पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में सजा का ऐलान, चारों दोषियों को दोहरी उम्रकैद, साकेत कोर्ट का बड़ा फैसला.

रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को सौम्या विश्वनाथन नामक टीवी पत्रकार की हत्या का दोषी पाया गया था। उन्हें पूरी जिंदगी जेल में बिताने की सजा दी गई है. 30 सितंबर 2008 को दोपहर 3:30 बजे जब सौम्या अपनी कार से घर वापस जा रही थीं, तभी किसी ने उन्हें गोली मार दी और उनकी मौत हो गई.

सौम्या विश्वनाथन नाम की टीवी पत्रकार की हत्या के दोषी पाए गए चार लोगों को बेहद कड़ी सजा दी गई है। उनसे कहा गया है कि उन्हें अपनी पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें सज़ा के तौर पर काफी रकम चुकानी होगी. ये चार लोग हैं रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार। इन्हें दो अलग-अलग अपराधों के लिए अलग-अलग सजा दी गई है. इसका मतलब यह है कि उन्हें एक के बाद एक आजीवन कारावास की सजा काटनी होगी। उन्हें हत्या के लिए प्रत्येक को 25,000 रुपये का जुर्माना और अन्य अपराध के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा। तो कुल मिलाकर, उन्हें दो आजीवन कारावास की सजा काटनी होगी और 1.25 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। अगर वे पैसे नहीं देंगे तो उन्हें छह महीने और जेल में रहना होगा.

न्यायाधीश ने कहा कि सौम्या की हत्या करने वाले रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार द्वारा किया गया अपराध सबसे गंभीर प्रकार का अपराध नहीं माना जाता है। अत: उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया गया। अदालत ने इस बारे में भी बात की कि महिलाओं को उनकी नौकरियों में और रात में काम करते समय सुरक्षित रखना कितना महत्वपूर्ण है।

एक बार की बात है 30 सितंबर 2008 को सौम्या नाम की लड़की दोपहर 3:30 बजे अपनी कार से घर जा रही थी। दुःख की बात है कि किसी ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोई उससे चोरी करना चाहता था। उन्होंने सौम्या की हत्या के आरोप में रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी नाम के पांच लोगों को गिरफ्तार किया। ये लोग मार्च 2009 से जेल में हैं। पुलिस ने उन पर आरोप लगाने के लिए मकोका नामक एक विशेष कानून का इस्तेमाल किया।

पुलिस ने कहा कि उन्होंने आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार को ढूंढकर विश्वनाथन की हत्या का रहस्य सुलझा लिया है। मलिक ने उच्च न्यायालय से 2019 में त्वरित सुनवाई करने को कहा। उच्च न्यायालय ने तब निचली अदालत से यह बताने के लिए कहा कि लगभग दस साल पहले आरोप पत्र दायर होने के बावजूद मुकदमा समाप्त क्यों नहीं हुआ। निचली अदालत ने कहा कि देरी का मुख्य कारण यह था कि जिन लोगों को अभियोजन पक्ष की मदद करनी थी वे वहां नहीं थे और मामले के लिए विशेष वकील ढूंढने में काफी समय लग गया।

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