन लोगों के लिए है जो भारत आए हैं क्योंकि उनके साथ उनके ही देश में बुरा व्यवहार किया जा रहा था। अगर कोई हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई है और 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश से भारत आया है, तो वह नागरिक बनने के लिए आवेदन कर सकता है। कुछ लोग पहले ही इस कानून के तहत नागरिक बन चुके हैं। कुछ लोग अब बांग्लादेश से हिंदुओं को भी इस कानून में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
11 अगस्त 1947: गांधी ने आरोप पर बोला… जिन्ना के जाल में फंसा सूखा इलाका, माउंटबेटन ने दी थी सिकंदर को राहत
11 अगस्त, 1947 को महात्मा गांधी कोलकाता में एक प्रार्थना सभा में थे, जहाँ उन्होंने एक बड़ी भीड़ को संबोधित किया। वे अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे थे। इस बीच, कराची में मोहम्मद अली जिन्ना बीकानेर राज्य को पाकिस्तान में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे। उस दिन क्या हुआ, इसके बारे में और जानने के लिए पढ़ते रहें… अपनी किताब ‘वी फिफ्टीन डेज’ में प्रशांत पोल ने एक बैठक के बारे में लिखा है, जहाँ महात्मा गांधी ने कहा कि लोग इस बात से परेशान थे कि उनकी प्रार्थना सभाओं में केवल महत्वपूर्ण और अमीर नेताओं को ही आगे की पंक्ति में सीटें मिल रही थीं। गांधी ने बताया कि रविवार को बहुत भीड़ थी, इसलिए ऐसा लग सकता है कि केवल कुछ खास लोगों को ही अच्छी सीटें मिल रही थीं। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे बिना किसी भेदभाव के सभी को अंदर आने दें। जिन्ना उन लोगों के समूह के प्रभारी हैं जो पाकिस्तान नामक एक नए देश के नियमों पर निर्णय ले रहे हैं। कराची में सुबह करीब 9:55 बजे, कायदे-काजम मोहम्मद अली जिन्ना नामक एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति एक शानदार गाड़ी में एक विशेष इमारत में पहुंचे। उन्हें पाकिस्तान संविधान सभा नामक समूह की पहली बैठक में ही उसका नेता घोषित कर दिया गया था। कुछ अन्य महत्वपूर्ण लोगों ने उन्हें समूह का नेता बनने का सुझाव दिया था। राष्ट्रपति बनने के बाद जिन्ना ने कहा कि पाकिस्तान के संविधान पर काम करने वाले लोगों का समूह यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि रिश्वतखोरी और कालाबाजारी बंद हो और सभी लोग नियमों का पालन करें। पंजाब और बंगाल में कुछ लोग विभाजन से खुश नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान में हर कोई अपने-अपने मंदिरों या मस्जिदों में स्वतंत्र रूप से पूजा कर सकता है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। सभी धर्मों के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहेंगे और किसी के साथ उनकी मान्यताओं के कारण अलग व्यवहार नहीं किया जाएगा। बीकानेर एक छोटा सा राज्य था जिस पर जिन्ना नामक व्यक्ति का प्रभाव था। नेता लॉर्ड माउंटबेटन यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि बीकानेर भविष्य में उनके लिए कोई समस्या पैदा न करे। उन्होंने बीकानेर के कुछ महत्वपूर्ण लोगों के साथ बैठक की और उन्हें समझाया कि उनके लिए पाकिस्तान के बजाय भारत में शामिल होना बेहतर क्यों है। बैठक के बाद, उन्हें यकीन हो गया कि बीकानेर अब पाकिस्तान में विलय नहीं करेगा। लॉर्ड माउंटबेटन ने हैदराबाद के नेता को यह तय करने के लिए और समय दिया कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल होना चाहते हैं। हैदराबाद पाकिस्तान में शामिल होने के बारे में सोच रहा था, लेकिन माउंटबेटन चाहते थे कि वे निर्णय लेने से पहले थोड़ा और सोचें।
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ ऐसी हैवानियत, पुलिस कमिश्नर बोले- रेप के बाद हुई हत्या, बीजेपी ने की CBI जांच की मांग
कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई। पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है और मामले की जांच कर रही है। पीड़िता कॉलेज की छात्रा थी और कथित तौर पर उसकी मौत से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया गया था। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई है। उन्होंने पीड़िता के परिवार से कहा कि अगर वे चाहते हैं कि मामले की जांच कोई दूसरी एजेंसी करे तो पुलिस सहयोग करने को तैयार है। पुलिस ने हत्या और यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है और पारदर्शी तरीके से इस पर काम कर रही है। वे परिवार को किसी भी नई जानकारी से अवगत कराते रहेंगे। छात्र खुलकर बोल रहे हैं और दिखा रहे हैं कि वे किसी बात से नाखुश हैं। A letter written by the Federation of Resident Doctors Association (FORDA) to Union Health Minister JP Nadda regarding the incident at RG Kar Medical College. They have said if action will not be taken within 24 hours they will escalate action including shutdown of services. pic.twitter.com/5jWfPiBKTZ — ANI (@ANI) August 10, 2024 कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्र एक भयानक अपराध से परेशान हैं। वे अस्पताल में बेहतर सुरक्षा के लिए विरोध कर रहे हैं और कुछ डॉक्टर आपातकालीन कक्ष को छोड़कर काम नहीं कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि एक महिला के साथ जो हुआ उसकी त्वरित जांच हो। कुछ राजनीतिक नेता विशेष जांच और महिला के शरीर की दूसरी जांच की मांग कर रहे हैं ताकि सच्चाई सामने आ सके। कोलकाता के मुख्यमंत्री ने मरने वाली महिला के परिवार से बात की है। अस्पताल में क्या हुआ, यह पता लगाने के लिए लोगों का एक समूह मिलकर काम कर रहा है। अस्पताल की टीम में 11 लोग हैं और पुलिस के पास जांच के लिए विशेषज्ञों की एक विशेष टीम है। पीड़िता के पिता का मानना है कि उनकी बेटी को अस्पताल में घायल कर दिया गया और उसकी हत्या कर दी गई, और उन्हें लगता है कि कोई इसे छिपाने की कोशिश कर रहा है।
‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ को मिले रिस्पॉन्स से अभिभूत हुईं तापसी पन्नू, तीसरे पार्ट को लेकर बोलीं- ‘मैं बहुत…’
तापसी पन्नू ने “फिर आई हसीन दिलरुबा” नाम से एक नई फिल्म बनाई है और यह एक रोमांचक और रोमांटिक कहानी का मिश्रण है। यह अब नेटफ्लिक्स पर देखने के लिए उपलब्ध है। तापसी वास्तव में खुश हैं कि लोगों को फिल्म पसंद आ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी फिल्म का सीक्वल बनाना मुश्किल होता है। तापसी पन्नू की नई फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ अब नेटफ्लिक्स पर है। फिल्म में रानी के किरदार में उनकी एक्टिंग के लिए उन्हें काफी तारीफें मिल रही हैं। उनका कहना है कि किसी फिल्म का सीक्वल बनाना मुश्किल होता है क्योंकि लोग पहली फिल्म के बाद उससे और भी ज्यादा की उम्मीद करते हैं। तापसी पन्नू ने कहा कि किसी फिल्म का सीक्वल बनाना मुश्किल होता है क्योंकि लोग पहली फिल्म के सफल होने के बाद उससे और भी ज्यादा की उम्मीद करते हैं। उन्हें खुशी है कि लोगों को रानी का किरदार और फिल्म पहले भाग से ज्यादा पसंद आई। उन्होंने सीक्वल बनाते समय इस बारे में सोचा कि लोगों को पहली फिल्म में क्या पसंद आया। फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ 2021 में आई थी। View this post on Instagram A post shared by Netflix India (@netflix_in) तापसी पन्नू ने सीरीज की तीसरी फिल्म के बारे में क्या कहा? तापसी पन्नू खुश हैं कि लोगों को उनकी फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ पसंद आ रही है और वह इसका सीक्वल बनाने के लिए उत्साहित हैं। अगस्त में उनकी एक और फिल्म ‘खेल खेल में’ भी आने वाली है जिसमें कुछ बड़े सितारे होंगे। ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ का निर्देशन जयाप्रदा देसाई ने किया था और ‘खेल खेल में’ 15 अगस्त 2024 को रिलीज होगी।