Russia के Ukraine में तबाही मचाने के बाद China भी करेगा हमला? यहां घुसे 9 चीनी लड़ाकू विमान

ये लड़ाई ताइवान के दो द्वीपों को लेकर है. ताइवान में मौजूद क्यूमोय और मात्सु द्वीप पर चीन लंबे समय से कब्जा करना चाहता है. ये दोनों द्वीप चीन के बेहद नजदीक भी हैं. लेकिन आज तक चीन इन द्वीपों को सिर्फ देखता ही रहा है. इन द्वीपों पर लंबे समय से ताइवान का नियंत्रण है.

china की नापाक हरकत का खुलासा

Russia-Ukraine Crisis: यूक्रेन को चारों तरफ से घेरकर रूस लगातार हमला किए जा रहा है. दोनों देशों की सेनाओं में भीषण युद्ध जारी है. यूक्रेन और रूस दोनों ही देशों के कई सैनिक जान गंवा चुके हैं. इस बीच china भी तल्ख तेवर दिखाने लगा है. चीन के 9 लड़ाकू विमानों ने ताइवान में घुसपैठ की है. आइये आपको बताते हैं चीन आखिर चाहता क्या है?

china की नापाक हरकत का खुलासा

ताइवान ने खुद china की इस नापाक हरकत के बारे में खुलासा किया है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि उसकी सैन्‍य रक्षा हवाई पट्टी पर चीन के 9 लड़ाकू विमानों ने घुसपैठ की है. बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसी हरकत की हो.

ताइवान रक्षा मंत्रालय ने दी जानकारी

ताइवान रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रूसे के यूक्रेन पर हमला करते ही चीन ने अपने लड़ाकू विमान भेजे हैं. चीन ऐसा पहले भी कर चुका है. इससे पहले चीन ने बीते साल नवंबर में 27 लड़ाकू विमान ताइवान के सीमाई क्षेत्र में भेजे थे. जवाबी कार्रवाई करते हुए ताइवान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को तैनात किया था और चीनी विमानों को खदेड़कर देश की सीमा से बाहर किया था.

ताइवान के दो द्वीपों को लेकर विवाद

दरअसल ये लड़ाई ताइवान के दो द्वीपों को लेकर है. ताइवान में मौजूद क्यूमोय और मात्सु द्वीप पर china लंबे समय से कब्जा करना चाहता है. ये दोनों द्वीप चीन के बेहद नजदीक भी हैं. लेकिन आज तक चीन इन द्वीपों को सिर्फ देखता ही रहा है. इन द्वीपों पर लंबे समय से ताइवान का नियंत्रण है. इन द्वीपों को लेकर अमेरिका और चीन में भी विवाद है.

अमेरिका के चलते चीन नहीं कर पाया कब्जा

1955 और 1958 में तो स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी. इन दोनों द्वीपों के लिए अमेरिका और चीन युद्ध की कगार पर आ गए थे. 1955 में चीन ने ताइवान से इन द्वीपों को छीनने के लिए भारी बमबारी की थी. अमेरिका की दखल के बाद चीन को उल्टे पैर वापस जाना पड़ा था. अमेरिका ने चीन को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी थी. बता दें कि अमेरिका कभी भी नहीं चाहता है कि ये दो द्वीप ताइवान के नियंत्रण से बाहर जाए और इसपर चीन का कब्जा हो.

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