पति-पत्नी की हत्या के बाद शराब पीकर सो गए हत्यारे: पुलिस ने आधी रात को होटल से तीन को गिरफ्तार किया; करणी सेना का धरना

एक बार की बात है, भवानीमंडी नामक कस्बे में कुछ बुरे लोग थे, जिन्होंने एक अस्पताल में पति-पत्नी को चोट पहुँचाई। बाद में, इन बुरे लोगों ने एक पार्टी की जहां उन्होंने कुछ चीजें पीं। जब पार्टी ख़त्म हो गई तो वे आराम से सो गए। लेकिन आधी रात को पुलिस उस होटल में पहुंची जहां वे ठहरे हुए थे और तीन बुरे लोगों को पकड़ लिया। पुलिस ने उन्हें रावतभाटा नामक स्थान से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने भैरूलाल गुर्जर, दिनेश भील और करण गुर्जर नाम के तीन लोगों को हत्या जैसे गंभीर अपराध में पकड़ा है. हालांकि, बल्लू गुर्जर नाम का दूसरा शख्स, जो भैरूलाल गुर्जर का बड़ा भाई है, अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है. दिन के समय एक अस्पताल में कुछ बुरे लोगों ने जीतेन्द्र सिंह नामक व्यक्ति और उसकी पत्नी अनिता को चाकू से घायल कर दिया। हमले में अनीता की तुरंत मौत हो गई और जितेंद्र की दूसरे अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई। मरने से पहले कुछ कहा था जीतेंद्र सिंह ने. उसके कहे के चलते पुलिस ने भैरूलाल गुर्जर, दिनेश भील, करण गुर्जर और बल्लू गुर्जर पर हत्या का आरोप लगाया. बुरा काम करने के बाद वे भाग गये और रावतभाटा नामक स्थान पर चले गये। वे एक होटल में रुके और एक पार्टी की जहां उन्होंने शराब पी। फिर वे शांति से सो गये. कुछ बुरा होने के बाद पुलिस ने इसमें शामिल लोगों का पीछा करना शुरू कर दिया और जगह-जगह बैरियर लगा दिए. आधी रात करीब 12:15 बजे पुलिस को सूचना मिली कि वे लोग कहां हैं. इसके चलते रावतभाटा पुलिस ने इसमें शामिल तीन जनों को पकड़ लिया। फिर उन्हें भवानीमंडी पुलिस को दे दिया गया। बल्लू ने रेकी नामक एक विशेष उपचार तकनीक का उपयोग करके जितेंद्र की मदद की थी। पुलिस को पता चला कि जब कुछ बुरा हुआ तो बल्लू अस्पताल के बाहर खड़ा था. लेकिन भैरूलाल, दिनेश और करण अंदर चले गए. पुलिस ने जांच में मदद के लिए अस्पताल से एक वीडियो रिकॉर्डिंग उपकरण लिया। दैनिक भास्कर नाम के अखबार के हाथ किसी तरह ये वीडियो लग गया, जिसमें बदमाश दंपत्ति को बेहद क्रूर तरीके से चोट पहुंचाते और मारते दिख रहे हैं। शुक्रवार को एक नया वीडियो सामने आया. इसे अस्पताल के प्रतीक्षा क्षेत्र के एक अलग हिस्से में एक कैमरे द्वारा रिकॉर्ड किया गया था। इस वीडियो में हम भैरू, करण और दिनेश को जितेंद्र को चोट पहुंचाते हुए देख सकते हैं। करण ने जितेंद्र के हाथ पकड़ लिए, जबकि भैरू ने उसके पैरों पर बेसबॉल का बल्ला मारा। दिनेश भील ने जितेंद्र पर एक के बाद एक चाकुओं से हमला कर दिया. करणी सेना नाम का एक ग्रुप किसी बात को लेकर काफी नाराज हो गया. उन्होंने एक इमारत के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जहां शव रखे जाते हैं और वे जितेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति का शव नहीं लेना चाहते थे. वे चाहते थे कि जिसने भी कुछ गलत किया है उसे खूब सजा मिले और जितेंद्र सिंह के परिवार को ढेर सारा पैसा मिले. जब जिम्मेदार लोगों को पता चला तो वे वहां गए और प्रदर्शनकारियों से बात की.
मतदान के बाद अमिट स्याही से संक्रमण के कारण धरमपुर के युवक की दो उंगलियां काटनी पड़ीं

यह कहानी हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित धरमपुर नामक स्थान की है। किसी को घाव हो गया था और उन्होंने यह देखने के लिए उसे बंद नहीं किया कि कहीं उसमें संक्रमण तो नहीं है। लेकिन जब संक्रमण बढ़ गया तो उन्हें अपनी अनामिका और तर्जनी उंगली काटनी पड़ी। कभी-कभी लोग वोट देने के बाद अपनी उंगलियों पर विशेष स्याही लगाकर तस्वीरें लेना और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर करना पसंद करते हैं। लेकिन ये स्याही वास्तव में खतरनाक हो सकती है. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक युवक के साथ ऐसा हुआ। उन्होंने अपनी दोनों उंगलियां खो दीं क्योंकि स्याही का उपयोग करने के बाद वे संक्रमित हो गईं। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए डॉक्टरों को उसकी उंगलियां काटनी पड़ीं। चुनाव आयोग ने कहा था कि स्याही का इस्तेमाल सुरक्षित है, लेकिन फिर भी यह युवक इससे बीमार पड़ गया. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धरमपुर नामक स्थान पर लंगेहर नामक गांव में संजय कुमार नाम का एक व्यक्ति रहता था। उन्होंने एक विशेष स्याही के कारण अपनी उंगलियां खो दीं, जिसका उपयोग चुनाव में मतदान करते समय किया जाता है। पिछले साल नवंबर 2022 में हिमाचल में चुनाव हुआ था. इस दौरान संजय ने भी मतदान किया. लेकिन पंद्रह दिन बाद उसकी उंगली दुखने लगी और काली पड़ गई। वह डॉक्टर के पास गया और उसे बताया गया कि यदि उसकी उंगली नहीं काटी गई, तो संक्रमण उसे बहुत बीमार कर सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। 40 साल के शख्स संजय कुमार ने अपनी उंगली पर एक खास स्याही लगाई हुई थी. थोड़ी देर बाद उसने देखा कि उसकी उंगली पर एक घाव बन गया है और एक काला निशान बन गया है। वह एक अस्पताल गया और उन्होंने दो महीने तक घाव का इलाज करने की कोशिश की, लेकिन अंततः उन्हें उसकी उंगली हटानी पड़ी क्योंकि संक्रमण बदतर हो गया था। संक्रमण के कारण उन्हें दूसरी उंगली भी हटानी पड़ी। संजय का परिवार अपना भरण-पोषण करने के लिए मनरेगा पर निर्भर है। लंगेहर पंचायत के प्रभारी संजय ठाकुर ने कहा कि संजय कुमार ऐसे परिवार से आते हैं जिसके पास ज्यादा पैसा नहीं है. वे बीपीएल नामक एक कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जो गरीब परिवारों की मदद करता है। परिवार जीविकोपार्जन के लिए मनरेगा नामक कार्यक्रम पर निर्भर है। सरकार को संजय कुमार को उसकी विकलांगता का प्रमाण पत्र देना चाहिए और उसके परिवार को श्रम कल्याण बोर्ड के माध्यम से मदद के लिए कुछ पैसे भी देने चाहिए। क्या हुआ? क्यों काटनी पड़ी उंगलियां? एक बच्चे के लिए स्पष्टीकरण: उंगलियों में कुछ खराबी आ गई थी, इसलिए व्यक्ति को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टरों को उन्हें हटाना पड़ा। सिविल अस्पताल सरकाघाट के चिकित्सक डॉ. देश राज शर्मा का कहना है कि मरीज में ऐसे लक्षण हैं जो रेनॉल्ड्स फेनोमेना या थ्रोबोएंगाइटिस ओब्लिट्रांस नामक दो चिकित्सीय स्थितियों के समान हैं। 1960 से देश में चुनावों के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली अमिट स्याही में सिल्वर नाइट्रेट, डाई और अन्य रसायन होते हैं।
निपाह वायरस में मृत्यु दर कोरोना से कहीं ज्यादा, आईसीएमआर के डीजी बोले, 70% मामलों में चली जाती है जान

निपाह वायरस एक बीमारी है जो केरल में फैल रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चमगादड़ों से आया होगा, लेकिन वे अभी तक निश्चित नहीं हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वायरस चमगादड़ों से इंसानों में कैसे पहुंचा, लेकिन उन्हें अभी तक इसका सटीक उत्तर नहीं मिला है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नामक संस्था के प्रमुख ने कहा कि निपाह वायरस कोविड-19 वायरस से कहीं ज्यादा घातक है। उन्होंने कहा कि जहां कोविड के लिए मृत्यु दर लगभग 2 से 3 प्रतिशत है, वहीं निपाह के लिए मृत्यु दर बहुत अधिक, लगभग 40 से 70 प्रतिशत है। भारत में एक चिकित्सा संगठन के प्रमुख ने कहा कि वे ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी नामक एक विशेष दवा की 20 और खुराक खरीदेंगे। इस दवा का उपयोग निपाह नामक वायरस के इलाज के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें 2018 में ऑस्ट्रेलिया से इस दवा की कुछ खुराक पहले ही मिल चुकी है, लेकिन अभी उनके पास केवल 10 मरीजों के लिए ही पर्याप्त है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में अभी तक किसी ने भी यह दवा नहीं ली है। केरल में निपाह नाम की बीमारी को रोकने के लिए लोग काफी मेहनत कर रहे हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नामक समूह के बॉस ने कहा कि उन्हें बीमारी के इलाज में मदद के लिए और अधिक दवाएं मिल रही हैं। लेकिन लोगों को बीमार होते ही तुरंत दवा देना वास्तव में महत्वपूर्ण है। वे केरल में बीमारी को और अधिक फैलने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। बॉस ने यह भी कहा कि जो लोग बीमार हुए हैं वे सभी उस पहले व्यक्ति के संपर्क में थे जिसे बीमारी हुई थी। बरसात के मौसम में निपाह नामक बीमारी के मामले सामने आते हैं। 2018 में, हमें पता चला कि यह बीमारी चमगादड़ों के कारण होती है, लेकिन हम निश्चित नहीं हैं कि यह मनुष्यों में कैसे फैलती है। हम इस बार फिर से इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन एक बात हम जानते हैं कि यह हमेशा बरसात के मौसम में होता है। निपाह नामक वायरस से बीमार हुए लोगों की मदद के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी नामक विशेष दवाओं का उपयोग किया गया था। अन्य देशों में वायरस की चपेट में आए चौदह लोगों को ये दवाएं दी गईं और वे सभी बेहतर हो गए और बच गए। डॉक्टर अभी भी यह सुनिश्चित करने के लिए अध्ययन कर रहे हैं कि दवाएं सुरक्षित हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक इसका परीक्षण नहीं किया है कि वे वास्तव में अच्छी तरह से काम करती हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि यह दवा केवल उन्हीं मरीजों को दी जा सकती है जिनके पास इलाज का कोई अन्य अच्छा विकल्प नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि दवा के उपयोग का निर्णय न केवल केरल सरकार, बल्कि डॉक्टरों और मरीजों के परिवारों पर भी निर्भर है।