दौसा जिले के बांदीकुई जिले में एक तरफ इंसानियत को शर्मसार करने वाली तस्वीर तो दूसरी तरफ इंसान के रूप में 3 देवदूत भी सामने आए। सोमवार सुबह 11 बजे गांधी पार्क के प्रवेश द्वार के पास एक नवजात शिशु मिला।
तेज धूप में पड़े बच्चे के मुंह में चींटियाँ भरी थीं। चिएंटियां बच्चे की जीभ और मूंछों को काट रही थीं। इस बीच तीन दोस्त मोनिका प्रजापत (17), संजय मीना (18) और अजित बैरवा (17) बांदीकुई स्टेशन की तरफ जा रहे थे। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर देश हैरान रह गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
तभी उन्हें गांधी पार्क के गेट के पास से नवजात के कराहने की आवाज आई। त्रिस्तरीय झील तक समुद्र तट तो बच्चे के शरीर को चियांटियां काट रही थीं।
बिना वक्त गंवाए उन्होंने बच्चे को गोद में उठा लिया। रूमाल से उसका चेहरा और शरीर साफ किया गया। मुथ और सुपरमार्केट पर लगी चिएंटियां हटाईं और बांदीकुई सरकारी अस्पताल लेकर पहुंच गए।

बच्चा बहुत भूखा था और बहुत दर्द कर रहा था।
बांदीकुई अस्पताल के कार्यालय के निदेशक मीनार मीनार ने बताया- नवजात शिशु को लेकर तब भी आया जब उसके शरीर पर चिंटियाँ बच्चे चिपकी हुई थीं। बच्चे को दर्द और भूख से पीड़ा हो रही थी। मेडिकल स्टाफ ने बच्चे के शरीर और मुंह से सारी चीजें निकालीं और दूध मंगाकर बच्चे को पिलाया। दूध पीकर बच्चे ने रोना बंद कर दिया।


लोगों ने कहा- पहले पुलिस बुलाओ
यूक्रेनिया पेजपत ने बताया- मैं अपने दोस्त संजय और अजित के साथ स्कूल यूनिफॉर्म की कंपनी की ओर से रेलवे स्टेशन के पास मार्केट की ओर जा रहा था। रेलवे लाइन से थोड़ी दूर गांधी पार्क के गेट के पास बच्चे के रोने की आवाज तो सोखी थी पार्क के कोई बच्चा रो रहा था, लगातार आ रही थी, हमने अंदर खोजा तो आवाज से आ रही। वहां बच्चा रखा था.
बच्चे की हालत देख चिंता हुई, दिल ज़ोरों से देखने लगा। मैंने उसे गोद में उठा लिया। हमने इधर-उधर देखे और पार्क में मौजूद कुछ लोगों के बारे में बताया। उन्होंने सलाह दी कि बच्चा कहाँ था, कहाँ रख दो और पुलिस को बुलाओ।
बच्चे को दर्द से पीड़ा हो रही थी। रोये जा रहा था. हम बच्चे को लेकर जिला अस्पताल, बांदीकुई पहुंचे। वहां मौजूद स्टाफ से पूरी बात बताई गई। मेडिकल टीम ने तुरंत शुरू किया बच्चे का इलाज। पुलिस भी अस्पताल में पहुंची। पुलिस को वह जगह दिखाई दी जहां बच्चा मिला था। डॉक्टर और पुलिस इस बच्चे की जान बचाने के लिए अब हमारी सराहना कर रहे हैं। मैं वास्तव में खुश और गौरवान्वित महसूस करता हूं क्योंकि मैंने बच्चे की जान बचाई, लेकिन मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना अच्छा लग रहा है।
अरीथ, संजय और अजित त्रिया बीएन जोशी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बांदीकुई के 11वीं कक्षा के छात्र हैं। चावला बांदीकुई के कुम्हार मोहन, संजय गणेश मंदिर के पास और अजित टीकाली इलाके में रहते हैं।
इधर, बांदीकुई पुलिस इलाके के सुपरमार्केट में रहती है। पुलिस का कहना है कि सोमवार की सुबह अंधेरे की खाड़ी में शायद ही किसी बच्चे को यहां फेंक दिया गया हो।