अमेरिका पर मंडरा रही है आर्थिक मंदी, भारत के किन सेक्टरों पर पड़ेगा इस ‘आग’ का असर, पूरी रिपोर्ट

साह्म नियम एक विशेष अलार्म की तरह है जो हमें बताता है कि अमेरिका में अर्थव्यवस्था में कब समस्याएँ आने लगी हैं। अभी, यह अलार्म बज रहा है, और अन्य संकेत भी यही कह रहे हैं। यदि अमेरिका में बड़ी धन संबंधी समस्याएँ हैं (जिसे मंदी कहा जाता है), तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत के कुछ हिस्से, जैसे कि अमेरिका को सामान बेचने वाले व्यवसाय या अमेरिकी पैसे पर निर्भर कंपनियाँ, सबसे ज़्यादा प्रभावित हो सकती हैं। कुल मिलाकर, इससे भारत में लोगों के लिए चीज़ें मुश्किल हो सकती हैं, जैसे कि कम नौकरियाँ या खर्च करने के लिए कम पैसे। लोग चिंतित हो रहे हैं कि अमेरिका में जल्द ही कुछ धन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, और यह चिंता दुनिया भर में फैल रही है। जब हम अलग-अलग संकेतों और बाज़ारों के व्यवहार को देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि अमेरिका मंदी के करीब पहुँच सकता है, जो तब होता है जब अर्थव्यवस्था बहुत धीमी हो जाती है। इस लेख में, हम इस बारे में बात कर रहे हैं कि अमेरिका में इस संभावित मंदी का क्या मतलब है और यह भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकती है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ महत्वपूर्ण संकेत अच्छे नहीं दिख रहे हैं। ज़्यादातर लोग मदद मांग रहे हैं क्योंकि उनके पास नौकरी नहीं है और बिना नौकरी वाले लोगों की संख्या पिछले तीन सालों में सबसे ज़्यादा है। साथ ही, कारखाने पहले की तुलना में कम चीज़ें बना रहे हैं। हालांकि कुछ चीज़ें खराब लग रही हैं, लेकिन अच्छे संकेत भी हैं। लोगों को अब लगता है कि इस तिमाही में अर्थव्यवस्था 2.6% के बजाय 2.9% की दर से बढ़ेगी। मज़दूरी कीमतों से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रही है और घर ज़्यादा महंगे हो रहे हैं। ये सभी चीज़ें दिखाती हैं कि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है। सहम नियम ने यह भी संकेत दिया कि अर्थव्यवस्था में मंदी आ सकती है। शेयर बाज़ार में काफ़ी उतार-चढ़ाव हो रहा है क्योंकि लोगों को चिंता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है। कई लोगों को लगता है कि मदद के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कमी कर सकता है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था शायद उतनी अच्छी नहीं चल रही है। सहम नियम नामक एक विशेष नियम, जो जुलाई के नौकरी के आंकड़ों को देखता है, कह रहा है कि हम मंदी की शुरुआत कर सकते हैं क्योंकि ज़्यादा लोग अपनी नौकरियाँ खो रहे हैं। जब हम इतिहास पर नज़र डालते हैं, तो हम देख सकते हैं कि यह नियम यह बताने का एक अच्छा तरीका रहा है कि अर्थव्यवस्था कब खराब होने वाली है। साथ ही, सरकार पिछले दो सालों से अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद करने के लिए बहुत सारा पैसा खर्च कर रही है, लेकिन अब वे कम खर्च कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। पिछले कुछ समय से, ज़्यादा से ज़्यादा लोग Google पर अमेरिका में मंदी के बारे में खोज कर रहे हैं, और इन खोजों को दिखाने वाला ग्राफ़ ऊपर जा रहा है। पैसे का अध्ययन करने वाले कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अर्थव्यवस्था के साथ कोई बड़ी समस्या अभी नहीं आने वाली है। उन्हें लगता है कि चीज़ें और धीमी गति से बढ़ेंगी, लेकिन उन्हें यकीन नहीं है कि यह कब बड़ी समस्या बन सकती है या यह कितनी बुरी हो सकती है। अगर अमेरिका में पैसे की समस्या है और वहाँ के लोग कम खर्च करते हैं, तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका भारत से बहुत सी चीज़ें खरीदता है, जैसे कपड़े और तकनीक। अगर अमेरिका कम खरीदता है, तो भारत में कुछ लोगों की नौकरी जा सकती है या वे कम पैसे कमा सकते हैं। हालाँकि, भारत को व्यापार करने के लिए नए दोस्त भी मिल सकते हैं या मज़बूत बने रहने के लिए अपने लिए ज़्यादा चीज़ें बना सकते हैं। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में समस्या आती है, तो इसका असर भारत समेत कई देशों पर पड़ेगा। शेयर बाज़ार में, अमेरिका भारत के लिए नेता की तरह है। अगर अमेरिका में चीजें ठीक चल रही हैं, तो आमतौर पर भारत में भी चीजें ठीक चलती हैं। लेकिन अगर अमेरिका में चीजें खराब होने लगती हैं, तो भारत भी इसका असर महसूस करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के साथ बहुत ज़्यादा व्यापार करते हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। जब मंदी आती है, तो लोग कम पैसे खर्च करते हैं। इसका मतलब है कि वे भारत सहित अन्य देशों से कम चीज़ें खरीदते हैं। भारत में आईटी, दवा और कपड़े जैसे महत्वपूर्ण उद्योग अमेरिका को बहुत ज़्यादा सामान बेचते हैं और मंदी के दौरान उन्हें कम ऑर्डर मिलते हैं। साथ ही, दुनिया भर में उत्पादों के आने-जाने का तरीका गड़बड़ा जाता है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किल हो जाती है जो अमेरिका को बेचने पर निर्भर हैं।

हिंडनबर्ग: यात्री अपने सामान के लिए खुद जिम्मेदार हैं…डिस्क्लेमर पढ़कर आप भ्रमित हो जाएंगे

हिंडनबर्ग रिसर्च नामक कंपनी भारत में बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच को निशाना बनाकर विवाद पैदा कर रही है। वे दावा कर रहे हैं कि उनका और उनके पति का एक बड़ी कंपनी के विदेशी फंड से संबंध है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट हमेशा सच होती है, जबकि अन्य लोगों का मानना ​​है कि वे झूठ फैलाकर सिर्फ पैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सेबी प्रमुख और उनके पति इन आरोपों से इनकार करते हैं। रिपोर्ट लोगों में भ्रम पैदा कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च के डिस्क्लेमर में मूल रूप से कहा गया है कि यदि आप उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं, तो आप किसी भी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार होंगे। वे उल्लेख करते हैं कि रिपोर्ट में जिन कंपनियों के बारे में उन्होंने बात की है, उनके खिलाफ उनके पास दांव हो सकते हैं और अगर शेयर की कीमतें गिरती हैं तो वे पैसा कमा सकते हैं। वे यह भी कहते हैं कि वे रिपोर्ट में उल्लिखित अन्य स्रोतों से किसी भी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं दे रहे हैं। सरल शब्दों में, वे आपको कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपना खुद का शोध करने और विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए कह रहे हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च नामक कंपनी भारत में बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच को निशाना बनाकर विवाद पैदा कर रही है। वे दावा कर रहे हैं कि उनका और उनके पति का एक बड़ी कंपनी के विदेशी फंड से संबंध है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट हमेशा सच होती है, जबकि अन्य लोगों का मानना ​​है कि वे झूठ फैलाकर सिर्फ पैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सेबी प्रमुख और उनके पति इन आरोपों से इनकार करते हैं। रिपोर्ट लोगों में भ्रम पैदा कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च के डिस्क्लेमर में मूल रूप से कहा गया है कि यदि आप उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं, तो आप किसी भी लाभ या हानि के लिए जिम्मेदार होंगे। वे उल्लेख करते हैं कि रिपोर्ट में जिन कंपनियों के बारे में उन्होंने बात की है, उनके खिलाफ उनके पास दांव हो सकते हैं और अगर शेयर की कीमतें गिरती हैं तो वे पैसा कमा सकते हैं। वे यह भी कहते हैं कि वे रिपोर्ट में उल्लिखित अन्य स्रोतों से किसी भी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं दे रहे हैं। सरल शब्दों में, वे आपको कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपना खुद का शोध करने और विशेषज्ञों से परामर्श करने के लिए कह रहे हैं।

बायजू के निवेशकों ने कंपनी के सीईओ को हटाने के लिए वोट किया, स्टाफ ने जूम कॉल को बाधित किया।

बायजू कंपनी में पैसा लगाने वाले लोगों के एक समूह ने एक बैठक की. वे सभी इस बात पर सहमत थे कि वे चाहते थे कि कंपनी शुरू करने वाले बायजू रवींद्रन को बोर्ड से हटा दिया जाए। बायजू नामक कंपनी में निवेश करने वाले महत्वपूर्ण लोगों के एक समूह ने शुक्रवार को एक विशेष बैठक की। उन्होंने सीईओ, रवींद्रन बायजू और उनके परिवार को कंपनी के बोर्ड से हटाने का फैसला किया। इससे कंपनी के लिए काफी दिक्कतें पैदा हो गई हैं, जो पहले से ही कारोबार में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है। भले ही कंपनी ने इस फैसले से इनकार कर दिया हो, लेकिन इसके भविष्य को लेकर चीजें अनिश्चित हैं। बच्चों को सीखने में मदद करने वाली कंपनी बायजू ने उन लोगों के एक समूह द्वारा दिए गए कुछ सुझावों को ना कहा, जो चाहते थे कि कंपनी शुरू करने वाला व्यक्ति चले जाए। कंपनी ने कहा कि जिस बैठक में ये सुझाव दिए गए वह उचित नहीं थी क्योंकि वहां केवल कुछ शेयरधारक ही थे. इसलिए, सुझावों की कोई गिनती नहीं है। बायजू के मालिकों ने बॉस से छुटकारा पाने का फैसला किया, लेकिन कर्मचारियों ने ऑनलाइन मीटिंग बंद कर दी। रवीन्द्रन और उनके परिवार के पास कंपनी की लगभग 26% हिस्सेदारी है। सरल शब्दों में कहें तो बायजू नामक कंपनी में निवेश करने वाले कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने एक बैठक की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सीईओ और उनके परिवार को कंपनी के बोर्ड से हटा दिया जाना चाहिए या नहीं। इससे कंपनी के भविष्य को लेकर काफी अनिश्चितता पैदा हो गई है, जो पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही है। हालाँकि, कंपनी ने कहा है कि वे इस निर्णय को अस्वीकार करते हैं और इसे अमान्य मानते हैं क्योंकि बैठक में शेयरधारकों का केवल एक छोटा समूह शामिल था। छात्रों को सीखने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली कंपनी बायजू को भारी नुकसान हुआ, लगभग 2,250 करोड़ रुपये। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिन लोगों ने उन्हें पैसे उधार दिये थे, उनसे उनका मतभेद हो गया था। प्रोसस की ओर से बोलने वाला एक व्यक्ति इस बारे में बात नहीं करना चाहता था। पीक ने तुरंत कुछ नहीं कहा. कंपनी के मालिक लोगों ने कंप्यूटर पर एक बड़ी बैठक की जहां उन्होंने अन्य महत्वपूर्ण लोगों के साथ बात की। कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने बिना अनुमति के बैठक में शामिल होने की कोशिश की और ज़ोर-ज़ोर से शोर मचाया जिससे बातचीत बाधित हुई। इस वजह से, मालिकों ने एक निर्णय लिया। इससे पहले आज बेंगलुरु में बायजू कंपनी को पैसे देने वाले 4 लोग कोर्ट गए. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कंपनी के प्रभारी व्यक्ति रवींद्रन को अब इसे चलाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रवींद्रन को कंपनी के लिए काम करने वाले लोगों को भुगतान करने के लिए पैसे जुटाने के लिए अपने घर और अपने परिवार के घरों का इस्तेमाल करना पड़ा। एड-टेक कंपनी बायजू को इस साल 8,245 करोड़ रुपये का बड़ा घाटा हुआ है। पिछले साल उनका घाटा 4,564 करोड़ रुपये था तो इस साल यह और भी ज्यादा बढ़ गया. लेकिन, अच्छी बात यह है कि इस साल उनकी कमाई हुई कुल कमाई 5,298 करोड़ रुपये थी, जो कि पिछले साल की कमाई 2,428 करोड़ रुपये से बहुत अधिक है। इसलिए, भले ही उन्होंने अधिक पैसा खो दिया, लेकिन उन्होंने अधिक पैसा भी कमाया। बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न ने अपनी वित्तीय रिपोर्ट सरकार के साथ साझा की है। रवीन्द्रन और उनके परिवार के पास कंपनी की लगभग 26% हिस्सेदारी है।

AI तकनीक से है सब खुश मगर गॉडफादर ऑफ एआई ने दुःख जताया

जब कुछ बुरा हुआ तो ना नाम का व्यक्ति वहां नहीं था। पुलिस इसकी जांच कर रही है और समस्या पैदा करने वाले चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। चंदन सिंह नाम के एक राजनेता कल रात दिल्ली से वापस आए और समस्या के बारे में बात की। उनका मानना ​​है कि पुलिस को इस बारे में कुछ करना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI ) नामक एक नई तरह की तकनीक है जो चीजों को आसान बनाने में हमारी मदद कर सकती है। लेकिन, इसे बनाने वाले को चिंता है कि यह खतरनाक हो सकता है। इसके चलते उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी। जेफ्री हिंटन वास्तव में एक चतुर व्यक्ति है जिसने कंप्यूटर पर अपने काम के लिए एक बड़ा पुरस्कार जीता है जो इंसानों की तरह सोच सकता है। बहुत से लोग अब इस तकनीक को लेकर उत्साहित हैं। लेकिन हिंटन चिंतित है कि यह सुरक्षित नहीं हो सकता है। उन्होंने एक इंटरव्यू में अपनी चिंताओं के बारे में बात की। ज्योफ्री हिंटन नाम के एक स्मार्ट व्यक्ति ने तंत्रिका नेटवर्क नामक किसी चीज़ पर काम करने के लिए एक बड़ा पुरस्कार जीता। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस स्मार्ट तकनीक का बुरे लोग गलत तरीके से इस्तेमाल न करें। हिंटन ने लंबे समय तक Google के लिए काम किया, और वह सोचता है कि इस तकनीक का उपयोग करने में लोगों को सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करने से रोकना कठिन हो सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि बहुत सारी नकली तस्वीरें और शब्द हो सकते हैं जिससे लोगों के लिए यह जानना मुश्किल हो जाए कि असली क्या है। ChatGPT नाम के एक शख्स ने कंप्यूटर को स्मार्ट बनाने में मदद की। उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ काम किया जिन्होंने एक विशेष उपकरण बनाया जो चित्रों को देखकर सीख सकता था। इस टूल का उपयोग अब अन्य कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने के लिए किया जाता है जो मनुष्यों की तरह लिख और बोल सकते हैं। जेफ डीन, जो गूगल में एक बहुत ही चतुर व्यक्ति हैं, ने कहा कि वे एआई नाम की किसी चीज से सावधान रहना चाहते हैं ताकि बुरी चीजें न हों। वे जिम्मेदार बनना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह सुरक्षित है।

Income Tax:Government 1 अप्रैल से इनकम टैक्स में राहत दे रही है.

Government चाहती है कि अधिक से अधिक लोग नई कर व्यवस्था पर स्विच करें, जो 7 लाख रुपये तक की आय के लिए कर छूट प्रदान करती है। बजट 2023 में घोषित नई कर व्यवस्था से करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि उनकी कर योग्य आय अब बढ़कर 3 लाख रुपये हो जाएगी। इसका मतलब है कि 3 लाख रुपये तक की आय वाले सभी लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना होगा. यह एक बड़ा बदलाव है, और हम इसकी घोषणा करने के लिए सरकार को धन्यवाद देते हैं। Government इस नई नीति से सात लाख से कम आय वालों को अब आयकर नहीं देना होगा। हालांकि, यह लाभ केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध होगा जो नई कर प्रणाली में भाग लेना चुनते हैं। नए टैक्स सिस्टम से फायदा पाने वाले टैक्सपेयर्स को अब राहत मिल रही है। हम जानते हैं कि आप टैक्स चुकाने को लेकर चिंतित हैं. नई कर व्यवस्था के तहत, अगर आपकी सालाना आय सिर्फ 7 लाख रुपये है, तो आपको कोई भुगतान नहीं करना होगा! यह अच्छी खबर है, क्योंकि इसका मतलब है कि अधिक लोग अपना कर भरना शुरू कर देंगे और सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण चीजों पर खर्च करने के लिए और पैसा मिलेगा। तो चिंता न करें – नई टैक्स व्यवस्था निश्चित रूप से आपके लिए अच्छी खबर है!

अडानी ग्रुप के कर्ज पर RBI की सफाई, कहा- देश का बैंकिंग सिस्टम बहुत मजबूत और स्थिर है

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भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) का कहना है, कि संकटग्रस्त अडानी समूह को ऋण को लेकर चिंता के बावजूद भारत का बैंकिंग क्षेत्र मजबूत और स्थिर है। भारतीय रिजर्व बैंक को विश्वास है कि अडानी समूह को ऋणों पर हाल की चिंताओं के बावजूद भारत का बैंकिंग क्षेत्र मजबूत और स्थिर है। बैंक ऋणदाताओं की बारीकी से निगरानी कर रहा है, लेकिन समूह का नाम नहीं लेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र वर्तमान में स्थिर और लचीला है और विभिन्न पैरामीटर बताते हैं कि यह अच्छी स्थिति में है।आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र के एक नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में सतर्क रहता है, यह सुनिश्चित करने के लिए बैंकों की हमेशा निगरानी करता है कि वे वित्तीय रूप से स्थिर रहें। CRILC डेटाबेस सिस्टम पाँच करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है, जिसका उपयोग बैंकों पर नज़र रखने के लिए किया जाता है। केंद्रीय बैंक भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता पर कड़ी नजर रख रहा है, और बैंक बड़े ऋण ढांचे (एलईएफ) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं।स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अडानी समूह की कंपनियों को कुल रु. 27,000 करोड़ – समूह द्वारा बैंकों से उधार ली गई कुल राशि का मात्र 0.88%। एसबीआई को भरोसा है कि अडानी समूह अपने ऋण दायित्वों को पूरा करने में सक्षम होगा और उसने इक्विटी के बदले कोई ऋण नहीं दिया है। खारा का कहना है कि ऋण प्रदान करते समय अडानी समूह की परियोजनाओं पर सावधानी से विचार किया गया है और उनका पुनर्भुगतान रिकॉर्ड उत्कृष्ट रहा है।

Chanda Kochhar गिरफ्तार सीबीआई ने कर्ज धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है

Ex-ICICI Bank CEO Chanda Kochhar Arrest: वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक ने 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. वीडियोकॉन ग्रुप ने इस कर्ज का 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपए) नहीं चुकाया। 2017 में यह कर्ज एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) में डाल दिया गया। सीबीआई ने कर्ज धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है. मार्च 2018 में, चंदा कोचर पर अपने पति को वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। चंदा कोचर उस समिति का हिस्सा थीं जिसने 26 अगस्त 2009 को वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। समिति के इस फैसले ने बैंक के नियमन और नीति का उल्लंघन किया।मई 2020 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चंदा कोचर और उनके पति से करोड़ों रुपये के ऋण और अन्य संबंधित मामलों के संबंध में पूछताछ की। यह कर्ज आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन को 2009 और 2011 में दिया था। चंदा कोचर उस समय बैंक की एमडी और सीईओ थीं। इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद ईडी ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया। प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में आईसीआईसीआई में शामिल हुएचंदा कोचर 1984 में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में आईसीआईसीआई बैंक में शामिल हुईं। 1994 में जब ICICI पूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई, तो चंदा कोचर को सहायक महाप्रबंधक बनाया गया। इसके बाद चंदा कोचर सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। बैंक ने उन्हें 2001 में उप महाप्रबंधक, महाप्रबंधक के रैंक के माध्यम से कार्यकारी निदेशक के पद पर पदोन्नत किया। इसके बाद, उन्हें कॉर्पोरेट व्यवसाय की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद उन्हें मुख्य वित्तीय अधिकारी बनाया गया। 2009 में सीईओ और एमडी बने 2009 में चंदा कोचर को सीईओ और एमडी बनाया गया। चंदा कोचर के नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने खुदरा कारोबार में कदम रखा, जिसमें उसे बड़ी सफलता मिली। यह उनकी योग्यत और बैंकिंग क्षेत्र में उनके योगदान का प्रमाण है कि भारत सरकार ने चंदा कोचर को उनके तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण (2011 में) से सम्मानित किया। चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में इस्तीफा दे दिया, कोचर के पति की कंपनी में निवेश के संबंध में बैंक की एक कर्जदार कंपनी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज द्वारा अनुचितता के आरोपों के बाद।क्या ये था पूरा मामला? दरअसल, वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के व्यापारिक संबंध कोचर के पति दीपक कोचर से हैं। चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अध्यक्षता में वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से एक कंपनी बनाई गई, जिसे बाद में पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट का नाम दिया गया। यह आरोप लगाया गया था कि धूत ने दीपक कोचर द्वारा सह-स्वामित्व वाली इस कंपनी के माध्यम से ऋण का एक बड़ा हिस्सा दिया था। आरोप है कि 94.99% होल्डिंग वाले इन शेयरों को महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिया गया।बैंक ने शुरू में कोचर परिवार के खिलाफ मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन बाद में जनता और नियामक के लगातार दबाव में पूरे मामले की जांच के आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा। आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फैसला किया है। बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड व्हिसल ब्लोअर के आरोपों की ‘विस्तृत जांच’ करेगा। तब इस मामले की स्वतंत्र जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्ण को सौंपी गई थी. जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया गया। 2020 की शुरुआत में, ईडी ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की।

Petrol Diesel Price: तेल कंपनियों ने लगातार 2 दिन बढ़ाए पेट्रोल-डीजल के दाम

Petroleum Diesel Price: बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल 80 पैसा और महंगा होकर 97.01 प्रति लीटर हो गया है, जबकि डीजल भी 80 पैसे महंगा होकर 88.27 रुपये प्रति लीटर हो गया है. Petrol-डीजल की कीमतों में आग लगनी शुरू हो गई है. बुधवार को तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल की कीमतों में 24 घंटे के अंदर दूसरी बार बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही, डीजल महंगा होने से देश में महंगाई और बढ़ने के आसार हैं. बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल 80 पैसा और महंगा होकर 97.01 प्रति लीटर हो गया है, जबकि डीजल भी 80 पैसे महंगा होकर 88.27 रुपये प्रति लीटर हो गया है. वहीं मुंबई की बात करें तो पेट्रोल 85 पैसा महंगा होकर 111.67 रुपये प्रति लीटर हो गया है. उधर, Petrol -डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ संसद में विरोध बढ़ता जा रहा है. बुधवार को पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी पर चर्चा की मांग को सभापति ने स्वीकार नहीं किया. जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने संसद के अंदर और बाहर जमकर विरोध किया. सपा सांसद राम गोपाल यादव ने एनडीटी से कहा, “डीजल महंगा होने से सिर्फ 1 दिन में कई जगहों पर दूध और कई आम जरूरत की चीजें महंगी हो गई हैं. ऐसे में सरकार को पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की कीमतों में की गई बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेना चाहिए”. जबकि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “ये सरकार 10,000 करोड़ रुपये लूटने की साजिश कर रही है. हमारी कोशिश लोगों की परेशानी को देश और संसदके सामने रखने की है. बता दें कि इस विवाद के बीच सवाल ये भी महत्वपूर्ण हो कि क्या सरकारों को पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटना चाहिए? दिल्ली की बात करें तो 16 मार्च को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये प्रति लीटर थी. इसमें भारत सरकार के एक्साइज ड्यूटी का हिस्सा 27.90 रुपये प्रति लीटर और दिल्ली सरकार को जाने वाले वैट 15.40 रुपये प्रति लीटर है. जिसका मतलब है कि प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत में टैक्स का हिस्सा 43.40 रुपये है यानी 45.48 प्रतिशत है. गौरतलब है कि पिछले दो दिन में दो बार पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाकर तेल कंपनियों ने साफ संकेत दिया है कि वो रोज़ाना अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार के ट्रेंड के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने की व्यवस्था दोबारा बहाल करने वाली हैं. जिसका मतलब है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगा होते कच्चा तेल के इस दौर में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल देश में और महंगा हो सकता हैं.

paytm पर RBI सख्त:नए ग्राहकों को नहीं जोड़ सकेगा पेटीएम पेमेंट्स बैंक, RBI ने लगाई रोक; ऑडिट भी कराना होगा

paytm पेमेंट्स बैंक अब नए ग्राहकों को नहीं जोड़ सकेगा। शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस पर रोक लगाने के आदेश दिए। RBI ने बैंक को IT सिस्टम ऑडिट (complete System Audit) के लिए ऑडिट फर्म अपॉइंट करने के लिए भी कहा है। IT ऑडिटर्स की रिपोर्ट देखने के बाद RBI यह तय करेगा की पेटीएम को नए ग्राहकों को जोड़ने की अनुमति देना है या नहीं। RBI ने मटेरियल सुपरवाइजरी से जुड़ी चिंताओं के आधार पर ये रोक लगाई है। बैंकिंग रेगुलेशन एक्स, 1949 के सेक्शन 35A के तहत यह कार्रवाई की गई है। सेक्शन 35A नियामक को किसी भी बैंकिंग कंपनी के ऐसे कामों को रोकने की अनुमति देता है जो जमाकर्ताओं के हित के लिए हानिकारक हो। एक पेमेंट बैंक अपने ग्राहकों से जमा राशि एकत्र कर सकता है। हालांकि, इसे अपनी बैलेंस शीट से लोन की अनुमति नहीं है। दूसरी बार RBI ने बरती सख्ती यह दूसरी बार है जब नियामक ने पेमेंट्स बैंक के खिलाफ सख्ती बरती है। अगस्त 2018 में, RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी। उस समय नियामक ने नो योर कस्टमर नॉर्म्स के उल्लंघन का हवाला दिया था। दिसंबर में 92.6 करोड़ से ज्यादा UPI ट्रांजैक्शन पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने बीते दिनों बताया था कि उसने दिसंबर में 92.6 करोड़ से ज्यादा UPI ट्रांजैक्शन किए, जो इस मील के पत्थर को हासिल करने वाला देश का पहला बैंक है। अक्टूबर से दिसंबर 2021 तिमाही में, पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने 159.85% की ग्रोथ के साथ 250.74 करोड़ बेनिफिशियरी ट्रांजैक्शन रजिस्टर किए। एक साल पहले की समान तिमाही में ये संख्या 96.45 करोड़ थी। paytm के पास 6 करोड़ बैंक अकाउंट पेटीएम की वेबसाइट के अनुसार उसके पास 30 करोड़ से ज्यादा वॉलेट और 6 करोड़ बैंक अकाउंट हैं। पेटीएम पेमेंट्स बैंक अपने ग्राहकों को जीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट, स्पेंड एनालिटिक्स, डिजिटल पासबुक, वर्चुअल डेबिट कार्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट, मनी ट्रांसफर की सुविधा देता है। paytm पेमेंट्स बैंक के फायदे पेपर वर्क और अकाउंट ओपनिंग की जरूरत नहीं। कोई मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं पड़ती। डिजिटल प्लेटफॉर्म के कारण इस्तेमाल में आसानी। 24X7 पेमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज की सुविधा अरुण जेटली ने किया था पेमेंट्स बैंक का इनॉगरेशन2017 में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक का इनॉगरेशन किया था। इसके चेयरमैन विजय शेखर शर्मा है। पेटीएम ने अपनी पहली ब्रांच नोएडा में खोली और सेविंग अकाउंट की शुरुआत की। IMPS, NEFT, RTGS, UPI, FASTAG और नेटबैंकिंग की सुविधा दी। 2018 में फिजिकल डेबिट कार्ड लॉन्च किया और DMT, नोडल अकाउंट और NACH की शुरुआत की। 2019 में करंट अकाउंट की भी सुविधा देना शुरू किया। 2020 से पेटीएम पेमेंट्स बैंक में वीडियो KYC की सुविधा मिलने लगी। बैंक ने ऑन डिमांड FD की भी शुरुआत की। 2021 में बैंक ने मास्टरकार्ड DC, NCMC, प्रीपेड कार्ड लॉन्च किया।

Best Elon Musk का ‘अरबों का दान कहां जा रहा है’? चौंकी दुनिया ने पूछा क्या Tax बचाने के लिए है पूरी मशक्कत?

Elon Musk इलॉन मस्क (Elon Musk) ने नवंबर में  $5.7 बिलियन की कीमत के स्टॉक उस समय दान किए थे जब वो राजनेताओं के साथ ट्विटर पर अपने आयकरों को लेकर उलझ रहे थे. मस्क ने ट्वीट किया था कि वो इस साल $11 बिलियन का टैक्स चुकाएंगे.  दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क ( Elon Musk) भी शायद अपने साथी अरबपतियों की देखा-देखी बड़े परोपकारी बनते जा रहे हैं. इलेक्ट्रिक गाड़ियों और अंतरिक्ष के मामले में अपना जलवा बिखेरने वाले इलॉन मस्क ने नवंबर में केवल 10 दिन में टेस्ला इंक (Tesla Inc.) के  $5.7 बिलियन की कीमत के स्टॉक परोपकार के लिए दिए. हैरानी की बात यह है कि उनके नाम से चल रही फाउंडेशन से पिछले 2 दशक में भी इतना दान नहीं दिया गया था जितना इलॉन मस्क ने अब चंद दिनों में दे दिया. लेकिन अब सवाल ये उठ रहे हैं कि इलॉन मस्क का दान कहां जा रहा है? लेकिन यह केवल एक और संकेत है कि दुनिया के सबसे धनी शख़्स इलॉन मस्क अब लोकोपकार (philanthropy) को गंभीरता से ले रहा है.  ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 50 साल के मस्क 5 बिलियन से अधिक के के शेयर्स दान देने जा रहे हैं, इस बात का खुलासा एक रेगुलेटरी फाइलिंग में हुआ. इससे पहले इलॉन मस्क ने कुछ दान दिए हैं लेकिन अरबों डॉलर जितना बड़ा दान इलॉन मस्क ने पहले कभी नहीं दिया था. यह इलॉन मस्क का टैक्स बिल भी कम करने में मदद करेगा. इलॉन मस्क इसे अमेरिकी इतिहास में सबसे अधिक टैक्स बिल बताते हैं.    मस्क की फाउंडेशन पिछले कुछ सालों में अपने टेक्सास स्पेसपोर्ट के पास मौजूग स्थानीय स्कूली सिस्टम के लिए 8 अंकों का दान दे चुके हैं. पर्यावरण बदलाव (Climate Change) से बचने के लिए उन्होंने $100 मिलियन दान दिए थे और कोविड19 रिसर्चर्स को भी उन्होंने करोड़ों डॉलर दिए थे.  Elon Musk की तरफ से दान पाने वाले प्राथमिक तौर से इगोर कुर्गानोव (Igor Kurganov) के साथ काम कर रहे थे, जो पहले एक पोकर प्लेयर थे और फिर परोपकारी बन गए. इन्हें मस्क ने हाल ही में ग्रांट पाने वालों से संपर्क में रहने के लिए सूचित किया था.  ‘दूसरों का भला करने का सिद्धांत”  कुर्गानोव (Kurganov)ने अपने पोकर करियर में  $18 million जीते थे. वह दुनिया में कथित तौर पर दूसरों की मदद करने के मामले में सक्रीय रहते हैं और परेशानियों को दूर करने में ध्यान से पैसा खर्च करने में यकीन रखते हैं. कुर्गानोव रेज़िंग फॉर इफेक्टिव गिविंग( Raising for Effective Giving) के कोफाउंडर हैं. यह ऑर्गनाइज़ेशन कुछ पोकर खिलाड़ियों ने बनाया है. इनका ध्येय है “लागत मूल्य का अधिकतम लाभ देने वाला दान”. वह फोरथॉट फाउंडेशन (Forethought Foundation) के एडवाइज़र भी हैं. यह सेंटर फॉर इफेक्टिव ऑल्ट्रुइज़्म (Centre for Effective Altruism) का एक प्रोजक्ट है.    Elon Musk की तरफ से दान की राशि के बारे में पूछने के लिए कुर्गोनोव को कॉल किया गया, उन्हें ईमेल किए गए लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. मस्क के पारिवारिक ऑफिस के मैनेजिंग डायरेक्टर जेरेड बिरचैल (Jared Birchall)और टेस्ला के स्टॉक एडमिनिस्ट्रेशन के सीनियर मैनेजर (Aaron Beckman) ने भी कोई जवाब नहीं दिया.   अगर मस्क की फाउंडेशन कुर्गानोव के सेंटर फॉर इफेक्टिव ऑल्ट्रुइज़्म की मदद कर कर रही है, तो अभी तक इसका नतीजा दिका नहीं है.  न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और इफेक्टिव ऑल्ट्रुइज़्म पर शोध करने वाली एलिक्ज़ेंड्रा बेरेश (Alixandra Barasch) ने यह बताया.  मस्क ने अपने गिफ्ट और टैक्स डॉक्यूमेंट्स नियमित तौर पर सार्वजनिक नहीं करते हैं और साल भर बाद ही यह सामने आता है.  ‘बड़ा खेल’ एलिक्ज़ेंड्रा बेरेश ने कहा, ” इफेक्टिव ऑल्ट्रुइज़्म का मुख्य फोकस जान बचाना है. लेकिन इलॉन मस्क के स्पेस सेंटर के पास के स्कूल में चित्रकारी और लाइटिंग के लिए पैसे दिए गए यह उनके बताए गए लक्ष्य से अलग है.”  बेरेश ने कहा इलॉन मस्क ने कैमरून काउंटी को $20 मिलियन दिए और XPrize कार्बन रिमूवल प्रतियोगिता के लिए $100 मिलियन का वायदा किया है. खान एकेडमी को उन्होंने  $5 मिलियन दिए हैं. उनके दान में फोकस अलग-अलग है. लेकिन कद बड़ा करना भी एक फैक्टर है. अगर मस्क की फाउंडेशन दान करना चाहेगी तो यह बहुत बढ़ सकता है.   बेरेश ने कहा, ” अगर दान की जा रही रकम को देखें तो लगता है कि अरे ये कितना पैसा है, लेकिन यह उनकी संपत्ति के सामने कुछ नहीं है.” ब्लूमबर्ग बिलिनियर इंडेक्स के अनुसार मस्क के पास $227 बिलियन की निजी संपत्ति है. $5.7 बिलियन के टेस्ला स्टॉक का दान यह संकेत भी है कि वो इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि उन्होंने परोपकारी संस्था के लिए असल में अभी तक कुछ अधिक भेजा है.  ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में गैर लाभकारी संस्थाओं पर स्टडी करने वाले प्रोफेसर ब्रिएन मिटनडॉर्फ  (Brian Mittendorf) कहते है कि ऐसा लगता है कि यह तोहफा मस्क की फाउंडेशन के लिए ही गया है. मस्क के पिछले  फंड DAF का जिस तरीके से प्रयोग हुआ था, उसके अनुसार अगर मस्क अपने ट्विटर या मस्क फाउंडेशन की वेबसाइट पर नहीं बताएंगे तो जनता को शायद कभी ना पता चले कि अधिकतर दान का पैसा कहां जा रहा है.   ‘कयासों का खेल’  अर्बन इंस्टिट्यूट में सेंटर फॉर नॉनप्रॉफिट एंड फिलेंथ्रॉपी (Center on Nonprofits and Philanthropy ) के वरिष्ठ शोधकर्ता कहते है, “हमें कयासों का यह खेल नहीं खेलना चाहिए. जनता को इसमें अधिक रुचि इसलिए हो रही है क्योंकि इस बार दान की रकम बहुत बड़ी है.” मस्क ने नवंबर में  $5.7 बिलियन की कीमत के स्टॉक उस समय दान किए थे जब वो राजनेताओं के साथ ट्विटर पर अपने आयकरों को लेकर उलझ रहे थे. बड़े दान से सरकार को उनका टैक्स कम हो जएगा. कुछ दिन पहले उन्होंने $16 बिलियन के स्टॉक भी बेच डाले थे. टेस्ला के चीफ एक्ज़ीक्यूटिव इलॉन मस्क ने ट्वीट किया था कि वो इस साल $11 बिलियन का टैक्स चुकाएंगे.