“मेरी छोटी सोच नहीं”: उद्धव ठाकरे ने कहा, एनडीए प्रत्याशी Droupadi Murmu का समर्थन करेगी शिवसेना
उद्धव ठाकरे ने कहा, एनडीए प्रत्याशी Droupadi Murmu का समर्थन करेगी शिवसेना President Elections 2022 : बैठक में इन सांसदों ने ठाकरे से अनुरोध किया था कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी को एनडीए कैंडिडेट Droupadi Murmu को वोट करना चाहिए क्योंकि वे आदिवासी समुदाय की महिला हैं. मुंबई : Official Elections 2022: राष्ट्रपति के लिए चुनाव में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली शिवसेना, बीजेपी नीत एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) का समर्थन करेगी. शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी के हाथों सत्ता गंवा चुके उद्धव ठाकरे ने कहा, उनकी छोटी सोच नहीं है और शिवसेना द्वारा एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन इसका संकेत देता है. राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग 18 जुलाई को होनी है. यह फैसला पार्टी के 22 सांसदों में से 16 सांसदों की उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग में किए गए अनुंरोध के एक दिन बाद सामने आया है. इन 16 सांसदों ने ठाकरे से आग्रह किया था कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी को एनडीए कैंडिडेट द्रौपदी मुर्मू को वोट करना चाहिए क्योंकि वे आदिवासी समुदाय की महिला हैं.राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA की प्रत्याशी Droupadi Murmu का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से है. एकनाथ शिंदे धड़े के टूटने और बीजेपी के समर्थन से सीएम के तौर पर उद्धव ठाकरे की जगह लेने के बाद से शिवसेना संकट का सामना कर रही है. महाराष्ट्र की जनसंख्या की करीब 10 फीसदी अनुसूचित जनजाति से है. गौरतलब है कि शिंदे गुट पिछले माह विद्रोह के दौरान यह लगातार मांग कर रहा था कि शिवसेना को कांग्रेस और राकांपा से संबंध खत्म करके अपने स्वाभाविक सहयोगी बीजेपी के साथ फिर से गठजोड़ करना चाहिए. उद्धव ठाकरे ने इससे इनकार कर दिया था और अधिकांश विधायकों के पाला बदलकर शिंदे के पक्ष में जाने के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के सीएम और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने सोमवार को बताया था कि बैठक के दौरान शिवसेना के लोकसभा के 16 और राज्यसभा के दो सांसद मौजूद रहे थे. हालांकि बैठक में दो सांसद नहीं पहुंचे. भावना गवली और श्रीकांत शिंदे इस बैठक में मौजूद नहीं थे. उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री में आयोजित बैठक में राज्यसभा सांसद संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी व लोकसभा सांसद गजानन कीर्तिकर, विनायक राऊत, अरविंद सावंत, हेमंत गोडसे, धैर्यशील माने, श्रीरंग बरने, राहुल शेवाले, प्रतापराव जाधवी, सदाशिवराव लोखंडे, राजेंद्र गावित, राजन विचारे और ओमप्रकाश राजेनिंबालकर सहित अन्य सांसद भी पहुंचे थे. बैठक में 16 सांसदों ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के समर्थन को लेकर कहा था कि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी महिला हैं. इसलिए हमें उनके पक्ष में मतदान करना चाहिए. इसके पहले भी हम मराठी के मुद्दे पर प्रतिभा पाटिल का समर्थन कर चुके हैं.
bihar की 2 घटनाये : युवक ने नशीला पदार्थ बेचने से किया इंकार तोह हाथ पैर बांध कर की गयी उसकी पिटाई दूसरी ओर मंदिर में चोरी के शक में की गयी युवक की पिटाई
bihar की 2 घटनाये: पहले घटना: bihar ke वैशाली में एक युवक का हाथ-पैर बांधकर दबंगों ने लाठी-डंडे से जमकर पिटाई कर दी और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर दिया। घटना 8 जुलाई को हाजीपुर सदर थाना क्षेत्र के चंद्रालय गांव की है। वायरल वीडियो में एक युवक के हाथ और पैर बांध कर दो दबंग लाठी-डंडे से पीट दिया। यही नहीं युवक की जबरदस्त पिटाई का वीडियो पर कैप्शन भी लिखा हुआ था डीजे ऐसे बजता है। पीड़ित युवक अभिषेक कुमार ने सदर थाना में एक लिखित आवेदन देकर आरोप लगाया है कि उसे स्मैक बेचने के लिए कुछ लड़कों ने कहा था। लेकिन जब उसने इनकार कर दिया तो फायरिंग करते हुए उसे अगवा कर केले के बागान में ले गए। यहां उसके हाथ पैर को बांध कर उसकी जबरदस्त पिटाई की गई। पिटाई के दौरान जब वह बेहोश हो गया तो पानी के छींटे डालकर उसे होश में लाया गया और फिर उसकी पिटाई की गई। अभिषेक कुमार ने आवेदन में आगे लिखा है कि पिटाई कर रहे बदमाशों के पिता मौके पर पहुंच गए, जिसकी वजह से उसकी जान बच पाई। आवेदन के आधार पर पुलिस ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इस विषय में सदर एसडीपीओ राघव दयाल ने बताया कि युवक ने पिटाई करने संबंधी आवेदन दिया था। इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि युवक की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। वहीं पुलिस इस मामले में अनुसंधान कर रही है। दुसरी घाटना: bihar ke मुजफ्फरपुर में चोरी के आरोप में एक युवक को लोगों ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। इसका वीडियो सामने आया है। इसमें युवक मंदिर परिसर में दिख रहा है। लोग पहले उसे बैठाकर लाठी-डंडे से मार रहे हैं। फिर उलटा लिटा कर डंडों की बारिश कर देते हैं। पूरे वीडियो में आरोपी युवक उसे छोड़ने देने की मिन्नतें करता नजर आ रहा है। मामला जिले के मिठनपुरा थाना क्षेत्र स्थित रामबाग के एक मंदिर का है। आरोप है कि युवक चोरी की नीयत से घुसा था, जिसे भीड़ ने दबोच लिया। उसे बंधक बनाकर सैंकड़ों डंडे बरसाए गए। जब वह लहूलुहान हो गया तो उसे पुलिस के हवाले कर दिया। रहम की भीख मांगता रहा आरोपी, लोगों ने नहीं छोड़ा वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि 5-6 युवक हाथ मे बांस का डंडा लेकर युवक को पीट रहे हैं। आरोपी मंदिर परिसर में फर्श पर बैठा हुआ है। उसके चेहरे से खून निकल रहा है। वह हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगता नजर आ रहा है कि भीड़ माफ कर दें, लेकिन आक्रोशित भीड़ उसे सजा देने पर तूली दिखी। उस पर सैंकड़ों डंडे बरसाए गए। आरोपी दोबारा ऐसी गलती नहीं करने की बात कहता है। वीडियो में बोल रहा है कि उसे घर जाने दिया जाए। लेकिन, भीड़ में से एक युवक कहता है कि उसे थाना जाना होगा। इस पूरे घटनाक्रम का वहां मौजूद किसी ने वीडियो बना लिया और इसे सोशल मीडिया पर डाल दिया। जिसके बाद से यह वीडियो खूब शेयर हो रहा है। पुलिस कर रही पूछताछ थानेदार श्रीकांत प्रसाद ने बताया कि मंदिर में चोरी करने के आरोप में एक युवक को लोगों ने पकड़कर पुलिस को सौंपा है। उससे पूछताछ कर नाम पते का सत्यापन किया जा रहा है। इसी आधार पर उसे जेल भेजा जाएगा। आरोपी बार-बार अपना नाम और पता बदल रहा है। कभी दरभंगा तो कभी बगहा का रहने वाला बताया रहा है। हालांकि पुलिस ने अपने स्तर से पता किया है। जिसमें जानकारी मिली कि वह टाउन थाना क्षेत्र का रहने वाला है। आगे की कार्रवाई जारी है। चोरी की नीयत से घुसा था आरोपी इस मामले में मंदिर प्रबंधन स्तर से कोई जानकारी नहीं दी गयी है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि आरोपी शाम के समय में मंदिर में चोरी की नीयत से घुसा था। वह दान पेटी के पास था। उसमें से चोरी का प्रयास कर रहा था। तभी लोगों की नजर उस पर पड़ी। उसे दबोच लिया गया। इसके बाद उसकी जमकर पिटाई की गई।
नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक(National emblem) : विपक्ष के ‘तब और अब’ के आरोप से बड़ा विवाद
National emblem लालू प्रसाद यादव की पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि राष्ट्रीय प्रतीक में सिहों की अभिव्यक्ति हल्की और और सौम्यता का भाव लिए होती है लेकिन जो नई मूर्ति में “आदमखोर प्रवृत्ति” नजर आती है. नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ओर से नए संसद भवन (National emblem) के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ के अनावरण ने बड़े विवाद को जन्म दे दिया है. विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाया है कि पीएम ने कार्यपालिका के प्रमुख के तौर पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण क्यों किया. यही नहीं, उन्होंने राष्ट्रीय प्रतीक को संशोधित (adjusted) कर इसके ‘अपमान’ का भी आरोप लगाया है. हालांकि इस कलाकृति के डिजाइनरों ने दावा किया है कि राष्ट्रीय प्रतीक में कोई ‘बदलाव’ नहीं है. लालू प्रसाद यादव की पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि राष्ट्रीय प्रतीक में सिहों की अभिव्यक्ति हल्की और और सौम्यता का भाव लिए होती है लेकिन जो नई मूर्ति में “आदमखोर प्रवृत्ति” नजर आती है. पीएम मोदी की ‘अमृत काल’ संबंधी टिप्पणी पर निशाना साधते हुए आरजेडी के अधिकारिक ट्वटिर हैंडल पर लिखा गया है, “मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है.” ट्वीट में आगे कहा गया है, “हर प्रतीक चिन्ह इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है. इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है. “ तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और सरकार द्वारा संचालित प्रसाद भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार ने इसे हमारे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न का अपमान निरूपित किया है. राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ की पुरानी और नई फोटो शेयर करते हुए उन्होंने ट्वीट में लिखा, “वास्तविक बायीं ओर है-सुंदर और राजसी भाव से भरी. दायीं ओर मोदी का वर्जन है जो नए संसद भव के ऊपर स्थापित किया गया है-अनावश्यक रूप से आक्रामक और अनुपातहीन. शर्मनाक! इसे तुरंत बदला जाए. “NDTV से बात करते हुए सरकार ने कहा, “बारीक नजर डालने से ही पता चल जाता है कि शेर के चेहरे के भाव में आक्रामकता है जबकि सम्राट अशोक जो बताने की कोशिश कर रहे थे वह नियंत्रित शासन था.” सरकार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के चंद्र कुमार बोस ने कहा, “समाज में सब कुछ विकसित होता है. आजादी के 75 साल बाद हम भी विकसित हुए हैं. एक कलाकार की अभिव्यक्ति को जरूरी नहीं कि सरकार की मंजूरी हो. हर जीत के लिए आप भारत सरकार या प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे सकते. “केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी इस मुद्दे पर सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं. उन्होंने कहा कि यदि एक मूल कृति की सटीक कलाकृति नई बिल्डिंग में रखी जानी थी जो यह fringe rail से परे बमुश्किल दिखाई देगी. “विशेषज्ञों को यह भी पता होना चाहिए कि सारनाथ की प्रतिमा जमीनी स्तर है जबकि नया प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है.” मां काली को लेकर अपनी टिप्पणी को लेकर हाल में विवादों में आईं TMC MP महुआ मोइत्रा ने पुराने अशोक स्तंभ की फोटो को ट्वीट किया, हालांकि इसके साथ कुछ लिखा नहीं था. इस बीच, नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के डिजाइनर सुनील देवरे और रोमिएल मोसेस ने जोर देकर कहा है कि कोई विचलन (deviation)नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में विस्तार से ध्यान दिया है. शेरों का चरित्र समान है. हल्का फुल्का अंतर हो सकता है. लोगों की अलग-अलग व्याख्याएं हो सकती हैं. यह एक बड़ी मूर्ति है ओर नीचे से इसका दृश्य अलग प्रभाव दे सकता है. दोनों कलाकारों ने कहा कि अपनी कलाकृति पर उन्हें गर्व है. राष्ट्रीय प्रतीक कांस्य का बना है और इसका भार 9500 किलोग्राम तथा ऊंचाई 6.5 मीटर है. एक सरकारी नोट में बताया गया है कि प्रतीक के सपोर्ट में करीब 6,500 किलो भार का सहायक इस्पात ढांचा (supporting steel structure)बनाया गया है. भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिन्ह है जो मौर्य साम्राज्य की प्राचीन मूर्ति है. देश का प्रतीक अधिनियम 2005 बताया था कि शासन का प्रतीक “अधिनियम के परिशिष्ट I या परिशिष्ट II में निर्धारित डिजाइनों के अनुरूप होगा.” इससे पहले विपक्षी दलों ने अनावरण समारोह में उन्हें आमंत्रित नहीं करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा था. कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने ट्वीट किया था, “संसद और राष्ट्रीय प्रतीक देश के लोगों का है, केवल एक व्यक्ति का नहीं. “ मार्क्सवादी कम्यनिस्ट पार्टी (माकपा) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसे विपक्षी दलों ने मोदी द्वारा किये गये अनावरण की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है जो कार्यपालिका और विधायिका के बीच अधिकारों का विभाजन करता है. वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका का की शक्तियों को अलग करता है. सरकार के प्रमुख के रूप में पीएम को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था. लोकसभा के अध्यक्ष लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सरकार के अधीन नहीं हैं. पीएमओ द्वारा संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है.”