चीनी और पाकिस्तानी ड्रोन होंगे नष्ट, खास तकनीक पर हो रहा काम, भारतीय सेना ने रूस-यूक्रेन युद्ध से ली सीख

भारतीय सेना ड्रोन को रोकने के लिए एक खास तकनीक पर काम कर रही है, जो कि उड़ने वाली मशीनें हैं। उन्होंने अभी इस तकनीक के बारे में सीखना शुरू किया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। भारतीय सेना के सभी अंग इस एंटी-ड्रोन तकनीक को तेज़ी से और अपने-अपने तरीके से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। रूस के सारातोव में एक बड़ी और डरावनी घटना हुई, जहाँ एक ड्रोन बहुत तेज़ी से उड़ा और एक ऊँची इमारत से जा टकराया। लोगों ने इसे एक वीडियो में देखा जो इंटरनेट पर तेज़ी से फैल गया। यह ड्रोन यूक्रेन से आया था। यह आश्चर्यजनक है क्योंकि रूस के पास आमतौर पर ड्रोन को रोकने के लिए बहुत अच्छी तकनीक होती है, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ ड्रोन अभी भी घुस रहे हैं और समस्याएँ पैदा कर रहे हैं। ड्रोन को पूरी तरह से रोकना वाकई मुश्किल है, जैसे कि आप हर उड़ने वाले कीड़े को नहीं पकड़ सकते। इस समस्या से निपटने के लिए, भारतीय सेना एक खास माइक्रोवेव सिस्टम खरीदना चाहती है जो ड्रोन से लड़ सके। उन्होंने भारत में स्थानीय कंपनियों से इस बारे में जानकारी माँगना शुरू कर दिया है। वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विचार का समर्थन करने के लिए इन स्थानीय कंपनियों से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं, जिसका मतलब है भारत में आत्मनिर्भर होना। भारतीय सेना एक ऐसा सिस्टम चाहती है जो दोनों काम कर सके: ड्रोन को अस्थायी रूप से भ्रमित करना और ज़रूरत पड़ने पर उसे हमेशा के लिए रोकना। भारतीय सेना के पास ड्रोन को मार गिराने के लिए हथियार हैं, लेकिन उन्हें नई तरह की गोलियों की ज़रूरत है। वे हल्के वज़न के रडार खरीदना चाहते हैं जो दूर से, लगभग 10 किलोमीटर दूर से ड्रोन को ढूँढ़ सकें और ट्रैक कर सकें। ये रडार 5 किलोमीटर के भीतर ड्रोन को पूरी तरह से मार गिराने में सक्षम होने चाहिए। साथ ही, वे चाहते हैं कि सिस्टम एक साथ 100 ड्रोन ढूँढ़ सके और उनमें से 20 पर गोली चला सके। वे इस नए सिस्टम को भारत में बनाना चाहते हैं। दुश्मन के ड्रोन को इधर-उधर उड़ने से रोकने के कई तरीके हैं। एक तरीका है लेज़र हथियार का इस्तेमाल करना जो ड्रोन को नष्ट करने के लिए तेज़ रोशनी फेंकता है। दूसरा तरीका है एक ख़ास माइक्रोवेव जो उन्हें ऊर्जा से झकझोर सकता है। ड्रोन को मार गिराने के लिए सिर्फ़ बंदूकें भी बनाई गई हैं और ख़ास ड्रोन जिन्हें दूसरे ड्रोन से लड़ने के लिए भेजा जा सकता है। कुछ सिस्टम ऐसे वाहनों पर बनाए गए हैं जो एक साथ कई ड्रोन को मार गिराने के लिए रॉकेट दाग सकते हैं। इस सिस्टम को कार, ट्रेन, प्लेन और नावों द्वारा आसानी से ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे वाहनों से जोड़ा जा सकता है और यह अन्य वायु रक्षा प्रणालियों के साथ अच्छी तरह से काम करता है। यह रेगिस्तान में 55 डिग्री जैसे बहुत गर्म मौसम को संभाल सकता है और यह पहाड़ों में माइनस 40 डिग्री जैसी बहुत ठंडी जगहों पर भी काम कर सकता है। जब यह एक मजबूत माइक्रोवेव से एक विशेष तरंग का उपयोग करता है, तो यह ड्रोन के अंदर के इलेक्ट्रॉनिक्स को खराब कर देता है। यह तरंग ड्रोन के लिए संचार करना कठिन बना देती है और इसके इलेक्ट्रॉनिक भागों को तोड़ सकती है। एक विशेष प्रणाली है जो विस्फोट किए बिना आस-पास के किसी भी ड्रोन को मार गिरा सकती है, लेकिन इसमें बहुत पैसा खर्च होता है। समस्या यह है कि अगर इसका इस्तेमाल किया जाता है, तो यह गलती से अन्य उपकरणों को भी नुकसान पहुंचा सकता है जो इसी तरह से काम करते हैं। इस वजह से, सेना को एक अलग तरह की प्रणाली की आवश्यकता है जो अन्य उपकरणों को प्रभावित किए बिना दुश्मन के ड्रोन को विशेष रूप से लक्षित और नष्ट कर सके। अभी, पाकिस्तान को चीन, तुर्की और ईरान जैसे देशों से बहुत सारे ड्रोन मिल रहे हैं। वे कई सशस्त्र ड्रोन और विस्फोटक ले जाने वाली छोटी उड़ने वाली मशीनें खरीद रहे हैं। अपने आसमान को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय सेना ने इन ड्रोन से लड़ने के लिए एक सिस्टम हासिल करने का फैसला किया है। दो मुख्य प्रकार के ड्रोन के बारे में सोचना चाहिए: बड़े सैन्य ड्रोन जिन्हें दूर से नियंत्रित किया जा सकता है और जो अपने लक्ष्यों को बहुत सटीक रूप से मार सकते हैं। ड्रोन नामक बड़ी मशीनों को मजबूत रडार का उपयोग करके ट्रैक किया जा सकता है जो देख सकता है कि वे कितने बड़े और तेज़ हैं। कुछ ड्रोन वास्तव में छोटे होते हैं और ज़मीन से बहुत नीचे उड़ते हैं, जिससे उन्हें रडार पर देखना मुश्किल हो जाता है। इन छोटे ड्रोन को पकड़ना मुश्किल है, और इनमें विशेष उड़ने वाले हथियार और ड्रोन के समूह जैसी चीजें शामिल हैं जो एक साथ काम करते हैं। भारतीय सेना इन चालाक ड्रोन से निपटने के लिए एक शक्तिशाली माइक्रोवेव सिस्टम खरीदने की योजना बना रही है। जम्मू में एक वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद, वायु सेना ने भी ड्रोन को रोकने के लिए विशेष सिस्टम प्राप्त करने का फैसला किया। इस बारे में बहुत चर्चा है कि क्या भारत इन छोटे, कम उड़ान वाले ड्रोन को पकड़ने के लिए अपने स्वयं के समाधान बना सकता है। नौसेना इजरायल से स्मैश 2000 नामक एक एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीद रही है, और सेना भी इसी तरह की प्रणाली खरीदने की तैयारी कर रही है। भारतीय वायु सेना ने 26-27 जून, 2021 को वायु सेना स्टेशन पर हमले के ठीक बाद ड्रोन रोधी प्रणाली खरीदने की अपनी योजनाओं को गति देना शुरू कर दिया था। इसलिए, वायुसेना दुश्मन के ड्रोन से बचाव के लिए इन दोनों तरीकों का इस्तेमाल करना चाहती है। पिछले पाँच सालों में, देशों के बीच बहुत सारे झगड़े हुए हैं, जिन्हें युद्ध कहा जाता है। इनमें से कुछ युद्ध अभी भी हो रहे हैं, जैसे रूस और यूक्रेन के बीच, और दूसरा इज़राइल और हमास के बीच, और अब इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच एक नया युद्ध चल रहा है। कुछ युद्ध

कौन हैं प्रशांत किशोर की पत्नी जाह्नवी, जिन्होंने दी हिम्मत तो PK ने बनाया बिहार के लिए खास प्लान, जानें खास बातें

प्रशांत किशोर एक ऐसे व्यक्ति हैं जो लोगों को चुनाव की योजना बनाने में मदद करते हैं। उनकी पत्नी जाह्नवी दास एक डॉक्टर हैं और असम के गुवाहाटी नामक स्थान से आती हैं। चुनाव में अपनी नौकरी शुरू करने से पहले प्रशांत संयुक्त राष्ट्र के लिए एक स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ काम कर रहे थे। यहीं उनकी मुलाकात जाह्नवी से हुई। प्रशांत किशोर पहले लोगों को चुनाव जीतने में मदद करते थे, लेकिन अब वे खुद एक राजनेता बनना चाहते हैं। पिछले दो सालों से वे बिहार के गांवों में घूम रहे हैं, लोगों से बात कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि अगर वे बिहार में हालात बेहतर बनाना चाहते हैं, तो उन्हें उनके साथ जुड़ना होगा। वे जन सुराज नामक एक समूह के साथ बिहार विधानसभा चुनाव जीतना चाहते हैं, जिसे वे 2 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर एक राजनीतिक पार्टी के रूप में घोषित करेंगे। प्रशांत हर दिन बहुत मेहनत करते हैं और उनकी पत्नी जाह्नवी दास उनकी बहुत मदद कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशांत किशोर बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा उनकी पत्नी जाह्नवी दास से आता है, जो हमेशा उनका समर्थन करती हैं। वे अब तक सुर्खियों में आए बिना भी उनके प्रोजेक्ट जन सुराज में मदद कर रही हैं। हाल ही में प्रशांत किशोर ने पटना में महिलाओं के लिए आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उन्हें सभी से मिलवाने का फैसला किया। इस कार्यक्रम में बिहार के अलग-अलग इलाकों से कई महिलाएं आईं और जब प्रशांत ने जाह्नवी का परिचय कराया तो सभी बहुत उत्साहित हो गए। जब जाह्नवी ने वादा किया कि सब ठीक हो जाएगा तो पीके को बेहतर महसूस हुआ और वे आगे बढ़ गए। पटना में महिलाओं के एक सम्मेलन में प्रशांत किशोर ने पहली बार अपनी पत्नी के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि उनका नाम डॉक्टर जाह्नवी है। उन्होंने बताया कि वे उन्हें सिर्फ़ इसलिए नहीं मिलवाना चाहते थे क्योंकि वे उनकी पत्नी हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि वे उनके परिवार की देखभाल करती हैं। उनके सहयोग की वजह से वे अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। प्रशांत ने बताया कि उनकी पत्नी ने डॉक्टर की नौकरी छोड़ने का फैसला किया ताकि वे परिवार की देखभाल कर सकें। उन्होंने उनसे कहा कि वे आगे बढ़ें और बिहार में लोगों की मदद के लिए जो चाहें करें और वे घर का सारा काम संभाल लेंगी। कौन हैं जाह्नवी दास? प्रशांत किशोर की पत्नी जाह्नवी दास असम के गुवाहाटी नामक जगह से आती हैं। वे एक डॉक्टर हैं। चुनाव में मदद करने में माहिर बनने से पहले प्रशांत संयुक्त राष्ट्र के लिए एक स्वास्थ्य कार्यक्रम में काम करते थे। यहीं पर उनकी मुलाकात जाह्नवी से हुई। वे दोस्त थे, फिर प्यार में पड़ गए और शादी कर ली। उनका एक बेटा भी है। जब प्रशांत काम में व्यस्त रहता है, तो जाह्नवी उनके बच्चे की देखभाल करती है और घर को बहुत अच्छे से संभालती है।

हमारे 5 साल के मुन्ना को किसने मारा? मदरसे में मासूम बच्चे की मौत पर मां का सवाल, शरीर पर बड़े-बड़े छाले हैं

एक माँ ने अपने 5 साल के बेटे को एक महीने पहले मदरसा नामक स्कूल में भेजा था, लेकिन दुख की बात है कि उसे पता चला कि उसकी वहाँ मौत हो गई है। वह अपने छोटे बेटे की मौत से बहुत दुखी और परेशान थी। वह उसके शव को वापस मदरसे ले गई और पूछा कि उसके साथ क्या हुआ। जब लोगों ने उसे रोते हुए देखा, तो कई लोग यह देखने के लिए इकट्ठा हो गए कि क्या हो रहा है। वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दयालपुर नामक मदरसे में पुलिस अधिकारियों को देखकर डर गए। छोटे लड़के की मौत इस तरह से हुई थी कि किसी को समझ में नहीं आया। उसका परिवार वास्तव में क्रोधित और परेशान था क्योंकि जब उन्होंने उसे वापस पाया, तो वह बहुत बीमार था और उसकी गर्दन, पेट और कमर पर घाव थे। वे बस एक बात जानना चाहते थे: उनके मासूम 5 साल के बेटे की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? दिल्ली में पुलिस ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को रात करीब 9:52 बजे ब्रजपुरी मदरसा नामक स्कूल में एक लड़के की मौत के बारे में कॉल आया। उस दिन शाम करीब 6:30 बजे स्कूल मदरसा तालीम उल कुरान ने लड़के की मां को बताया कि उसके बेटे की तबियत ठीक नहीं है। वह उसे पास के एक निजी अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि उसकी पहले ही मौत हो चुकी है। पुलिस ने यह भी बताया कि लड़के की मां ने बताया कि उसने उसे करीब पांच महीने पहले मदरसे में भेजा था। मां बहुत दुखी और परेशान थी क्योंकि उसका छोटा बच्चा मर गया था। वह अपने बच्चे के शव को वापस स्कूल ले आई और लोगों से मदद मांगी कि वे पता लगाएं कि उसके बेटे के साथ क्या हुआ। जब लोगों ने उसे रोते देखा, तो कई लोग उसका साथ देने के लिए उसके आसपास जमा हो गए। अभी, पुलिस बच्चे के शव को अस्पताल ले गई है ताकि पता लगाया जा सके कि उसकी मौत कैसे हुई और वे रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं जो बताएगी कि स्कूल में क्या हुआ था। पुलिस का कहना है कि मदरसा नामक इस स्कूल में करीब 250 लड़के पढ़ते हैं। इनमें से करीब 150 लड़के दूर-दूर से आते हैं, जिनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश नामक जगह से आते हैं। कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों को मदरसे से घर ले जाने का फैसला किया। वहां पढ़ने वाले एक लड़के ने बताया कि तीन अन्य लड़कों ने एक छोटे लड़के को बाथरूम में ले जाकर चोट पहुंचाई। उन तीनों लड़कों को पकड़ लिया गया है।

पाकिस्तान में शादी कर मुंबई की नगमा बनी सनम खान, पुलिस ने की जांच तो रह गई दंग

मुंबई की नगमा नाम की एक महिला मुसीबत में पड़ गई और उसने एक दुकानदार की मदद से कुछ नियम तोड़े। इस वजह से उसे कानून का सामना करना पड़ा। अगस्त की शुरुआत में उसे कुछ समय के लिए छोड़ दिया गया था, लेकिन उसने जज से यह नहीं पूछा कि क्या ऐसा करना ठीक है। मुंबई की नगमा नाम की एक महिला ने अपना नाम बदलकर सनम खान रख लिया क्योंकि उसने ऑनलाइन पाकिस्तान के एक व्यक्ति से शादी कर ली थी। पुलिस यह जानकर हैरान रह गई कि उसने अपना नाम ऐसे तरीके से बदला जिसकी अनुमति नहीं थी। जब उन्होंने पाकिस्तान जाने के लिए उसके यात्रा दस्तावेजों की जाँच की, तो उन्हें यह पता चला। अब, वह पुलिस के साथ मुसीबत में है, जो यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर हुआ क्या था। हालाँकि उसे अगस्त की शुरुआत में जमानत पर छोड़ दिया गया था, लेकिन वह तब तक पाकिस्तान वापस नहीं जा सकती जब तक कि जज उसे ठीक न कहे। नगमा नूर मकसूद अली, जो अब 27 साल की हैं, ने लगभग दस साल पहले 18 साल की उम्र में एक दुकानदार की मदद से आधार कार्ड नामक एक विशेष पहचान पत्र बनवाया था। उसे अपना जन्म नाम वास्तव में पसंद नहीं था, इसलिए उसने इसे बदलकर सनम खान रखने का फैसला किया। पुलिस को पता चला कि उसने अपना नाम और जन्म वर्ष भी 1997 से बदलकर 2001 कर लिया था और उन्होंने कहा कि उसने दुकानदार को इसके लिए 20,000 रुपये दिए थे। उसने जन्म प्रमाण पत्र, पैन कार्ड और नए नाम से आधार कार्ड बनवाया, लेकिन अब उसे अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए कागजात में गड़बड़ी के कारण गिरफ्तार कर लिया गया है। नगमा के पति का 2019 में निधन हो गया। मई 2021 में जब वह फेसबुक देख रही थी, तो उसकी मुलाकात बाबर नाम के एक व्यक्ति से हुई जो पाकिस्तान में रहता है। नगमा ने उसे बताया कि वह पहले शादीशुदा थी और उसकी दो छोटी बेटियाँ हैं। वे दोनों एक साथ रिलेशनशिप में रहना चाहते थे। 2022 में उसके माता-पिता ने उससे वीडियो कॉल के ज़रिए बात की। फिर 2023 में नगमा ने कुछ ज़रूरी कागजात का इस्तेमाल करके अपने और अपनी बेटियों के लिए पासपोर्ट बनवा लिया। 25 जुलाई को पुलिस ने नगमा को गिरफ़्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने कहा कि उसने फ़र्जी कागज़ात का इस्तेमाल करके अपना पहचान पत्र बनवाया था। इसके तुरंत बाद उसे छोड़ दिया गया। इसी कारण एक दुकानदार भी मुसीबत में पड़ गया और उसे भी गिरफ़्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा कि उन्हें लगता है कि नगमा को शायद यह पता नहीं था कि वह कुछ गलत कर रही है।

आरजी कर हत्याकांड: पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर कसा शिकंजा, सीबीआई कर सकती है गिरफ्तारी, क्या पकड़े जाएंगी कई बड़ी मछलियां?

गंभीर अपराधों की जांच करने वाली सीबीआई, संदीप घोष पर कड़ी नजर रख रही है, जो कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल हुआ करते थे। वे जल्द ही उन्हें गिरफ्तार भी कर सकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक गंभीर अपराध के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। अभी, संदीप से बहुत पूछताछ की जा रही है, और आज वे पॉलीग्राफ नामक एक विशेष परीक्षण कर रहे हैं, जिससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि कोई सच बोल रहा है या नहीं। सीबीआई ने अभी तक उन्हें किसी भी गलत काम से मुक्त नहीं किया है। इसके अलावा, वे मेडिकल कॉलेज में कुछ पैसे की समस्याओं की जांच करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें धोखाधड़ी शामिल हो सकती है। यदि सीबीआई, जो गंभीर समस्याओं की जांच करने वाली एक विशेष समूह है, संदीप घोष की जांच करने का फैसला करती है, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रमुख हुआ करते थे, तो उनके लिए उनकी नजर से बचना बहुत मुश्किल होगा। उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। जब सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई बुरी चीजों की जांच शुरू करेगी, तो उन्हें कई ऐसे लोग मिल सकते हैं, जो महत्वपूर्ण और कम महत्वपूर्ण दोनों हैं, जिन्होंने गलत काम किए हैं। इससे अस्पताल में लंबे समय से चल रही पैसों की समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलेगी। पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे अक्सर झूठ डिटेक्टर टेस्ट कहा जाता है, यह जांचने का एक तरीका है कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है या नहीं। यह इस बात पर गौर करता है कि सवालों के जवाब देते समय उसका दिल कितनी तेजी से धड़क रहा है और वह कैसे सांस ले रहा है। यह खास टेस्ट संदीप घोष नाम के व्यक्ति के लिए है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रमुख संदीप घोष आज झूठ डिटेक्टर टेस्ट दे रहे हैं, जिससे उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनसे करीब 100 घंटे तक पूछताछ की है, लेकिन उन्हें अभी भी लगता है कि वह कुछ छिपा रहे हैं या दबाव महसूस कर रहे हैं। कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में घायल हुए प्रशिक्षु डॉक्टर के मामले में मुख्य संदिग्ध और छह अन्य लोगों के लिए शनिवार को झूठ डिटेक्टर टेस्ट शुरू हुआ। दिल्ली से एक टीम मामले की जांच कर रही है। झूठ डिटेक्टर टेस्ट के दौरान, एक मशीन जांचती है कि सवालों के जवाब देने पर व्यक्ति का शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है, जिससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि वह सच बोल रहा है या झूठ। मुख्य संदिग्ध संजय रॉय का परीक्षण जेल में किया जाएगा, जबकि संदीप घोष और अन्य छह लोगों, जिनमें उस रात काम करने वाले चार डॉक्टर और एक स्वयंसेवक शामिल हैं, का परीक्षण सीबीआई कार्यालय में किया जाएगा। परीक्षण में मदद के लिए दिल्ली की एक विशेष प्रयोगशाला के विशेषज्ञ कोलकाता आए हैं।

बड़ी कहानी: बिहार से झारखंड तक आतंकी कनेक्शन, दरभंगा, फुलवारीशरीफ, सीमांचल मॉड्यूल का खतरनाक नेटवर्क गजवा-ए-हिंद प्लान

अलकायदा और आईएसआईएस जैसे अन्य खतरनाक समूहों से भी इनके संबंध हैं, जिन्होंने भारत में अपना प्रभाव फैलाया है। हाल ही में सुरक्षा अधिकारियों ने डॉक्टर समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया, क्योंकि उनका मानना ​​है कि वे भारत को बदलने की इस खतरनाक योजना का हिस्सा हैं। यह स्थिति गंभीर है और सभी के लिए सुरक्षित रहना महत्वपूर्ण है। बिहार के मिथिला, चंपारण और सीमांचल जैसे इलाकों को इन बुरी गतिविधियों के लिए अच्छे स्थान के रूप में देखा जाता है। 2010 से, जब यासीन भटकल नाम के व्यक्ति ने मिथिला में उत्पात मचाया, तब से दरभंगा के पास का यह इलाका आतंकवादियों के लिए छिपने का ठिकाना बन गया है। उदाहरण के लिए, 2022 में, NIA नामक एक विशेष टीम नूरुद्दीन जंगी नाम के एक व्यक्ति के घर की तलाशी लेने दरभंगा गई और उसके परिवार से सवाल पूछे। उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक एक समूह से जुड़े अन्य लोगों के घरों की भी तलाशी ली, जो प्रतिबंधित है। जुलाई 2022 में फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल नाम का एक समूह खोजा गया था। इस समूह में दरभंगा के कुछ लोग जैसे नूरुद्दीन जंगी, सनाउल्लाह (जिन्हें आकिब भी कहा जाता है) और मुस्तकीम का नाम शामिल है। नूरुद्दीन जंगी ने कुछ लोगों को जेल से बाहर निकलने में मदद की थी जो सिमी नामक समूह में शामिल थे, जिसे अब अनुमति नहीं है। वह PFI नामक एक अन्य समूह का भी सदस्य था और नियमित रूप से उनकी बैठकों और प्रशिक्षण सत्रों में जाता था। यासीन भटकल ने एक ऐसा समूह शुरू किया जो दरभंगा में बुरी गतिविधियों में शामिल था। बहुत समय पहले, यासीन भटकल नाम का एक व्यक्ति, जिसने इंडियन मुजाहिदीन नामक एक समूह शुरू किया था, दरभंगा नामक जगह पर था। उसने वहाँ कुछ युवाओं को बुरी चीजों के बारे में सिखाया, जैसे कि आतंकवादी समूह का हिस्सा बनना। उसने जो किया, उसके कारण उनमें से कुछ युवा, जैसे नूरुद्दीन जंगी, सनाउल्लाह, मुस्तकीम और अरमान मलिक, इसी तरह की बुरी गतिविधियों में शामिल हो गए। यासीन भटकल चालाक था और उन्हें प्रभावित करने के लिए उसने डॉक्टर होने का नाटक भी किया। उसने साइकिल के टायर ठीक करने वाले एक व्यक्ति की बेटी से शादी भी की। उसने साइकिल के टायर ठीक करने वाले मोहम्मद कफील के घर में चालाकी से एक छोटा सा क्लिनिक खोला, ताकि वह अपनी गुप्त योजनाओं को अंजाम दे सके। उसने लोगों को मुफ्त दवाइयाँ दीं, लेकिन जब वह उनकी मदद करता था, तो वह उनके दिलों में गुस्सा और नफरत भी भर देता था। फिर, उसने समुदाय के करीब आने के लिए कफील की बेटी से शादी कर ली। लोगों की मुफ्त में मदद करने और शादी करने के बाद, वह इलाके में काफी लोकप्रिय हो गया। एक बार जब लोगों ने उस पर भरोसा कर लिया, तो उसने लोगों में डर फैलाना शुरू कर दिया। यासीन भटकल को पुलिस ने भारत और नेपाल की सीमा पर पकड़ लिया। फिर, पटना शहर में आतंकवादियों द्वारा एक नई योजना बनाई जा रही थी। इस योजना का पता तब चला जब पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नामक एक समूह पर नज़र डाली। पटना पुलिस को 11 जुलाई, 2022 को इस बारे में पता चला और अगले दिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना दी। उन्होंने अतहर परवेज, मोहम्मद जलालुद्दीन, अरमान मलिक और नूरुद्दीन जंगी नामक एक वकील सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। ठीक दो दिन बाद, 14 जुलाई को, बिहार आतंकवाद निरोधी दस्ते ने फुलवारी शरीफ से मरगूब अहमद दानिश नामक एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो आतंकवादी योजना से जुड़ा था। दरभंगा में एक व्यक्ति केवटी, जाले, सिंहवाड़ा, हायाघाट और समस्तीपुर जैसे विभिन्न क्षेत्रों से युवाओं को इंडियन मुजाहिदीन नामक एक समूह में शामिल करने के लिए इकट्ठा कर रहा था। उसके बाद, देश भर के कई शहरों में बम विस्फोट हुए जो दरभंगा से जुड़े थे। बेंगलुरु, चेन्नई, वाराणसी और दिल्ली जैसी जगहों पर हुए इन धमाकों से जब इंडियन मुजाहिद्दीन का संबंध सामने आया तो पुलिस काफी चिंतित हो गई और दरभंगा से लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। इस इलाके में भारत-नेपाल सीमा के पास यासीन भटकल नाम का एक खतरनाक आतंकी पकड़ा गया। एसएसपी कहे जाने वाले पुलिस नेता ने कुछ मामलों में दूसरे देशों से जुड़े होने की बात कही। एटीएस नामक विशेष टीम की सूचना पर फुलवारी शरीफ थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि उन्हें इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि ये मामले दूसरे देशों से जुड़े हैं। इसलिए उन्होंने इस मामले की आगे जांच के लिए एटीएस जैसे विशेषज्ञों से मदद मांगी। जुलाई 2022 में फुलवारी शरीफ में गलत गतिविधियों में शामिल एक समूह के बारे में पता चलने के बाद एनआईए नामक एक अन्य टीम ने एक ही समय में बिहार के छह अलग-अलग शहरों में तलाशी शुरू कर दी। झारखंड के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को आतंकवाद में शामिल एक बुरे व्यक्ति के रूप में पाया गया। इसके बाद पुलिस को बिहार के अलग-अलग इलाकों जैसे छपरा, अररिया और मुजफ्फरपुर में कुछ लोगों का एक समूह मिला जो कुछ गलत गतिविधियों में शामिल थे। झारखंड के मोहम्मद जलालुद्दीन नामक एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी पर भी एक खतरनाक समूह से जुड़े मामले में जांच चल रही थी। दरभंगा के नूरुद्दीन जंगी नामक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नामक एक समूह से जुड़ा हुआ था। पुलिस को यह भी पता चला कि बिहार के सीमांचल नामक एक अन्य क्षेत्र को PFI द्वारा निशाना बनाया जा रहा था। उन्होंने सीमांचल के युवा मुस्लिम लोगों के दिमाग में अतिवादी विचार भरकर उनके सोचने के तरीके को बदलने की कोशिश की। जांच में पता चला कि PFI नामक एक समूह सीमांचल नामक जगह में बेरोजगार और अशिक्षित युवा मुस्लिम पुरुषों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा था। उनकी योजना इन युवाओं को संगठन में लाने के बाद हथियार चलाना सिखाने की थी। फुलवारी शरीफ नामक जगह से गिरफ्तार किए गए अतहर परवेज नामक व्यक्ति ने पूछताछ के दौरान यह जानकारी साझा की। उसने बताया कि वह खास तौर पर पूर्णिया, अररिया, फोर्ब्सगंज, किशनगंज,

राय: आरजी कर मेडिकल कॉलेज ही नहीं, पूरे देश में हर महिला को चाहिए ‘सुरक्षित आजादी’

महिलाओं को अपराधों से सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए, हमें दो महत्वपूर्ण काम करने होंगे। सबसे पहले, हमें इन अपराधों को होने से पहले ही रोकने के लिए मज़बूत और स्थायी तरीके बनाने चाहिए। दूसरा, अगर कोई अपराध होता है, तो ज़िम्मेदार लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा करने वालों को उचित और गंभीर सज़ा मिले। आइए अपनी भावनाओं को एक तरफ़ रखें और स्पष्ट रूप से सोचें। आइए सुनिश्चित करें कि महिलाएँ हमारे देश में आज़ादी से रह सकें। कुछ लोगों को लगता है कि हमने स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एक बड़ी पार्टी की है, लेकिन हमें उन्हें यह समझने में मदद करनी चाहिए कि हमारे देश में बहुत से लोग अभी भी आहत हैं और आज़ाद महसूस नहीं कर रहे हैं। हर दिन, घर या बाहर जैसी कई अलग-अलग जगहों पर, कुछ लोग बहुत बुरी तरह से आहत हो सकते हैं। कभी-कभी उन्हें बलात्कार जैसी चीज़ का सामना करना पड़ता है, जो तब होता है जब कोई उन्हें बहुत ही डरावने तरीके से चोट पहुँचाता है। दूसरी बार, उन्हें अलग-अलग तरह की चोट का सामना करना पड़ता है जो अच्छी भी नहीं होती। अरे सब लोग, आइए ध्यान दें! क्या आप नहीं देख सकते कि हम सभी सिर्फ़ इंसान हैं, बिल्कुल आपकी तरह? जब सुप्रीम कोर्ट, सरकार और सीबीआई जैसे महत्वपूर्ण लोग कोलकाता में काम के दौरान ब्रेक लेने के दौरान चोटिल हुई एक प्रशिक्षु डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, तो टीएमसी पार्टी के एक नेता ने जो कहा, उसके बारे में भी बात की जा रही है। अरूप चक्रवर्ती ने सुरक्षा की मांग कर रहे डॉक्टरों से कहा कि अगर वे विरोध करते हैं, तो उन्हें घर चले जाना चाहिए या अपने बॉयफ्रेंड के साथ समय बिताना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब लोग उन पर गुस्सा करते हैं, तो वह उनकी मदद नहीं करेंगे। यह बयान वाकई दुखद है और दिखाता है कि हमें यह सुनिश्चित करने पर कितना ध्यान देने की जरूरत है कि डॉक्टर अपने महत्वपूर्ण काम करते समय सुरक्षित रहें। महिला और पुरुष दोनों डॉक्टर विरोध का हिस्सा थे, इसलिए केवल महिला डॉक्टरों के बारे में बात करना सही नहीं है। व्यक्ति द्वारा की गई टिप्पणी से पता चलता है कि वे शायद यह नहीं समझते कि लड़के और लड़कियां दोनों अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इस तरह की सोच ऐसे समाज में रहने से आती है जो अक्सर लड़कियों और लड़कों के साथ अलग-अलग व्यवहार करता है। उदाहरण के लिए, एक नेता ने एक बार कहा था कि लड़के कभी-कभी गड़बड़ कर देते हैं, इसलिए हमें उनके साथ बहुत कठोर नहीं होना चाहिए। महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ और हिंसा जैसी बुरी चीजों को रोकने में मदद करने के दो महत्वपूर्ण तरीके हैं। सबसे पहले, अगर किसी ने कुछ गलत किया है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें बिना किसी अन्याय के उचित सजा मिले। दूसरा, हमें इन बुरी चीजों को होने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में हर जगह उन योजनाओं का पालन किया जाए। इन योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार लोगों को अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। लड़कियों को सुरक्षित रखने के लिए घर पर रखने के बजाय, हमें उन्हें बिना किसी विशेष व्यवहार के स्वतंत्र और समान रूप से जीने देना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब गोमती नगर में एक लड़की को चोट लगी, तो पास में ही एक पुलिस स्टेशन था। हमें वास्तव में यह समझने की जरूरत है कि पुलिस को बेहतर तरीके से मदद कैसे करनी है। लोग अक्सर महिलाओं को बताते हैं कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए, लेकिन वे अपनी गलतियों को देखना भूल जाती हैं और वे क्या बेहतर कर सकती हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना के बाद लोग कह रहे हैं कि डॉक्टरों को रात में काम नहीं करना चाहिए और महिला डॉक्टरों को कम समय तक काम करना चाहिए। हालांकि, अगर महिला डॉक्टर रात में अस्पताल में नहीं होंगी, तो महिला मरीजों के लिए चीजें मुश्किल हो सकती हैं। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि दिन में भी महिलाओं के साथ कुछ बुरा हो सकता है, जैसे अपराध और दूसरे खतरे। भले ही महिलाएं रात में सुरक्षित महसूस करने की कोशिश करती हों, लेकिन हमें उन्हें सिर्फ़ घर पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि वहां भी कुछ बुरा हो सकता है। जबकि सभी को सुरक्षित रखने के लिए तुरंत कार्रवाई करना ज़रूरी है, लेकिन वे कार्रवाई पूरी तरह से सही नहीं है। बेहतर और लंबे समय तक चलने वाले समाधान हैं, लेकिन उन्हें काम करने में समय लगेगा। जब वे काम करेंगे, तो वे सभी के लिए चीजों को ज़्यादा स्थिर और सुरक्षित बना देंगे। अब समय आ गया है कि बच्चों को स्कूलों और कॉलेजों में सेक्स के बारे में पढ़ाया जाए और हमें इसे तुरंत शुरू करना चाहिए। सरकार को एक समूह बनाना चाहिए ताकि बच्चों को यह सिखाया जा सके। लड़कियों को सिर्फ़ चुप रहने और दूसरों के साथ घुलने-मिलने के लिए कहने के बजाय, हमें लड़कों को सभी को समझने और उनका सम्मान करने में मदद करनी चाहिए। यह बदलाव घर और परिवारों से शुरू होना चाहिए। अगर हम आज लड़के और लड़कियों दोनों को समान रूप से बड़ा करेंगे, तो हम भविष्य में अच्छे बदलाव देखेंगे। महिलाओं के लिए सभी तरह की नौकरियों का हिस्सा होना और ऐसी भूमिकाएँ निभाना ज़रूरी है जहाँ उन्हें पहले शामिल नहीं किया गया है, ताकि पुरुषों को उनके वहाँ होने पर अच्छा लगे। भारत में, महिला आरक्षण कानून (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) नामक एक नया नियम 2029 में लागू होगा। यह नियम सुनिश्चित करेगा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हों। यह बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन यह एकमात्र ऐसी चीज़ नहीं है जो सब कुछ बेहतर बना देगी। जनगणना के आंकड़ों के आधार पर कुछ बदलाव किए जाने के बाद इस कानून को लागू किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि बेल्जियम और रवांडा जैसे 64 देशों में भी महिला आरक्षण कानून का इस्तेमाल किया

‘ये जो हो रहा है, बहुत चौंकाने वाला है?’ बदलापुर की घटना पर HC नाराज, पुलिस को फटकार- कार्रवाई करने में नहीं हिचकिचाएंगे

बदलापुर यौन उत्पीड़न मामला महाराष्ट्र के बदलापुर के एक स्कूल में दो लड़कियों के साथ हुई मारपीट के बारे में है। बॉम्बे हाई कोर्ट, जो एक बड़ी और महत्वपूर्ण अदालत है, ने कहा कि लड़कियों के साथ जो हुआ वह बहुत ही परेशान करने वाला था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हमें हमेशा लड़कियों को सुरक्षित रखना चाहिए और ऐसा न करने के लिए कोई बहाना नहीं होना चाहिए। न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि स्कूल को दंडित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने किसी को भी इस बुरी घटना के बारे में नहीं बताया, जबकि उन्हें इसके बारे में पता था। उन्होंने पुलिस से यह भी कहा कि उन्होंने जांच शुरू करने में बहुत देर कर दी। बदलापुर मामले के बारे में बात करते समय हाई कोर्ट वास्तव में परेशान था। उन्होंने पुलिस से इस बारे में बहुत सारे सवाल पूछे कि उन्होंने इस मामले को कैसे संभाला और उन्हें बताया कि उन्होंने बहुत खराब काम किया। बदलापुर मामले में जो हुआ उससे न्यायाधीश दुखी थे और उन्होंने कहा कि अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं, तो बच्चों के सीखने और स्कूल जाने के बारे में बात करने का क्या मतलब है। दो जजों, जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने आज यानी गुरुवार को मामले की सुनवाई की। कपिल सिब्बल और तुषार मेहता के बीच जोरदार असहमति थी, लेकिन जब वे लंच पर गए, तो CJI चंद्रचूड़ ने उनकी बातों से सहमति जताई। हाईकोर्ट पुलिस से वाकई नाराज है, क्योंकि ऐसा लगता है कि वे अपना काम तभी गंभीरता से करना शुरू करते हैं, जब लोग विरोध करते हैं या किसी बात को लेकर गुस्सा होते हैं। उन्होंने देखा कि 13 तारीख को एक घटना हुई, 16 तारीख को रिपोर्ट दर्ज की गई और उन्होंने 22 तारीख तक पीड़िता से बात भी नहीं की। जज पूछ रहे थे, “यहां क्या हो रहा है?” उन्होंने पुलिस को चेतावनी दी कि अगर उन्हें लगता है कि कोई सच छिपाने की कोशिश कर रहा है या ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो वे उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। कोर्ट ने यह भी बताया कि पुलिस ने अभी तक दूसरी पीड़िता से बात भी नहीं की है। जब कोर्ट ने इस मामले को देखने का फैसला किया, तो उन्होंने जल्दी से आधी रात को दूसरी पीड़िता के पिता से बात की। जजों ने वकील से कहा कि 27 अगस्त को अगली बैठक तक उनके पास बहुत से सवालों के जवाब होंगे। यह वाकई हैरान करने वाला और परेशान करने वाला है। कोर्ट ने कहा कि अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं, तो बच्चों के स्कूल जाने और सीखने के बारे में बात करने का क्या फायदा? उन्होंने कहा कि छोटी बच्चियाँ भी जो सिर्फ़ 4 साल की हैं, सुरक्षित नहीं हैं। यह वाकई बहुत बुरी स्थिति है। हाल ही में अक्षय शिंदे नाम के एक व्यक्ति ने स्कूल के बाथरूम में 4 साल की दो बच्चियों के साथ कुछ बहुत गलत किया और बदलापुर में कई लोग इस बात से बहुत परेशान थे।

46 दिन में 5 टेस्ट, टीम इंडिया के लिए आसान नहीं होगा इंग्लैंड दौरा, जानें कब है पहला मैच, पूरा शेड्यूल

भारत और इंग्लैंड अगली गर्मियों में क्रिकेट मैचों की एक सीरीज़ खेलने जा रहे हैं! ये मैच जून से अगस्त तक होंगे। वे पाँच बड़े मैच खेलेंगे, जिनमें से पहला मैच 20 जून को और आखिरी मैच 31 जुलाई को होगा। साथ ही, भारतीय महिला क्रिकेट टीम भी लगभग उसी समय इंग्लैंड जाएगी, जहाँ वह तीन एक दिवसीय मैच और पाँच छोटे मैच खेलेगी, जिन्हें T20 कहा जाता है। भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ़ वाकई रोमांचक सीरीज़ खेली। वे वाकई अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे और 2 गेम से 1 से आगे थे। लेकिन फिर, कोरोना वायरस के कारण, उन्हें कुछ समय के लिए खेलना बंद करना पड़ा। जब उन्होंने आखिरकार अगले साल आखिरी गेम खेला, तो इंग्लैंड ने वह मैच जीत लिया। इसलिए, अंत में, दोनों टीमों ने बराबर गेम जीते, और यह 2-2 से बराबरी पर रहा! यह सीरीज़ इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जून 2025 में शुरू होने वाले WTC के नए चरण का हिस्सा है। भारत पहले ही पिछले दो WTC में फ़ाइनल में पहुँच चुका है, लेकिन वे न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से हार गए। भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ 20 जून से शुरू होगी और 4 अगस्त तक चलेगी। इस दौरान, 46 दिनों में 30 दिन के खेल खेले जाएँगे! पहला मैच लीड्स नामक शहर में होगा, फिर वे बर्मिंघम और प्रसिद्ध लॉर्ड्स स्टेडियम में खेलेंगे। चौथा मैच मैनचेस्टर में होगा, और आखिरी मैच 31 जुलाई से लंदन के ओवल में होगा।

ममता जी, बलात्कार रोकने का सुझाव तो ठीक है, लेकिन क्या आपको नहीं पता कि पीएम मोदी यूक्रेन-पोलैंड के दौरे पर हैं?

हालांकि, कई लोगों को लगता है कि पिछले 13 दिनों में राज्य पुलिस और सरकार ने अपना काम ठीक से नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट, जो देश की एक बहुत ही महत्वपूर्ण अदालत है, ने इस मामले में हस्तक्षेप किया क्योंकि उन्हें लगा कि पुलिस और अस्पताल ने स्थिति को ठीक से नहीं संभाला। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था कि अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिससे लोगों को लगा कि कुछ और गंभीर हो सकता है। अब, कई लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से नाराज़ हैं और चाहते हैं कि वे बताएं कि क्या हुआ। उन्हें लगता है कि उन्हें ज़िम्मेदार होना चाहिए क्योंकि वे पुलिस और राज्य की प्रभारी हैं। मदद करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, ऐसा लगता है कि वे मामले में शामिल कुछ लोगों को बचाने में ज़्यादा दिलचस्पी ले रही हैं। कुछ लोगों को लगता है कि वे चीज़ों को छिपाने या स्थिति को अपने लिए बेहतर दिखाने की कोशिश कर रही हैं। कुल मिलाकर, ऐसा लगता है कि वे इस बहुत दुखद स्थिति में राजनीति को शामिल कर रही हैं और लोग इससे खुश नहीं हैं। मेरा मानना ​​है कि अगर हम साथ मिलकर काम करें, तो हम अपने देश को सभी के लिए और भी बेहतर जगह बना सकते हैं। सुनने के लिए धन्यवाद! क्या यह समझना आसान है? सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ सख्त बातें कहने और कोलकाता पुलिस से सवाल पूछने के बाद ममता बनर्जी इसे फिर से राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत में बलात्कार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है। लेकिन, ममता दीदी, आपको पता होना चाहिए कि पीएम मोदी इस समय यूक्रेन और पोलैंड की यात्रा पर हैं। आपका अनुरोध महत्वपूर्ण है, लेकिन समय के हिसाब से ऐसा लगता है कि आप इस स्थिति का इस्तेमाल राजनीति के लिए करने की कोशिश कर रही हैं। पिछले 13 दिनों से आपके राज्य में आरजी कर के साथ जो हुआ, उसे लेकर काफी शोर-शराबा हो रहा है। पहले तो आपने विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब चीजें बहुत ज्यादा बढ़ गईं, तो कोलकाता हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और उसके बाद ही आपने कुछ कार्रवाई शुरू की। लोगों का यह सोचना सामान्य है कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं, खासकर तब जब आप पहले समस्या को नजरअंदाज करते दिखे। आपकी पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया और बहाने बनाती रही। आपको लोगों से ज्यादा राजनीति की परवाह थी। अब जब चीजें नियंत्रण से बाहर हो गई हैं और सुप्रीम कोर्ट देख रहा है, तो आप सभी का ध्यान भटकाने के लिए पीएम मोदी को पत्र लिख रही हैं। यह उचित नहीं है। एक नेता के तौर पर आपको लोगों की मदद करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि किसी दुखद स्थिति का राजनीतिक लाभ उठाने पर। आपकी स्थिति में एक महिला को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए।